पराली जलाने से दिल्ली की हवा हुई और खराब, गुणवत्ता सूचकांक 245 के पार

पराली
पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की बढ़ती घटनाओं से राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण बढ़ोतरी जारी है। वायु गुणवत्ता खराब की श्रेणी में पहुंच गई जबकि अगले तीन-चार दिनों के दौरान हवा के और जहरीला होने की आशंका जताई गई है। रविवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक 245 के स्तर पर पहुंच गया। फसलों के अवशेष जलाने की वजह से हरियाणा के करनाल में यह सूचकांक 351 पर पहुंच गया। मुरथल में यह आंकड़ा दिल्ली के बराबर 245 रहा।
विशेषज्ञों के मुताबिक हवा की दिशा में परिवर्तन और रफ्तार कम होने की वजह से प्रदूषक तत्व आसपास ही बने हुए हैं। पराली जलाने की बढ़ती घटनाओं की वजह से अगले सप्ताह हालात और बिगडने की आशंका व्यक्त की गई है।
दिल्ली का सूचकांक शनिवार को 222 के स्तर पर पहुंचने के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की वजह से दिल्ली की हवा की गुणवत्ता खराब हो रही है।
संस्था सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फॉरकास्टिंग एंड रिसर्च(सफर)का पूर्वानुमान है कि पराली जलाने की वजह से दिल्ली में करीब छह फीसदी तक प्रदूषण हो सकता है जबकि शनिवार को यह दो फीसदी था।
हरियाणा के करनाल और आसपास के क्षेत्रों में पराली जलाने की सर्वाधिक घटनाएं होने की वजह से राजधानी की वायु गुणवत्ता बेहद खराब रही है। 11 अक्तूबर तक पंजाब में पराली जलाने के मामलों में 45 फीसदी तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है जबकि हरियाणा में ऐसी घटनाओं में कमी होने का दावा किया गया है।
पंजाब और हरियाणा की सरकारों ने पराली जलाने पर पाबंदी के साथ साथ किसानों को जागरूक करने के लिए वैकल्पिक उपायों को अपनाने के लिए उपकरणों की खरीदारी पर 50-80 फीसदी तक सब्सिडी दे रही है। बावजूद इसके फसलों के अवशेष जलाने के मामलों में कमी नहीं आई है, जिसका खामियाजा दिल्ली को भुगतना पड़ रहा है। दोनों राज्यों में पराली जलाने वालों के लगातार चालान किए जा रहे हैं।
वायु गुणवत्ता 50 तक होने पर हवा की गुणवत्ता अच्छी जबकि 50-100 होने पर इसे संतोषप्रद माना जाता है। 201-300 के बीच के सूचकांक को खराब जबकि 301-400 तक के सूचकांक को बेहद खराब की श्रेणी में रखा गया है। पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की बढ़ती घटनाओं की वजह से दिल्ली-एनसीआर के शहरों की हवा दिनोदिन बिगड़ती जा रही है।
शनिवार पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने सहित अन्य भौगोलिक कारणों की वजह से हवा की गुणवत्ता खराब की श्रेणी में पहुंच गया है। दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक 245 के स्तर पर था। गाजियाबाद 287, फरीदाबाद 233, नोएडा 275, बागपत 258 और मुरथल में सूचकांक दिल्ली के बराबर 245 रहा। शाम के वक्त प्रदूषण में और भी बढ़ोतरी का असर दिखने लगा। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक हरियाणा के करनाल में सूचकांक 351 दर्ज किया गया।
विशेषज्ञों के मुताबिक हवा की दिशा में परिवर्तन और रफ्तार कम होने की वजह से प्रदूषक तत्व आसपास ही बने हुए हैं। पराली जलाने की बढ़ती घटनाओं की वजह से अगले सप्ताह हालात और बिगडने की आशंका व्यक्त की गई है।
दिल्ली का सूचकांक शनिवार को 222 के स्तर पर पहुंचने के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की वजह से दिल्ली की हवा की गुणवत्ता खराब हो रही है।
संस्था सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फॉरकास्टिंग एंड रिसर्च(सफर)का पूर्वानुमान है कि पराली जलाने की वजह से दिल्ली में करीब छह फीसदी तक प्रदूषण हो सकता है जबकि शनिवार को यह दो फीसदी था।
हरियाणा के करनाल और आसपास के क्षेत्रों में पराली जलाने की सर्वाधिक घटनाएं होने की वजह से राजधानी की वायु गुणवत्ता बेहद खराब रही है। 11 अक्तूबर तक पंजाब में पराली जलाने के मामलों में 45 फीसदी तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है जबकि हरियाणा में ऐसी घटनाओं में कमी होने का दावा किया गया है।
पंजाब और हरियाणा की सरकारों ने पराली जलाने पर पाबंदी के साथ साथ किसानों को जागरूक करने के लिए वैकल्पिक उपायों को अपनाने के लिए उपकरणों की खरीदारी पर 50-80 फीसदी तक सब्सिडी दे रही है। बावजूद इसके फसलों के अवशेष जलाने के मामलों में कमी नहीं आई है, जिसका खामियाजा दिल्ली को भुगतना पड़ रहा है। दोनों राज्यों में पराली जलाने वालों के लगातार चालान किए जा रहे हैं।
वायु गुणवत्ता 50 तक होने पर हवा की गुणवत्ता अच्छी जबकि 50-100 होने पर इसे संतोषप्रद माना जाता है। 201-300 के बीच के सूचकांक को खराब जबकि 301-400 तक के सूचकांक को बेहद खराब की श्रेणी में रखा गया है। पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की बढ़ती घटनाओं की वजह से दिल्ली-एनसीआर के शहरों की हवा दिनोदिन बिगड़ती जा रही है।
शनिवार पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने सहित अन्य भौगोलिक कारणों की वजह से हवा की गुणवत्ता खराब की श्रेणी में पहुंच गया है। दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक 245 के स्तर पर था। गाजियाबाद 287, फरीदाबाद 233, नोएडा 275, बागपत 258 और मुरथल में सूचकांक दिल्ली के बराबर 245 रहा। शाम के वक्त प्रदूषण में और भी बढ़ोतरी का असर दिखने लगा। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक हरियाणा के करनाल में सूचकांक 351 दर्ज किया गया।