
- बगदाद में अमेरिकी दूतावास पर फिर रॉकेट हमला
- 2015 के अपने परमाणु समझौते की किसी भी सीमा का पालन नहीं करेगा ईरान
- ईरान के एलान के बाद तुर्की ने लीबिया में सैनिकों की तैनाती करना शुरू किया
- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान और इराक को दी प्रतिशोध की चेतावनी
- ईरान और वैश्विक ताकतों के बीच 2015 में परमाणु समझौते पर सहमति हुई थी
इराक की राजधानी बगदाद में स्थित अमेरिकी दूतावास पर फिर एक बार रॉकेट दागे गए। त्यक्षदर्शियों ने बताया कि कम से कम दो रॉकेट दूतावास के पास गिरे। हालांकि इस हमले में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रविवार को ही ईरान को चेतावनी देते हुए दोबारा हमला न करने की हिदायत दी थी। उन्होंने यह भी कहा था कि अगर फिर से हमले होते हैं तो ईरान को तबाह कर दिया जाएगा। वहीं ईरानी सेना ने पलटवार करते हुए कहा था कि अमेरिका में युद्ध करने का साहस नहीं है।
परमाणु समझौते से हटा ईरानईरान ने अपने ऊपर लगे परमाणु कार्यक्रम को संचालित करने वाले प्रतिबंध को हटा लिया है। ईरानी मीडिया ने यह जानकारी दी। ईरानी राज्य टीवी रिपोर्ट में कहा गया है कि ईरान अब 2015 के अपने परमाणु समझौते की किसी भी सीमा का पालन नहीं करेगा।
बता दें कि ईरान परमाणु समझौते से पीछे हटने के पांचवें चरण को अंतिम रूप दे चुका था। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अब्बास मौसवी ने रविवार को कहा, पांचवें चरण के संबंध में निर्णय पहले ही हो चुका था, मगर मौजूदा हालात को देखते हुए रविवार रात एक महत्वपूर्ण बैठक में अहम बदलाव किए गए। ईरान और वैश्विक ताकतों के बीच 2015 में परमाणु समझौते पर सहमति हुई थी, मगर अमेरिका 2018 में इससे पीछे हट गया था।
तुर्की ने लीबिया में सैनिकों की तैनाती कीवहीं, ईरान के इस एलान के बाद तुर्की ने लीबिया में सैनिकों की तैनाती करना शुरू कर दिया है। तुर्की के राष्ट्रपति रिसेप तैय्यप मे कहा कि लीबिया में तुर्की के सैनिकों की तैनाती शुरू हो गई है। दूसरी ओर, जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने इरान से अपना यह कदम वापस लेने की अपील की है।
ट्रंप ने कहा- हमला हुआ तो ईरान को तबाह कर देंगे
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान और इराक को चेतावनी दी है। ट्रंप ने कहा कि अगर ईरान ने हमला किया को उसे प्रतिशोध भुगतना होगा। वहीं, ट्रंप ने इरान को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर इराक से अमेरिकी सुरक्षा बलों को जाने के लिए मजबूर किया तो अमेरिका उस पर बहुत बड़े प्रतिबंध लगाएगा। यह लगातार दूसरी रात हुआ है जब ग्रीन जोन को निशाना बनाया गया है। साथ ही पिछले दो महीने में अमेरिकी प्रतिष्ठानों पर हमले की यह 14वीं घटना है।
क्या था समझौता
इस परमाणु समझौते के तहत ईरान ने अपने करीब नौ टन अल्प संवर्धित यूरेनियम भंडार को कम करके 300 किलोग्राम तक करने की शर्त स्वीकार की थी। यह तय किया गया था कि ईरान अपना अल्प संवर्धित यूरेनियम रूस को देगा और अपने यहां सेंट्रीफ्यूजों की संख्या घटाएगा। इसके बदले में रूस ईरान को करीब 140 टन प्राकृतिक यूरेनियम येलो केक के रूप में देगा।
यूरेनियम के इस कंपाउंड का इस्तेमाल बिजलीघरों के लिए परमाणु छड़ बनाने के लिए होता है। समझौते में एक शर्त यह भी थी कि आईएईए (अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी) को अगले 10 से 25 साल तक इस बात की जांच करने का अधिकार होगा कि ईरान संधि के प्रावधानों का पालन कर रहा है या नहीं। इन शर्तों के बदले में पश्चिमी देश ईरान पर लगाए गए प्रतिबंध हटाने पर सहमत हुए थे।
ट्रंप ने समझौते से अमेरिका को कर लिया था अलग
2015 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल में ईरान के साथ यह समझौता हुआ था। पिछले साल ट्रंप प्रशासन ने समझौते से अमेरिका को अलग कर लिया था। इसके बाद से ही विश्व शक्तियों के बीच हुए इसके भविष्य पर खतरा मंडरा रहा है।
इस परमाणु करार में ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, चीन और रूस भी शामिल हैं। मई से लेकर अब तक ईरान ने ऐसे अनेक कदम उठाए हैं, जो 2015 के समझौते की शर्तों का उल्लंघन करते हैं। इनमें यूरेनियम संवर्धन का काम भी शामिल है।
ईरान ने कहा था कि अमेरिका 2018 में इस करार से हट गया और उसने तेहरान पर नए सिरे से प्रतिबंध लगा दिए, जिसके बाद समझौते के तहत उसे अधिकार है कि वह जवाबी कार्रवाई करे।
इराकी संसद ने अमेरिकी सेना को देश से निकालने का प्रस्ताव पारित किया
इराकी संसद ने अमेरिकी सेना को देश को निकालने का प्रस्ताव रविवार को पारित किया। यहां के सांसदों ने देश में विदेशी सैन्य मौजूदगी खत्म करने के समर्थन में प्रस्ताव प्रस्तुत किया था। इराक में इस समय करीब 5 हजार अमेरिकी सैनिक हैं। ईरान के जनरल कासिम सुलेमानी की इराक में अमेरिका ने ड्रोन मिसाइल से हत्या कर दी थी। इसके दो दिन बाद यह कदम बढ़ते तनाव को देखते हुए उठाया गया।
प्रस्ताव में साफ तौर पर अमेरिका से चार वर्ष पहले हुआ समझौता रद्द करने की बात कही गई है, जिसके तहत अमेरिका ने आईएसआईएस से लड़ने के लिए इराक में सैनिक भेजे हैं। संसद के अधिकतर शिया सांसदों ने प्रस्ताव का समर्थन किया, वे बहुमत में भी हैं। वहीं कई सुन्नी और कुर्द सांसद सत्र में मौजूद नहीं थे, माना जा रहा है कि वे समझौता रद्द करने के पक्ष में नहीं थे।
ईरानी हैकरों ने हैक की अमेरिकी सरकारी एजेंसी की वेबसाइट
सैन्य कमांडर कासिम सुलेमानी की हवाई हमले में मौत के बाद ईरानी हैकरों ने अमेरिका की एक सरकारी एजेंसी की वेबसाइट हैक कर ली। हैकर ने अमेरिकी एजेंसी की वेबसाइट पर जनरल सुलेमानी की हत्या के लिए बदले का संदेश लिख दिया।
समाचार पत्र ‘द गार्जियन’ के मुताबिक, अमेरिका की फेडरल डिपोजिटरी लाइब्रेरी प्रोग्राम की वेबसाइट के स्थान पर ‘ईरानी हैकर्स’ शीर्षक के साथ एक पेज खुलने लगा। इस पर ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खामनेई और ईरानी झंडा दिख रहा था। पेज पर लिखा था, ‘सुलेमानी की शहादत... सालों तक उनके अथक प्रयासों का इनाम था।' पेज पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के चेहरे पर ईरान से छोड़ी गई एक मुट्ठी से घूंसा पड़ रहा है और मिसाइलें उड़ रही हैं।
तस्वीर पर आगे लिखा है, ‘जनरल सुलेमानी के जाने और ईश्वर की ताकत के साथ उनका काम और रास्ता बंद नहीं होगा और उनके खून और अन्य शहीदों के खून से अपने गंदे हाथ रंगने वाले उन अपराधियों से बदला लिया जाएगा।’ काली बैकग्राउंड के पेज पर सफेद रंग से एक और कैप्शन लिखा था, ‘ईरान की साइबर क्षमता का यह छोटा-सा नमूना है।’
'अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर हमला कर लेंगे सुलेमानी की हत्या का बदला'
ईरान और अमेरिका के बीच तनातनी बढ़ती जा रही है। ईरान के सुप्रीम लीडर अयातोल्लाह खमेनी के सैन्य सलाहकार होसैन देहघान ने रविवार को कहा कि सुलेमानी की हत्या का बदला अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर ईरानी सेना द्वारा हमला कर लिया जाएगा। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा ‘हमारा नेतृत्व कभी युद्ध नहीं चाहता था और न अब चाहते है’ लेकिन अमेरिका ने युद्ध की शुरुआत की है। उसने जो किया है उसके लिए उसे माकूल जवाब मिलेगा। इसके बाद वो दोबारा कभी ऐसा कुछ नहीं करेगा। मालूम हो कि देहघान ईरान केपूर्व रक्षामंत्री रहे हैं और इन्हें खमेनी का बहुत करीबी माना जाता है।
'अमेरिका सुरक्षित नहीं बचेगा'
देहघान ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप अगर ईरान के किसी भी सांस्कृतिक स्थान पर हमला करने का आदेश करते हैं, तो मैं दावा करता हूं कि कोई भी अमेरिकी सैन्यकर्मी, अमेरिकी राजनीति केंद्र, अमेरिकी मिलिट्री बेस और अमेरिकी पोत सुरक्षित नहीं बचेगा।
'ट्रंप के ट्वीट हास्यासपद और बेतुके'
ट्रंप के लगातार ट्वीट करने को लेकर देहघान ने कहा कि ये हास्यासपद और बेतुका है। ट्रंप को अंतरराष्ट्रीय कानून के बारे में जानकारी नहीं है। संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों को भी नहीं मानते हैं। असल में ट्रंप एक गैंगस्टर और जुआरी है। वो एक राजनेता नहीं हैं और न ही उनमें मानसिक स्थिरता है।
विदेश मंत्री मौसवी बोले, हम चुप नहीं रहेंगे
ईरान के विदेश मंत्री अब्बास मौसवी ने भी रविवार को कहा है कि हम अमेरिका की किसी भी धमकी से डरेंगे नहीं। उन्होंने कहा कि ईरान युद्ध नहीं चाहता है लेकिन हम पूरी तरह तैयार हैं। अमेरिका ने जो किया है वो अंतरराष्ट्रीय कानून के खिलाफ है। सभी अंतरराष्ट्रीय संगठनों को इस जघन्य अपराध के खिलाफ एकजुट होना होगा।
ईराक से अमेरिकी सेना को बाहर करने के लिए बैठक
ईरान और अमेरिका में तनातनी के बीच ईरान की सरकार जल्द ही संसद में बैठक कर अमेरिकी सेना को ईराक से बाहर निकालने के लिए संसद में प्रस्ताव पारित कराने के लिए मतदान करा सकती है। शिया लॉ मेकर और संसद के कानून समिति के सदस्य अम्मार अल शिबली ने कहा कि ‘ईराक में अमेरिकी सेना की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि उनकी लड़ाई आईएसआईएल के खात्मे के साथ खत्म हो चुकी है’। उन्होंने कहा कि हमारे पास अपने जवान हैं जो अपने देश की सुरक्षा कर सकते हैं। मालूम हो कि ईराक में अभी करीब पांच हजार अमेरिकी सेना की टुकड़ियां मौजूद हैं।
'डोनाल्ड ट्रंप सूट में आतंकवादी'
ईरान के सूचना एवं दूरसंचार मंत्री मोहम्मद जवाद अजारी जहरोमी ने ट्वीट कर कहा है कि आईएसआईएस और हिटलर जैसे लोग संस्कृति को पसंद नहीं करते हैं। ट्रंप सूट वाले आतंकवादी हैं। वो जल्द ही इतिहास को समझ जाएंगे कि कोई भी ईरान जैसे भव्य देश और उसकी संस्कृति को हरा नहीं सकता है।
ट्रंप के दावे से भारत-ईरान संबंधों पर नहीं पडे़गा फर्क: ईरानी मंत्री
ईरान के सांस्कृतिक दिशानिर्देश मामलों के उप मंत्री मोहसिन जावदी ने कहा है कि दिल्ली में आतंकी साजिश के तेहरान से संबंध होने के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दावे से भारत-ईरान के मजबूत संबंधों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगा। दिल्ली में रविवार को जावदी ने कहा, भारत और ईरान में मजबूत, परिपक्व संबंध हैं। मेरा मानना है कि ऐसी किसी घटना से दोनों देशों के रिश्तों पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। ट्रंप ने कहा था कि मारे गए ईरानी जनरल कासिम सुलेमानी का हाथ दिल्ली और इस्रायली हमलों के पीछे भी था।
सुलेमानी की बेटी ने कहा, हिज्बुल्लाह लेगा बदला
ईरानी जनरल कासिम सुलेमानी की बेटी जैनब सुलेमानी ने रविवार को कहा, मेरे पिता का खून यूं ही बेकार नहीं जाएगा। हिज्बुल्लाह नेता हसन नसराल्लाह मेरे पिता की मौत का बदला लेंगे। इससे पहले ईरानी राष्ट्रपति हसन रुहानी जब कमांडर सुलेमानी के घर पहुंचे तो जैनब ने पूछा, मेरे पिता की हत्या का बदला कौन लेगा? तो रुहानी ने जवाब दिया, हम सब। जैनब और रुहानी की यह बातचीत ईरान के सरकारी टीवी चैनल पर प्रसारित की गई। रुहानी ने जैनब को सांत्वना देते हुए कहा, खुदा आपको सब्र दे। इस दर्द और दुख की घड़ी में खुदा आपके साथ है और इसका इंसाफ मिलेगा। हम सब बदला लेंगे, आप इसकी चिंता मत कीजिए।