राम मंदिर मुद्दा पहली बार 200 साल पहले अंग्रेजी हुकूमत में उठा, अब आई फैसले की घड़ी - Bharat news, bharat rajniti news, uttar pradesh news, India news in hindi, today varanasi newsIndia News (भारत समाचार): India News,world news, India Latest And Breaking News, United states of amerika, united kingdom

.

अन्य विधानसभा क्षेत्र

बेहट नकुड़ सहारनपुर नगर सहारनपुर देवबंद रामपुर मनिहारन गंगोह कैराना थानाभवन शामली बुढ़ाना चरथावल पुरकाजी मुजफ्फरनगर खतौली मीरापुर नजीबाबाद नगीना बढ़ापुर धामपुर नहटौर बिजनौर चांदपुर नूरपुर कांठ ठाकुरद्वारा मुरादाबाद ग्रामीण कुंदरकी मुरादाबाद नगर बिलारी चंदौसी असमोली संभल स्वार चमरौआ बिलासपुर रामपुर मिलक धनौरा नौगावां सादात

बुधवार, 16 अक्तूबर 2019

राम मंदिर मुद्दा पहली बार 200 साल पहले अंग्रेजी हुकूमत में उठा, अब आई फैसले की घड़ी

राम मंदिर मुद्दा पहली बार 200 साल पहले अंग्रेजी हुकूमत में उठा, अब आई फैसले की घड़ी


अयोध्या मामला
अयोध्या मामला - फोटो : bharata rajneeti

खास बातें

  • अयोध्या विवाद मामले में नजदीक आ रही फैसले की घड़ी
  • साल 1813 में हिंदू संगठनों ने पहली बार किया था दावा
  • साल 2017 से अब तक मध्यस्थता के सारे प्रयास विफल रहे
अयोध्या विवाद मामले में फैसले की घड़ी नजदीक आ रही है। राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद की सुप्रीम कोर्ट में रोजाना हो रही सुनवाई का बुधवार को 40वां और अंतिम दिन है। इस दौरान कोर्ट में एक बार फिर सभी पक्षों की अंतिम दलीलें पेश होंगी। इसके बाद कोर्ट अपना फैसला सुरक्षित रखेगा, क्योंकि मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई कह चुके हैं कि फैसला लिखने में करीब चार हफ्ते लगेंगे। बहरहाल, इससे इतर क्या आप जानते हैं कि राम मंदिर का मुद्दा पहली बार अंग्रेजी हुकूमत के वक्त आज से करीब 206 साल पहले उठा था। यहां आप जान सकते हैं कि इस मामले में अब तक क्या कुछ हुआ है।

वर्ष 1813 में पहली बार किया गया था मंदिर को लेकर दावा

ब्रिटिश हुकूमत के वक्त साल 1813 में हिंदू संगठनों ने पहली बार यह दावा किया था कि वर्ष 1526 में जब बाबर आया तो उसने राम मंदिर को तुड़वाकर ही मस्जिद का निर्माण कराया था। उसी के नाम पर मस्जिद को बाबरी मस्जिद नाम से जाना गया। उस वक्त भी दोनों पक्षों के बीच हिंसात्मक घटनाएं हुई थीं।

ब्रिटिश सरकार ने साल 1859 में विवादित जगह पर तार की एक बाड़ बनवा दी। इसके बाद साल 1885 में पहली बार महंत रघुबर दास ने ब्रिटिश शासन के दौरान ही अदालत में याचिका देकर मंदिर बनाने की अनुमति मांगी थी।

पहली बार ढांचा साल 1934 में गिराया गया

साल 1934 में विवादित क्षेत्र को लेकर हिंसा भड़की। इस दौरान पहली बार विवादित हिस्सा तोड़ा गया। तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने तब इसकी मरम्मत कराई। इसके बाद 23 दिसंबर 1949 को हिंदुओं ने ढांचे के केंद्र स्थल पर रामलला की प्रतिमा रखकर पूजा-अर्चना शुरू की। इसके बाद से ही मुस्लिम पक्ष ने यहां नमाज पढ़ना बंद कर दिया और वह कोर्ट चला गया।

आजाद भारत में ऐसे बना बड़ा मुद्दा

साल 1950 में फैजाबाद की अदालत से गोपाल सिंह विशारद ने रामलला की पूजा-अर्चना करने के लिए विशेष अनुुमति मांगी थी। इसके बाद दिसंबर 1959 में निर्मोही अखाड़े ने विवादित स्थल को उसे हस्तांतरित करने और दिसंबर 1961 में उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड ने बाबरी मस्जिद के मालिकाना हक के लिए मुकदमा दायर कर दिया। इस तरह आजाद भारत में राम मंदिर का मुद्दा एक बार फिर बड़ा मुद्दा बनना शुरू हो गया।

विश्व हिंदू परिषद ने भी बनाया मुद्दा
विश्व हिंदू परिषद ने साल 1984 में बाबरी मस्जिद के ताले खोलने, राम जन्मभूमि को स्वतंत्र कराने और यहां विशाल मंदिर निर्माण के लिए एक अभियान शुरू किया। इस दौरान देशभर में जगह-जगह प्रदर्शन किए गए। विहिप के साथ भारतीय जनता पार्टी ने भी इस मुद्दे को हिंदू अस्मिता के साथ जोड़ते हुए संघर्ष शुरू किया।

बाबरी एक्शन कमेटी 1986 में बनाई गई

कोर्ट में चल रहे मामले के दौरान साल 1986 में फैजाबाद जिला न्यायाधीश की ओर से पूजा की इजाजत दी गई तब ताले दोबारा खोले गए। हालांकि इससे नाराज मुस्लिम पक्ष ने बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी गठित करने का फैसला लिया।

इसके बाद साल 1992 में 6 दिसंबर को कारसेवकों ने भारी संख्या में अयोध्या पहुंचकर मस्जिद का ढांचा एक बार फिर ढहा दिया। इस दौरान भी हिंसा भड़की, देशभर में सांप्रदायिक दंगे हुए और इसी दौरान अस्थाई राम मंदिर भी बनाया गया। इसके बाद से ही मंदिर निर्माण के लिए पत्थरों को तराशने के काम में तेजी भी आई। दिसंबर 1992 में ही लिब्रहान आयोग गठित किया गया।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने साल 2002 में सुनवाई शुरू की
अयोध्या के विवादित स्थल पर मालिकाना हक को लेकर साल 2002 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के तीन न्यायधीशों की खंडपीठ ने सुनवाई शुरू की। इसके बाद मार्च-अगस्त 2003 में हाईकोर्ट से मिले निर्देश पर पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने विवादित स्थल पर खुदाई की। विभाग ने दावा किया कि मस्जिद की खुदाई में विवादित ढांचे के नीचे मंदिर के अवशेष होने के प्रमाण मिले हैं।

हाईकोर्ट के फैसले को साल 2011 में सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई

साल 2011 में मामले की सुनवाई कर रही इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने विवादित क्षेत्र को रामलला विराजमान, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड को बराबर तीन हिस्सों में बांटने का फैसला दिया। लेकिन यह फैसला सभी पक्षों को स्वीकार नहीं था। ऐसे में फरवरी 2011 में हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। तब मई 2011 में सुप्रीम कोर्ट की 2 सदस्यीय पीठ में सुनवाई शुरू हुई।

साल 2017 से अब तक मध्यस्थता के सारे प्रयास विफल रहे
साल 2011 में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई तो शुरू हो गई, लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट से भेजे गए दस्तावेजों का अनुवाद नहीं हो पाने के कारण यह मामला टलता रहा। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने मामले में मध्यस्थता की पेशकश की, जो विफल रही। इसके बाद 6 अगस्त 2019 से सुप्रीम कोर्ट ने रोजाना सुनवाई कर जल्द से जल्द मामले का निपटारा करने की बात कही।

15वीं सदी से चल रहे विवाद का अंत नजदीक

अयोध्या विवाद पर 6 अगस्त 2019 से शुरू हुई रोजाना सुनवाई 16 अक्तूबर को खत्म हो जाएगी। 15वीं सदी से यह विवाद अब तक चला आ रहा है। हालांकि इसे प्रमुखता से 1813 में पहली बार उठाया गया। बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने साल 2010 में दिए अपने फैसले में विवादित जमीन को तीन हिस्सों में बांटने का फैसला दिया था। जिस पर बाद में सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी।

इसके बाद इसी मामले में विभिन्न पक्षों की ओर से 14 याचिकाएं दाखिल की गईं, जिन पर फिलहाल सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है। ऐसे में देखा जाए तो 15वीं सदी से चल रहे इस विवाद का अंत अब नजदीक आ गया है।


Loan calculator for Instant Online Loan, Home Loan, Personal Loan, Credit Card Loan, Education loan

Loan Calculator

Amount
Interest Rate
Tenure (in months)

Loan EMI

123

Total Interest Payable

1234

Total Amount

12345