
गौरतलब हो कि सेना प्रमुख मनोज मुकुंद नरवणे ने कहा था कि यदि सेना को संसद से आदेश मिलता है तो वह पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) को अपने नियंत्रण में ले सकती है। सेना दिवस से पहले संवाददाता सम्मेलन में जनरल नरवणे ने यह भी कहा था कि सेना सियाचिन ग्लेशियर में बिल्कुल सतर्क है क्योंकि सामरिक रूप से इस संवेदनशील क्षेत्र में भारत के खिलाफ चीन और पाकिस्तान की मिलीभगत की संभावना है।
सेना प्रमुख ने कहा था, ‘जहां तक पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की बात है तो कई साल पहले इस पर संसद से एक प्रस्ताव पारित हुआ था कि पूरा जम्मू कश्मीर भारत का हिस्सा है। यदि संसद चाहती है कि यह क्षेत्र पूरी तरह हमारा हो जाए और यदि हमें उसके सिलसिले में आदेश मिलता है तो हम निश्चित ही उस दिशा में कार्रवाई करेंगे।’ वह इस सवाल का जवाब दे रहे थे कि क्या सेना पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को अपने कब्जे में लेने के लिए तैयार है।
फरवरी, 1994 में संसद में एक प्रस्ताव पारित हुआ था कि पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर के उन क्षेत्रों को पूरी तरह खाली करे जिन्हें उसने आक्रमण के जरिए कब्जा लिया था। उस प्रस्ताव में यह भी निश्चय किया गया था कि भारत के अंदरूनी मामलों में दखल की पाकिस्तान की किसी भी कोशिश से दृढ़ता से निपटा जाएगा।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी यह कहा था कि यदि पाकिस्तान के साथ बातचीत करनी हो तो वह बातचीत बस पीओके के विषय पर होनी चाहिए।
सियाचिन ग्लेशियर की स्थिति के बारे में पूछे जाने पर जनरल नरवणे ने कहा कि भारतीय सैन्यबलों को नजरें नहीं हटानी चाहिए क्योंकि उस क्षेत्र में चीन और पाकिस्तान के बीच मिलीभगत हो सकती है।