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शनिवार, 10 जुलाई 2021
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कोरोना से बच्चों की जान जाने का खतरा न के बराबर, आसानी से संक्रमण से उबर जाते हैं 99.99%
कोरोना से बच्चों की जान जाने का खतरा न के बराबर, आसानी से संक्रमण से उबर जाते हैं 99.99%
कोरोना से बच्चों की जान जाने का खतरा न के बराबर, आसानी से संक्रमण से उबर जाते हैं 99.99%
कोरोना संक्रमण से बच्चों के गंभीर रूप से बीमार पड़ने या उनकी जान जाने का खतरा नहीं के बराबर है। यह दावा ब्रिटेन स्थित कई विश्वविद्यालयों के वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन के आधार पर किया है। शोध रिपोर्ट के मुताबिक बच्चों के कोरोना से उबरने की दर 99.995 फीसदी है।
केवल उन्हीं बच्चों के कोरोना संक्रमण के कारण अधिक गंभीर रूप से बीमार होने का खतरा रहता है, जो पहले से ही किसी बीमारी से पीड़ित हैं। ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी में बालरोग विभाग के रजिस्ट्रार डॉ. क्लेर स्मिथ की देखरेख में किए गए अध्ययन के मुताबिक ब्रिटेन में मार्च 2020 से फरवरी 2021 के बीच 61 बच्चों और किशोरों की मौत हुई। लेकिन इनमें से कोरोना के कारण केवल 25 बच्चों की जान गई, जबकि इस अवधि के दौरान कुल 4,69,000 बच्चे संक्रमित हुए थे। इसका मतलब ब्रिटेन में कोरोना संक्रमित 99.995 फीसदी बच्चे कोरोना को हराने में सफल रहे।
शोध में ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी के अलावा यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (यूसीएल), इंपीरियल कॉलेज लंदन, यूनिवर्सिटी ऑफ यॉर्क और यूनिवर्सिटी ऑफ लिवरपूल के विशेषज्ञों ने भी हिस्सा लिया। इन शोधकर्ताओं ने अपनी रिपोर्ट में 18 साल से कम उम्र के लोगों के लिए टीकाकरण की नीति सुझाई है। यूसीएल ग्रेट ऑरमंड स्ट्रीट इंस्टीट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ के डॉ. जोसेफ वार्ड के एक अन्य शोध में पाया गया कि ब्रिटेन में महामारी की शुरुआत से लेकर फरवरी, 2021 के बीच 18 वर्ष से कम उम्र के केवल 251 बच्चों को आईसीयू में भर्ती कराने की जरूरत पड़ी।
5 लाख में एक बच्चे को खतरा:
ब्रिटेन के आंकड़ों के विश्लेषण से साफ है कि कोरोना संक्रमित पांच लाख बच्चों में से जान जाने का खतरा केवल एक बच्चे को है। यानी हर 10 लाख बच्चों पर कोरोना से मरने की दर दो है। इसके आधार पर ही शोध में शामिल प्रोफेसर रसेल वाइनर ने कहा कि कोरोना से गंभीर रोग या मृत्यु का खतरा बच्चों और किशोरों में बहुत कम है।
भर्ती होने की नौबत कम आती :
विशेषज्ञों ने अपने शोध में पाया कि 50 हजार कोरोना संक्रमित बच्चों में से केवल एक को अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ती है। बच्चों में कोरोना संक्रमण के बाद पाए जाने वाले दुर्लभ इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम (पीआईएमएस-टीएस) का खतरा 40 हजार में से केवल एक बच्चे में पाया गया।
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