काबुल पर कब्जा करने के बाद अब तालिबान ने सरकार बनाने की कवायद शुरू कर दी है। सरकार गठन से पहले अफगानिस्तान को चलाने के लिए तालिबान अलग-अलग विभागों का प्रमुख नियुक्त कर रहा है। इसी क्रम में तालिबान ने दुनिया की सबसे खतरनाक जेल के कैदी और शांतिवार्ता के विरोधी रहे आतंकी को देश के रक्षा विभाग की कमान सौंप दी है। 20 साल बाद अफगान में वापसी करने वाले तालिबान ने ग्वांतानामो बे जेल के पूर्व बंदी मुल्ला अब्दुल कय्यूम जाकिर को अफगानिस्तान का अंतरिम रक्षा मंत्री नियुक्त किया है। अल जज़ीरा समाचार चैनल ने तालिबान के एक सूत्र का हवाला देते हुए यह जानकारी दी है।
बताया जाता है कि मुल्ला अब्दुल कय्यूम जाकिर एक अनुभवी तालिबानी कमांडर है और तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर का करीबी सहयोगी भी है। रॉयटर्स के अनुसार, अमेरिका में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में आतंकी हमले के बाद उसे 2001 में अमेरिकी नेतृत्व वाली सेनाओं ने पकड़ लिया था और 2007 तक ग्वांतानामो बे की जेल में बंदी बनाकर रखा गया था। बाद में उसे रिहा कर दिया गया और अफगान सरकार को सौंप दिया गया। मुल्ला अब्दुल की गिनती तालिबान के खूंखार आतंकियों में होती है। बता दें कि ग्वांतानामो बे क्यूबा में अमेरिकी सेना की एक उच्च सुरक्षा वाली जेल है, जहां हाई-प्रोफाइल आतंकवादियों को कैद में रखा जाता है।
जबकि तालिबान ने अभी तक अफगानिस्तान में एक औपचारिक सरकार का गठन नहीं किया है, हालांकि, देश को चलाने के लिए आतंकी समूह ने अपने कुछ नेताओं को प्रमुख पदों पर नियुक्त किया है। इसी क्रम में हाजी मोहम्मद इदरीस को देश के केंद्रीय बैंक दा अफगानिस्तान बैंक (डीएबी) का 'कार्यवाहक प्रमुख' नियुक्त किया गया है।
इस खबर की पुष्टि करते हुए तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने कहा कि इदरीस को "सरकारी संस्थानों और बैंकिंग मुद्दों को व्यवस्थित करने और लोगों की समस्याओं को दूर करने के उद्देश्य से" नियुक्त किया गया है। अफगानिस्तान की समाचार एजेंसी पझवोक के अनुसार, तालिबान द्वारा गुल आगा को कार्यवाहक वित्त मंत्री और सदर इब्राहिम को कार्यवाहक आंतरिक मंत्री के रूप में नामित किया गया था।
बता दें कि कई वरिष्ठ अधिकारियों और पूर्व अफगान सरकार से जुड़े अन्य लोगों के छिपने या निर्वासन में होने के कारण तालिबान विद्वानों, विशेषज्ञों और तकनीकी विशेषज्ञों को अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए काम पर लौटने के लिए मनाने की कोशिश कर रहा है। यही वजह है कि तालिबान ने ऐसे लोगों को देश नहीं छोड़ने को कहा है और अफगान में ही रहकर काम करने की अपील की है।