
गौरतलब है कि हरियाणा सरकार में बीते कई दिनों से सरकार में सीआईडी विभाग को लेकर कशमकश चल रही है है। प्रदेश सरकार के अनुसार, विधानसभा ने सभी मंत्रियों के विभागों की स्थिति स्पष्ट की है। विभागों के आवंटन के मुताबिक सीआईडी मुख्यमंत्री के पास है, जबकि गृह विभाग जिम्मा कैबिनेट मंत्री अनिल विज के पास है।
गृह मंत्री की कुर्सी संभालने के बाद विज सीआईडी को भी अपने अधीन ही समझते रहे, जबकि ये विभाग उनके पास था ही नहीं। गलतफहमी उस गजट नोटिफिकेशन से हुई जो मंत्रियों को विभागों के बंटवारे के समय जारी हुआ था। उसमें सीआईडी विभाग का उल्लेख स्पष्ट तौर पर नहीं था।
विज के पास गृह विभाग दिखाया गया था, इसलिए वह समझ बैठे कि सीआईडी भी गृह विभाग का ही हिस्सा है। जबकि, सीआईडी विभाग सीएम के पास था। इसे सीएम के विभागों में विधानसभा की वेबसाइट पर 12वें नंबर पर दिखाया गया है।
सरकार में पिछले दिनों सीआईडी को लेकर मुख्यमंत्री और गृह मंत्री अनिल विज के बीच टंग ऑफ वॉर भी चला। विज ने सीआईडी से विधानसभा चुनाव की वह गोपनीय रिपोर्ट देने को कहा, जिसमें विधानसभा अनुसार हार-जीत का विश्लेषण किया गया हो। सीआईडी ने इसके बजाए और रिपोर्ट भेज दी, जिसे विज ने लौटा दिया और पूरी रिपोर्ट देने को कहा।
इसके बाद ये मुदद्दा आलाकमान तक भी पहुंच गया। जिसके बाद सीएम मनोहर लाल ने अनिल विज को बातचीत के लिए बुलाया। दोनों सचिवालय से एक ही वाहन में सीएम निवास गए। इस दौरान विज को सीएम ने साफ कर दिया था कि सीआईडी विभाग उनके पास नहीं है। इसके बाद सीआईडी ने भी विज को एक लाइन का जवाब भेजा कि उन्होंने विधानसभा चुनाव का हलका अनुसार विश्लेषण किया ही नहीं है।
तब तक विज के तेवर नरम पड़ चुके थे और इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। सीआईडी विभाग को सीएम के पास दिखाने पर भी विज ने कोई प्रतिक्रिया अभी तक नहीं दी है। 42 वर्ष पूर्व तत्कालीन मुख्यमंत्री देवी लाल ने जनवरी, 1978 में जब भाजपा के वरिष्ठ नेता मंगल सेन को गृह मंत्री बनाया था, उसी समय सरकारी नोटिफिकेशन में स्पष्ट कर दिया था कि यह सीआईडी के बिना होगा। आज तक सीआईडी को सीएम अपने पास ही रखते आए हैं।