उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव के लिए अपने क्षेत्रीय सहयोगियों के साथ गठबंधन मजबूत कर रही भारतीय जनता पार्टी (BJP) अब जनता दल (यूनाइटेड) के साथ भी सीमित तालमेल कर सकती है। इस बारे में दोनों दोनों दलों के वरिष्ठ नेताओं के बीच बातचीत भी हुई है। बिहार से सटे उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती लगभग दो दर्जन विधानसभा क्षेत्रों में जदयू का प्रभाव माना जाता है।
भाजपा और जदयू के बीच गठबंधन बिहार तक सीमित है। उत्तर प्रदेश में पूर्व में भाजपा और जदयू के बीच गठबंधन रहा है, लेकिन बीते कुछ सालों से दोनों दल दलों के बीच कोई चुनावी तालमेल नहीं रहा है। भाजपा नेता इसकी वजह उत्तर प्रदेश में जदयू का जनाधार न होना मानते हैं, लेकिन सामाजिक समीकरणों को देखते हुए इस बार दोनों दलों के नेताओं के बीच बातचीत हो रही है।
दरअसल बिहार के सीमावर्ती उत्तर प्रदेश के लगभग दो दर्जन विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहां पर जदयू खुद को प्रभावी होने का दावा कर रहा है। इसके अलावा जदयू नेताओं का यह भी कहना है कि उत्तर प्रदेश के कुर्मी और भूमिहार वर्ग में उसकी अच्छी खासी पैठ है। गठबंधन होने पर भाजपा को इसका ज्यादा लाभ मिल सकता है।
जदयू के महासचिव केसी त्यागी काफी समय से भाजपा नेताओं के संपर्क में हैं और उनका कहना है कि भाजपा और जदयू के वरिष्ठ नेताओं के बीच इस बारे में दो दौर की बातचीत भी हो चुकी है। इनमें गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के साथ जदयू के शीर्ष नेतृत्व की बातचीत शामिल है। गौरतलब है कि इससे पहले केसी त्यागी गठबंधन न होने पर राज्य में अकेले ही चुनाव लड़ने की बात भी कह चुके हैं, लेकिन उन्होंने साफ किया है जदयू की प्राथमिकता भाजपा के साथ गठबंधन पर है और उसके प्रयास लगातार जारी हैं।
अगले सप्ताह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) जातीय जनगणना के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने दिल्ली आ रहे हैं। सूत्रों का कहना है इस दौरान भाजपा और जदयू नेताओं के बीच उत्तर प्रदेश को लेकर अनौपचारिक बातचीत हो सकती है। जदयू के एक वरिष्ठ नेता ने कहा है कि अभी चुनाव में समय है और धीरे-धीरे बातचीत आगे बढ़ रही है। उन्होंने ने दावा किया कि अगर दोनों दल साथ आते हैं तो उसका ज्यादा लाभ भाजपा को ही मिलेगा, क्योंकि वह ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ रही है। जदयू कितनी सीटों पर लड़ेगा इस बारे में वह कोई दावा नहीं करना चाहते लेकिन जो भी स्थिति होगी वह सम्मानजनक होगी।
जदयू का यह भी कहना है कि गठबंधन होने की स्थिति में नीतीश कुमार (Nitish Kumar) भी चुनाव प्रचार मैदान में उतरेंगे और निश्चित तौर पर उनके प्रचार से भाजपा को एक अतिरिक्त लाभ की स्थिति बनेगी। इससे एक नया सामाजिक संदेश भी जाएगा।