खुश हूं कि गरीबों के लिए काम करने पर दिया गया पुरस्कार, खबर सुनी तो सोने चला गया: अभिजीत

अभिजीत बनर्जी - फोटो :bharat rajneeti
अक्सर छोटी सी खुशखबरी के बाद हमारी नींद उड़ जाती है। मगर अर्थशास्त्र का नोबेल जीतने वाले अभिजीत बनर्जी के साथ ऐसा नहीं हुआ। भारतवंशी अभिजीत बनर्जी ने नोबेल पुरस्कार मिलने पर कहा कि खुश हूं कि बेहद गरीबों के लिए काम करने पर पुरस्कार दिया गया। यह पुरस्कार उन लोगों को समर्पित है, जो दुनिया में वाकई में ऐसा काम कर रहे हैं। www.nobelprize.org को दिए इंटरव्यू में उन्होंने खुलासा किया कि स्टॉकहोम से जब उन्हें फोन आया तो वह गहरी नींद में थे। अभिजीत ने बताया कि वह आमतौर सुबह जल्दी उठने के आदी नहीं हैं, मगर सूचना मिलने के बाद उनकी नींद खुल गई। उन्होंने कहा कि नींद पूरी न होने से उनके लिए दिनभर समस्या हो जाती है, इसलिए उन्होंने दोबारा सोने की कोशिश की।
बधाई देने के लिए आने वाले फोन की घंटियों के बीच भी वह महज 40 मिनट और सो गए। नोबेल के इतिहास में अब तक पांच दंपतियों को ही नोबेल मिला है।
न्याय योजना में निभाई अहम भूमिका
देश नहीं दुनिया को गरीबी ने निकलने में मदद की
सबसे योग्य व्यक्ति को मिला नोबेल
बेहद खुशी का पल
बधाई देने के लिए आने वाले फोन की घंटियों के बीच भी वह महज 40 मिनट और सो गए। नोबेल के इतिहास में अब तक पांच दंपतियों को ही नोबेल मिला है।
भारतीय अर्थव्यवस्था डांवाडोल
अर्थशास्त्र के क्षेत्र में बहुमूल्य योगदान के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित भारतीय मूल के अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था डांवाडोल है। नोबेल जीतने के बाद बनर्जी ने भारत को लेकर यह पहली प्रतिक्रिया दी है।
बनर्जी ने कहा कि मौजूद समय में उपलब्ध आंकड़े यह भरोसा नहीं जगाते हैं कि देश की आर्थिक स्थिति में जल्द कोई सुधार होगा। उन्होंने कहा, "भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति अस्थिर है। मौजूदा (विकास) के आंकड़ों को देखने के बाद, इसके बारे में निश्चित नहीं हूं (निकट भविष्य में अर्थव्यवस्था का पुनरुद्धार)।
अमेरिका में मौजूद अभिजीत ने एक समाचार चैनल से बातचीत में कहा, "पिछले 5-6 साल में हमने कुछ विकास देखा था, लेकिन अब यह भरोसा भी जा चुका है।"
बनर्जी ने कहा कि मौजूद समय में उपलब्ध आंकड़े यह भरोसा नहीं जगाते हैं कि देश की आर्थिक स्थिति में जल्द कोई सुधार होगा। उन्होंने कहा, "भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति अस्थिर है। मौजूदा (विकास) के आंकड़ों को देखने के बाद, इसके बारे में निश्चित नहीं हूं (निकट भविष्य में अर्थव्यवस्था का पुनरुद्धार)।
अमेरिका में मौजूद अभिजीत ने एक समाचार चैनल से बातचीत में कहा, "पिछले 5-6 साल में हमने कुछ विकास देखा था, लेकिन अब यह भरोसा भी जा चुका है।"
इतनी जल्दी पुरस्कार मिलने की नहीं सोची थी
58 वर्षीय बनर्जी ने प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार मिलने पर अपनी खुशी का इजहार करते हुए कहा कि उन्होंने सोचा नहीं था कि करियर में इतनी जल्दी उन्हें यह सम्मान मिल जाएगा। अमेरिका में मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी में इकनॉमिक्स पढ़ाने वाले अभिजीत बनर्जी ने कहा, "मैं पिछले 20 सालों से यह रिसर्च कर रहा हूं। हमने गरीबी कम करने के लिए समाधान देने की कोशिश की है।"
जमीन पर काम करने वालों का सम्मान
अभिजीत बनर्जी ने इस बात पर खुशी जताई कि दुनिया के सबसे गरीब लोगों पर फोकस काम के लिए उन्हें सम्मान मिला है। यह उन सभी लोगों के लिए सम्मान है, जो जमीन पर गरीबी मिटाने के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह पुरस्कार दर्शाता है कि हम अक्सर कल्याण के लिए सिर्फ बातें करते हैं, लेकिन ऐसे पुरस्कार के लिए यह हमेशा मायने नहीं रखता।
देश के दो एनजीओ को श्रेय दिया
अभिजीत बनर्जी ने प्रथम और सेवा मंदिर नाम के दो एनजीओ की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि इन संगठनों ने जमीनी स्तर पर काम किया और उन्होंने इनसे काफी कुछ सीखा है। वह अपनी निजी अनुभव से कह सकते हैं कि ये संगठन हमारे लिए काफी अहम हैं।
भारतीय मूल के अमेरिकी अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी और उनकी पत्नी एस्थर डफ्लो को साल 2019 के लिए अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार दिया जाएगा। उनके साथ ही अर्थशास्त्री माइकल क्रेमर को भी इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए चुना गया है। तीनों को संयुक्त रूप से यह सम्मान दिया जाएगा। नोबेल पुरस्कार समिति ने कहा कि तीनों अर्थशास्त्रियों को 'अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गरीबी कम करने के उनके प्रयोगात्मक नजरिए' के लिए पुरस्कार दिया जा रहा है।
भारतीय मूल के अमेरिकी अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी और उनकी पत्नी एस्थर डफ्लो को साल 2019 के लिए अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार दिया जाएगा। उनके साथ ही अर्थशास्त्री माइकल क्रेमर को भी इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए चुना गया है। तीनों को संयुक्त रूप से यह सम्मान दिया जाएगा। नोबेल पुरस्कार समिति ने कहा कि तीनों अर्थशास्त्रियों को 'अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गरीबी कम करने के उनके प्रयोगात्मक नजरिए' के लिए पुरस्कार दिया जा रहा है।
जेएनयू को अभिजीत पर गर्व
‘जेएनयू के पूर्व छात्र प्रोफेसर अभिजीत विनायक बनर्जी को नोबेल मिलने से हम बेहद खुश हैं। अभिजीत ने जेएनयू का परचम पूरी दुनिया में बुलंद किया। उनकी कामयाबी पर जेएनयू को गर्व है।’ - एम जगदेश कुमार, कुलपति जेएनयू
नोबेल विजेता अभिजीत को पीएम मोदी- राहुल ने दी बधाई, देशभर से भी मिले संदेश
‘अभिजीत बनर्जी को अल्फ्रेड नोबेल की स्मृति में अर्थव्यवस्था के लिए 2019 का स्वेरिजेस रिक्सबैंक पुरस्कार प्राप्त करने के लिए ढेरों बधाई। गरीबी उन्मूलन के लिए अभिजीत ने उल्लेखनीय योगदान दिया है। देश को अभिजीत पर गर्व है।- नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
न्याय योजना में निभाई अहम भूमिका
‘अभिजीत को नोबेल जीतने के लिए बधाई। गरीबी मिटाने और भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने वाली न्याय योजना में अभिजीत ने अहम भूमिका निभाई। हालांकि अब हमारे पास मोदीनॉमिक्स है जो अर्थव्यवस्था को चौपट कर रही और गरीबी को बढ़ा रही।- राहुल गांधी, कांग्रेस नेता
देश नहीं दुनिया को गरीबी ने निकलने में मदद की
‘अभिजीत ने न सिर्फ देश को गौरवान्वित किया बल्कि अपने काम से दुनिया के कई देशों को गरीबी को समझने और उससे बाहर निकलने का रास्ता दिखाया। उनके प्रयोग, दृष्टिकोण और कार्यप्रणाली समकालीन प्रासंगिकता वाले थे। आज हर भारतीय उनके सम्मान से खुश है। - सोनिया गांधी, यूपीए अध्यक्ष
सबसे योग्य व्यक्ति को मिला नोबेल
‘अभिजीत बनर्जी अर्थशास्त्र के नोबेल के लिए सबसे योग्य व्यक्ति हैं। चयन समिति ने उन्हें चुनकर एक दम सही फैसला किया है। इस खबर से बहुत बहुत बहुत खुशी हुई। अभिजीत को ढेरों बधाई।’- अमर्त्य सेन, 1998 के नोबेल विजेता
बेहद खुशी का पल
‘अभिजीत और एस्थर को अर्थशास्त्र का नोबेल मिलने से बेहद खुश हूं। 2010 में बतौर पर्यावरण मंत्री मैंने डुफ्लो से प्रदूषण नियंत्रण के लिए बाजार के उपकरणों के क्षेत्र में काम करने का न्योता दिया था, खुशी है कि आज गुजरात में इस सिस्टम का इस्तेमाल हो रहा।’-जयराम रमेश, कांग्रेस नेता
अभिजीत को नोबेल मिलने से बेहद खुश हैं पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अभिजीत बनर्जी को नोबेल मिलने से बेहद खुश हैं। अपने एक पत्र में मनमोहन ने अभिजीत को बधाई देते हुए कहा, ये जानकर मुझे बेहद खुशी और गर्व की अनुभूति हो रही है कि मेरे दोस्त और प्रोफेसर अमर्त्य सेन के बाद आप दूसरे भारतीय हैं, जिनको अर्थशास्त्र का नोबेल मिला है।
मनमोहन ने कहा, मैं अर्थशास्त्र के एक छात्र के रूप में बहुत खुश हूं कि नोबेल कमेटी ने विकासात्मक अर्थशास्त्र में काम करने वाले शख्स को सम्मानित करने के लिए चुना जो भारत जैसे विकासशील देशों में नीति बनाने में बेहद कारगर है।
उन्होंने कहा, आपके साथ आपकी पत्नी डुफ्लो को भी अर्थशास्त्र का नोबेल दिया गया। दिल से आपको और आपकी पत्नी को बहुत-बहुत बधाई। आपने वैश्विक स्तर पर गरीबी उन्मूलन और विकासात्मक अर्थशास्त्र पर अच्छा काम किया है। मनमोहन 2012 में जब प्रधानमंत्री थे, तब उन्होंने अभिजीत को अपनी मुख्य आर्थिक नीति टीम में शामिल किया था।
मनमोहन ने कहा, मैं अर्थशास्त्र के एक छात्र के रूप में बहुत खुश हूं कि नोबेल कमेटी ने विकासात्मक अर्थशास्त्र में काम करने वाले शख्स को सम्मानित करने के लिए चुना जो भारत जैसे विकासशील देशों में नीति बनाने में बेहद कारगर है।
उन्होंने कहा, आपके साथ आपकी पत्नी डुफ्लो को भी अर्थशास्त्र का नोबेल दिया गया। दिल से आपको और आपकी पत्नी को बहुत-बहुत बधाई। आपने वैश्विक स्तर पर गरीबी उन्मूलन और विकासात्मक अर्थशास्त्र पर अच्छा काम किया है। मनमोहन 2012 में जब प्रधानमंत्री थे, तब उन्होंने अभिजीत को अपनी मुख्य आर्थिक नीति टीम में शामिल किया था।
अभिजीत के लैब ने 568 प्रयोग किए
अभिजीत के अब्दुल लतीफ जमील पावर्टी एक्शन लैब ने 10 साल में 568 जमीनी प्रयोग किए। इसमें गुजरात में प्रदूषण नियंत्रण का ऑडिट, मनरेगा के प्रयोग और तमिलनाडु सरकार के साथ कई प्रयोग शामिल रहे।