
केरल में पिनराई विजयन के नेतृत्व वाली सरकार ने हाल ही में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को रद्द करने की मांग वाले प्रस्ताव को राज्य विधानसभा से पारित करवा लिया है। साथ ही उनका कहना है कि केरल में यह कानून लागू नहीं होगा। इसे लेकर राज्य के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान का कहना है कि इसका कोई कानूनी आधार नहीं हैं।
राज्यपाल आरिफ मोहम्मद ने प्रस्ताव को लेकर कहा, 'इस प्रस्ताव का कोी कानूनी या संवैधानिक आधार नहीं है क्योंकि नागरिकता संशोधन कानून पूरी तरह से केंद्र का विषय है। इसका अशल में कोई मतलब नहीं है।' प्रस्ताव को पेश करते हुए विजयन ने कहा था कि सीएए धर्मनिरपेक्ष नजरिए और देश के ताने बाने के खिलाफ है तथा इसमें नागरिकता देने में धर्म के आधार पर भेदभाव होगा।
विधानसभा में केरल के मुख्यमंत्री ने कहा था, 'केरल में धर्मनिरपेक्षता, यूनानियों, रोमन, अरबों का एक लंबा इतिहास रहा है। हर कोई हमारी भूमि पर पहुंचा है। ईसाई और मुस्लिम शुरुआत में केरल पहुंच गए थे। हमारी परंपरा समावेशिता की है। हमारी विधानसभा को इस परंपरा को जीवित रखने की आवश्यकता है।' विजयन ने विधानसभा को यह भी आश्वासन दिया था कि इस दक्षिणी राज्य में कोई हिरासत केंद्र (डिटेंशन सेंटर) नहीं खोला जाएगा।
डीएमके ने केरल का किया समर्थन, कहा अनुकरण करे सरकार
केरल विधानसभा में नागरिकता संशोधन अधिनियम को खत्म करने के प्रस्ताव को तमिलनाडु की विपक्षी पार्टी डीएमके ने समर्थन किया है। डीएमके ने मंगलवार को सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक से कहा कि तमिलनाडु सरकार केरल का अनुकरण करे और संविधान की रक्षा के लिए विवादास्पद कानून के खिलाफ तमिलनाडु विधानमंडल में इसी तरह का कदम उठाए।डीएमके अध्यक्ष एमके स्टालिन ने कहा कि केरल का कदम स्वागत योग्य है। डीएमके प्रमुख ने एक फेसबुक पोस्ट में कहा, इस देश के लोगों की इच्छा है कि हर राज्य विधानसभा को संविधान की बुनियादी विशेषताओं की रक्षा के लिए ऐसा संकल्प अपनाना चाहिए।