- तनाव के बीच ईरानी सांसद ने व्हाइट हाउस पर हमला करने की दी धमकी
- ईरान की संसद में अमेरिका के खिलाफ जमकर नारेबाजी, हमले की मांग
- तीन हजार अतिरिक्त अमेरिकी सैनिकों को पश्चिम एशिया में भेजा गया है
- भारत में अमेरिकी दूतावास ने अपने नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी की
अमेरिकी हमले में ईरान के जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या के बाद पश्चिम एशिया में तनाव गहराता जा रहा है। ईरान बार-बार कह रहा है कि वह अमेरिकी हमले का बदला लेकर रहेगा। रविवार को ईरानी सांसद अबुल फजल अबूतोराबी ने संसद सत्र में अमेरिका को व्हाइट हाउस पर हमला करने की धमकी दे डाली। उन्होंने कहा, हम अमेरिकियों को उनकी धरती पर ही सबक सिखाएंगे।
ईरानी संसद में अमेरिका के खिलाफ जमकर नारेबाजी हुई। सांसदों ने अमेरिका पर हमला करने की मांग भी की। ईरान पहले ही 35 अमेरिकी ठिकानों पर हमला करने की धमकी दे चुका है। वहीं, अमेरिका भी चेतावनी दे रहा है कि अगर फिर हमला हुआ तो उसे मुंहतोड़ सबक सिखाया जाएगा। क्षेत्र में जंग जैसे हालात बन गए हैं।
फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स, इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप के आंकड़ों के मुताबिक, पूरे पश्चिम एशिया में ईरान के चारों ओर 67,906 अमेरिकी सेनाएं हर वक्त मुस्तैद हैं और किसी भी अप्रत्याशित हालात से निपटने में भी सक्षम हैं। इनके अलावा ईरान से तनाव बढ़ने के बाद 3,000 अतिरिक्त अमेरिकी सेनाओं को पश्चिम एशिया में भेजा गया है। कुल मिलाकर 70 हजार से ज्यादा अमेरिकी सेनाएं ईरान के किसी भी हमले से निपटने के लिए तैयार हैं।
पश्चिम एशिया में कहां और कितनी हैं अमेरिकी सेनाएं
देश | सेना |
तुर्की | 2,500 |
सीरिया | 800 |
इराक | 6,000 |
जॉर्डन | 3,000 |
कुवैत | 13,000 |
सऊदी अरब | 3,000 |
बहरीन | 7,000 |
कतर | 13,000 |
यूएई | 5,000 |
ओमान | 606 |
अफगानिस्तान | 14,000 |
सैन्य रैंकिंग में भी अमेरिका पहले और ईरान 14वें पर
दुनियाभर के देशों की सैन्य क्षमताओं की रैंकिंग करने वाली वेबसाइट ग्लोबल फायर पावर ने अमेरिका को सैन्य क्षमता के मामले में पूरी दुनिया में नंबर वन पर रखा है। वहीं, 137 देशों की रैंकिंग में ईरान 14वें स्थान पर है। ईरान के पास 5.23 लाख सैनिक हैं। इसमें ईरान की आर्मी, नेवी, एयरफोर्स और ईरान रिवोल्यूशन गार्ड्स कॉर्प्स के सभी सैनिक शामिल हैं। ईरान की आबादी 8 करोड़ से ज्यादा है। कहा जा रहा है कि जरूरत पड़ने पर वह अपनी सैनिकों की संख्या में इजाफा कर सकती है। वहीं अमेरिका के पास कुल 13 लाख सैनिक हैं। अमेरिका की आबादी करीब 30 करोड़ है।
सुलेमानी का शव तेहरान पहुंचते ही रोने लगे लोग
ईरानी जनरल कासिम सुलेमानी और इराकी अर्द्धसैनिक बल के प्रमुख अबू महदी अल-मुहांदिस का बगदाद में जनाजा निकाला गया। मुहांदिस को बगदाद में दफनाया गया, जबकि सुलेमानी के शव को रविवार को ईरान ले जाया गया, जहां मंगलवार को उनके गृह नगर केरमान में उन्हें दफनाया जाएगा। शव को पहले अहवाज शहर फिर तेहरान ले जाया गया। दोनों ही जगहों पर सुलेमानी के जनाजे में लाखों लोग शामिल हुए।
जनाजे का सरकारी चैनल पर प्रसारण भी किया गया। लोग सुलेमानी का पोस्टर लेकर जोर-जोर से रो रहे थे और अमेरिका मुर्दाबाद, अमेरिका को जवाब दो, बदला लो, हमला करो जैसे नारे लगा रहे थे। ईरानी राष्ट्रपति हसन रुहानी ने सुलेमानी के घर जाकर उनके परिवार से मुलाकात की। इससे पहले बगदाद में सुलेमानी के जनाजे में लाखों लोगों के साथ इराकी पीएम आदिल अब्देल महदी ने भी शिरकत की।
हम चाहते हैं मामला सुलझ जाए: व्हाइट हाउस
व्हाइट हाउस के सुरक्षा सलाहकार रॉबर्ट ओ ब्रायन ने कहा, ‘राष्ट्रपति ट्रंप स्पष्ट करना चाहते हैं कि जिस रास्ते पर ईरानी चल रहे हैं वह बहुत ही गलत है। हम चाहते हैं कि मामला सुलझ जाए। अगर वे अमेरिका के खिलाफ जाएंगे तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।’ वहीं, अमेरिका के एक पूर्व सुरक्षा अधिकारी ने लिखा, ‘मेरे लिए यह विश्वास करना कठिन है कि पेंटागन ट्रंप को उन जगहों के बारे में बताएगा, जो ईरान की संस्कृति से जुड़े हुए हैं। किसी सांस्कृतिक स्थल पर हमला करना एक युद्ध अपराध है।’
मैक्रों ने पुतिन और एर्दोआन से फोन पर की बात
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन और तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्र्दोगन से साथ फोन पर पश्चिमी एशिया की स्थिति पर बात की। तीनों नेताओं ने खाड़ी क्षेत्र की स्थिति पर चिंता जताई और विभिन्न पक्षों से संयम से काम लेने की अपील की। वहीं, ब्रिटेन के विदेश मंत्री डॉमनिक राब ने विभिन्न पक्षों से अपील की है कि सुलेमानी की मौत के बाद टकराव की स्थिति को कम करने का प्रयास करें। मुठभेड़ हमारे हितों के मुताबिक नहीं है।
भारत में रह रहे अमेरिकियों को लेकर एडवाइजरी
भारत में अमेरिकी दूतावास ने अपने नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी की है। इसमें कहा गया, मध्य पूर्व में तनाव बढ़ गया है नतीजतन अमेरिकी नागरिकों को विदेशों में सुरक्षा जोखिम हो सकता है। अमेरिकी दूतावास के कर्मियों को निर्देश दिया जाता है कि वे अपने आसपास के बारे में जागरूक रहें, विरोध प्रदर्शन से बचें और स्थानीय मीडिया पर नजर रखें।