
- सुप्रीम कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट कराने का फैसला सुनाया
- 27 नवंबर शाम 5 बजे तक कराया जाए फ्लोर टेस्ट
अब ऐसे में सवाल उठता है कि प्रोटेम स्पीकर कौन बनेगा. परंपरा के अनुसार, सदन के वरिष्ठतम सदस्य को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया जाता है. सबसे अधिक बार चुनकर आए विधायक को प्रोटेम स्पीकर बनाया जाता है, जिसे राज्यपाल मनोनित करते हैं. अब ऐसे में सवाल उठता है कि प्रोटेम स्पीकर बनाने में परंपरा को फॉलो किया जाएगा या नहीं.
6 नाम सुझाए गए
महाराष्ट्र विधानसभा में वरिष्ठता के आधार पर 6 नाम राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को भेज दिए गए हैं. इनमें कांग्रेस के बालासाहेब थोराट पहले और बीजेपी के कालीदास कलमकार के नाम भी दूसरे स्थान पर है.इन दोनों नेताओं के अलावा कांग्रेस के केसी पडवी, बहुजन विकास अगाडी पार्टी के हितेंद्र ठाकुर, पूर्व स्पीकर और एनसीपी नेती दिलीप वालसे पाटील और बीजेपी के बब्बन पचपुटे के नाम राज्यपाल को भेजे गए हैं. हालांकि बालासाहेब थोराट को कांग्रेस ने विधायक दल का नेता चुन लिया है, इस लिहाज से उनके प्रोटेम स्पीकर बनने की संभावना कम ही है.
पिछले साल 2018 में कर्नाटक विधानसभा में भी ऐसी ही स्थिति बनी थी. तब राज्यपाल वजुभाई वाला ने बीजेपी नेता केजी बोपैया को प्रोटेम स्पीकर चुन लिया जबकि सदन में कांग्रेस के आरवी देशपांड सबसे अनुभवी विधायक थे.
5 अहम कदम
कल बुधवार का दिन महाराष्ट्र विधानसभा के लिए काफी अहम रहने वाला है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कल सदन में 5 अहम काम होने हैं.पहला कदम- प्रोटेम स्पीकर का चुनाव होगा.
दूसरा कदम- प्रोटेम स्पीकर को राज्यपाल शपथ दिलाएंगे.
तीसरा कदम- प्रोटेम स्पीकर नवनिर्वाचित विधायकों को शपथ दिलाएंगे.
चौथा कदम- फ्लोर टेस्ट के लिए सदन में वोटिंग कराई जाएगी.
पांचवां कदम- वोटिंग के परिणामों का ऐलान करेंगे प्रोटेम स्पीकर.
कौन होता है प्रोटेम स्पीकर
प्रोटेम स्पीकर में प्रोटेम (Pro-tem) शब्द लैटिन भाषा के शब्द प्रो टैम्पोर (Pro Tempore) का संक्षिप्त रूप है. इस शब्द का अर्थ होता है- 'कुछ समय के लिए.' विधानसभा में प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति राज्यपाल करता है और इसकी नियुक्ति तब तक के लिए होती है जब तक विधानसभा अपना स्थायी विधानसभा अध्यक्ष (स्पीकर) नहीं चुन लेती.प्रोटेम स्पीकर नवनिर्वाचित विधायकों को शपथ दिलवाता है और शपथ ग्रहण की पूरी प्रक्रिया इन्हीं की देखरेख संपन्न कराई जाती है. सदन में जब तक विधायक शपथ नहीं ले लेते, तब तक उनको सदन का हिस्सा नहीं माना जाता. इसलिए सबसे पहले विधायकों को ही शपथ दिलाई जाती है.
जब विधायकों की शपथ हो जाती है तो उसके बाद ये लोग विधानसभा स्पीकर का चुनाव करते हैं. संसदीय परंपरा के मुताबिक राज्यपाल सदन में वरिष्ठतम सदस्यों में से किसी एक को प्रोटेम स्पीकर के लिए चुनते हैं. यही व्यवस्था विधानसभा के अलावा लोकसभा के लिए होती है