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शुक्रवार, 16 जुलाई 2021
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Partisanship : भारत में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान पश्चिमी मीडिया ने की एकतरफा रिपोर्टिंग, आईआईएमसी के सर्वे में खुलासा
Partisanship : भारत में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान पश्चिमी मीडिया ने की एकतरफा रिपोर्टिंग, आईआईएमसी के सर्वे में खुलासा
कोरोना की दूसरी लहर के दौरान पश्चिमी मीडिया ने भारत के साथ पक्षपातपूर्ण व्यवहार किया। महामारी की एकतरफा रिपोर्टिंग की गई। यह खुलासा भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) द्वारा किए गए एक सर्वे में हुआ, जिसमें 82 फीसदी भारतीय मीडियाकर्मियों ने माना कि पश्चिमी देशों के मीडिया द्वारा भारत में जारी कोविड-19 महामारी की रिपोर्टिंग अप्रामाणिक रही।
कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान भारत का हाल किसी से छिपा नहीं था। उस दौरान जनता की हालत बेहद खराब रही। यहां तक कि लोगों को पर्याप्त स्वास्थ्य सेवाएं भी नहीं मिलीं। इसके बावजूद एक ऐसा सच सामने आया है, जो हर किसी को हैरान कर देगा। दरअसल, कोरोना की दूसरी लहर के दौरान पश्चिमी मीडिया ने भारत के साथ पक्षपातपूर्ण व्यवहार किया। महामारी की एकतरफा रिपोर्टिंग की गई।
यह खुलासा भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) द्वारा किए गए एक सर्वे में हुआ, जिसमें 82 फीसदी भारतीय मीडियाकर्मियों ने माना कि पश्चिमी देशों के मीडिया द्वारा भारत में जारी कोविड-19 महामारी की रिपोर्टिंग अप्रामाणिक रही। सर्वे में प्रतिभागियों ने पश्चिमी मीडिया की कवरेज को पूरी तरह से पक्षपाती, आंशिक रूप से प्रामाणिक या फिर पूरी तरह से अप्रमाणिक बताया। वहीं, 69 फीसदी मीडियाकर्मियों का मानना है कि इस अप्रामाणिक कवरेज से विश्व स्तर पर भारत की छवि धूमिल हुई, जबकि 56 फीसदी उत्तरदाताओं का कहना है कि इस तरह की कवरेज से विदेशों में बसे प्रवासी भारतीयों के मन में अपने देश के प्रति राय नकारात्मक रूप से प्रभावित हुई।
जून 2021 में कराया गया था सर्वे
जानकारी के मुताबिक, आईआईएमसी के आउटरीच विभाग ने यह सर्वे जून 2021 के दौरान कराया। इस का विषय 'पश्चिमी मीडिया द्वारा भारत में कोविड-19 महामारी की कवरेज का एक अध्ययन' था, जिसमें एक सप्ताह के दौरान 529 प्रतिक्रियाएं मिलीं। प्रतिक्रिया देने वालों में 215 मीडिया स्कॉलर्स, 210 पत्रकार और 104 मीडिया शिक्षक थे। बता दें कि इनमें विभिन्न आयु वर्ग के पत्रकारों, मीडिया शिक्षकों और मीडिया स्कॉलर्स को शामिल किया गया था, जिनमें 18 से 30 वर्ष के 46 फीसदी, 31 से 40 वर्ष के 24 फीसदी और 41 व उससे अधिक आयु वर्ग के 30 फीसदी लोग शामिल थे।
सर्वे के प्रतिभागियों में 64 प्रतिशत पुरुष और 36 प्रतिशत महिला थीं। इनमें प्रिंट से जुड़े 97 फीसदी, डिजिटल से संबंधित 49 फीसदी और ब्रॉडकास्ट मीडिया से ताल्लुक रखने वाले 29 फीसदी लोग थे। यानी कि लगभग 29 प्रतिशत उत्तरदाता एक से अधिक मीडिया प्लेटफॉर्म से जुड़े थे। पत्रकारों में सर्वाधिक प्रतिक्रियाएं हिंदी मीडिया से जुड़े लोगों (149) की थी। उसके बाद, अंग्रेजी मीडिया (31), द्विभाषी अंग्रेजी-हिंदी मीडिया (17) और भारतीय क्षेत्रीय भाषाओं के समाचार संगठनों से मीडियाकर्मी (11) जुड़े थे।
पश्चिमी मीडिया की कवरेज पर दी यह राय
सर्वे में शामिल 82 फीसदी उत्तरदाता पश्चिमी मीडिया द्वारा भारत में कोविड महामारी की कवरेज से आश्वस्त नहीं थे। 18 फीसदी का मानना था कि विदेशी मीडिया की रिपोर्टिंग प्रामाणिक थी। जानकारी के मुताबिक, उत्तरदाताओं से पूछा गया था कि क्या वे पश्चिमी मीडिया द्वारा भारत में कोविड-19 महामारी की कवरेज को प्रामाणिक मानते हैं? इस पर 82% उत्तरदाताओं में से 46% ने इसे आंशिक रूप से प्रामाणिक माना। 15 फीसदी ने इसे पूरी तरह से पक्षपाती या अप्रमाणिक कहा, जबकि सात फीसदी ने इसे आंशिक रूप से पक्षपाती करार दिया।
क्या देश-विदेश में धूमिल हुई भारत की छवि?
अधिकांश उत्तरदाताओं के मन में इस बात को लेकर कोई संदेह नहीं है कि पश्चिमी मीडिया द्वारा की गई 'पक्षपातपूर्ण' कवरेज ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया। कम से कम 69 फीसदी उत्तरदाताओं का मानना है कि इस तरह की कवरेज से भारत की छवि धूमिल हुई, जबकि 11 फीसदी ऐसा नहीं मानते। शेष उत्तरदाताओं ने इस मसले पर कोई राय नहीं दी।
क्या प्रवासी भारतीयों पर पड़ा विपरीत प्रभाव?
पश्चिमी मीडिया में भारत के बारे में प्रकाशित कोई भी खबर विदेशों में रहने वाले प्रवासी भारतीयों की सोच को प्रभावित कर सकती है। यदि विदेशी मीडिया अपनी रिपोर्टिंग के माध्यम से अच्छी तस्वीर पेश करते हैं तो प्रवासी भारतीय अपने देश के बारे में खुश होंगे। यदि भारत के विरुद्ध लगातार एजेंडा-संचालित रिपोर्टिंग होती है तो वह विदेशों में बसे भारतीय-मूल के नागरिकों को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है। कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान हुआ।
ऐसे में तय माना जा रहा है कि पश्चिमी मीडिया की नकारात्मक कवरेज ने प्रवासी भारतीयों को अपनी मातृभूमि में रहने वाले अपने प्रियजनों को लेकर चिंतित किया होगा। आधे से अधिक उत्तरदाताओं ने इस मसले पर सहमति जताई। करीब 56 फीसदी उत्तरदाताओं का कहना था कि इस तरह की नकारात्मक कवरेज से विदेशों में बसे भारतीयों की राय प्रभावित हो सकती है, जबकि लगभग 12 फीसदी उत्तरदाताओं ने इसे मानने से इनकार कर दिया। हालांकि, करीब 32 प्रतिशत लोगों ने अपनी राय व्यक्त नहीं की।
क्या विदेशी मीडिया ने की एजेंडा संचालित और पक्षपाती रिपोर्टिंग?
सर्वेक्षण में शामिल 60 फीसदी मीडियाकर्मियों का मानना है कि पश्चिमी मीडिया द्वारा भारत में कोविड महामारी की कवरेज एक पूर्व निर्धारित एजेंडा के तहत की गई। उत्तरदाताओं से पूछा गया कि क्या वे इस कथन से सहमत हैं कि पश्चिमी मीडिया में भारत से संबंधित कोविड-19 महामारी की कवरेज एजेंडा-आधारित थी और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि को खराब करने के लिए की जा रही थी? 36 फीसदी मीडियाकर्मी इससे सहमत दिखे, जबकि 24 फीसदी ने पूरी तरह सहमति जाहिर की। इसके अलावा 10 प्रतिशत इस बात से असहमत तो चार फीसदी पूरी तरह असहमत रहे। 25 फीसदी लोगों ने इस पर कोई राय नहीं दी।
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