Ratan TATA : कभी रतन टाटा की बेइज्जती की थी फोर्ड मोटर्स ने, आज खुद के कारोबार की बज गई बैंड, भारत छोड़ने पर होना पड़ा मजबूर - Bharat news, bharat rajniti news, uttar pradesh news, India news in hindi, today varanasi newsIndia News (भारत समाचार): India News,world news, India Latest And Breaking News, United states of amerika, united kingdom

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गुरुवार, 9 सितंबर 2021

Ratan TATA : कभी रतन टाटा की बेइज्जती की थी फोर्ड मोटर्स ने, आज खुद के कारोबार की बज गई बैंड, भारत छोड़ने पर होना पड़ा मजबूर

Ratan TATA : एक दौर ऐसा आया कि, 1999 में टाटा ग्रुप ने कार कारोबार समेटने की योजना बना ली। इससे रतन टाटा बेहद निराश हो गए थे। सॉल्ट टू स्टील कंपनी का तमगा लेकर घूम रहे रतन टाटा के लिए ये एक बड़ा झटका था।

नई दिल्ली। फोर्ड मोटर्स ने भारत में अपनी दोनों मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स में ताला लगाने का फैसला किया है। ये साणंद और चेन्नई हैं। इस खबर के बाद से इन दोनों यूनिट में काम कर रहे 4000 लोगों के चेहरे उदास हो गए हैं। बता दें कि वाहन निर्माता कंपनी का बाजार से बाहर निकलने का प्लान है। मिली जानकारी के मुताबिक कंपनी को दो अरब डॉलर के घाटा लगा है, जिसकी वजह से कंपनी की कमर टूट गई है, और कंपनी ने साणंद और चेन्नई यूनिट्स को बंद करने का फैसला किया है। हालांकि आज भले ही फोर्ड अपनी दो यूनिट्स को बंद कर रहा हो लेकिन एक समय ऐसा भी रहा कि फोर्ड मोटर्स ने रतन टाटा की बेइज्जती की थी। लेकिन तब ये किसी ने नहीं सोचा था कि, इस घमंडी अमेरिकी कंपनी की हालत इतनी जल्दी इस तरह से हो जाएगी कि इसे अपने यूनिट्स पर ताला लगाना पड़ेगा।


दरअसल बात 1991 की है। जब टाटा ग्रुप के चेयरमैन बने थे रतन टाटा। इस दौरान टाटा मोटर्स की पहचान ट्रक बनाने के मामले में सबसे बड़ी कंपनी के तौर थी। वहीं 1998 में टाटा मोटर्स ने कार बनाने के क्षेत्र में उतरने का फैसला किया। साल के आखिर में टाटा इंडिका लांच कर दी। वैसे इंडिका अपने आप में पहली मॉडर्न कार थी जिसे किसी भारतीय कंपनी ने डिजाइन किया। इसको लेकर टाटा दिन-रात काम करने लगी। कार के लान्च को लेकर कंपनी को बहुत उम्मीदें थी लेकिन बाजार में आने के बाद रतन टाटा का सपना टूटने लगा।

एक दौर ऐसा आया कि, 1999 में टाटा ग्रुप ने कार कारोबार समेटने की योजना बना ली। इससे रतन टाटा बेहद निराश हो गए थे। सॉल्ट टू स्टील कंपनी का तमगा लेकर घूम रहे रतन टाटा के लिए ये एक बड़ा झटका था। इस कंपनी को खरीदने के लिए फोर्ड मोटर्स ने बोली लगाई। उन्होंने टाटा को भेजे एक संदेश में इसे खरीदने की मंशा जाहिर की। रतन टाटा और उनकी टीम भारी मन से फोर्ड के मुख्यालय डेट्रायट पहुंची। इस संबंध में लगभग तीन घंटे बैठक चली। हालत ये हुई कि इसमें रतन टाटा को शर्मिंदगी झेलनी पड़ी।

बैठक में फोर्ड ने अपनी हैसियत को दिखाने की कोशिश करते हुए रतन टाटा की बेइज्जती की। रतन टाटा से बिल फोर्ड ने कहा कि जब पैसेंजर कार बनाने का उन्हें कोई अनुभव नहीं था तो इस तरह से बचकाना हरकत क्यों की उन्होंने। हम आपका कार बिजनेस खरीद कर, समझिए आप पर उपकार ही करेंगे। इस तरह के व्यवहार से रतन टाटा बुरी तरह शर्मिंदा हो गए। उसी रात उन्होंने कार बिजनेस बेचने के फैसले को टाल दिया। इसकी अगली सुबह ही फ्लाइट से वो अपनी टीम के साथ मुंबई लौटे।

इस वापसी के बाद उन्होंने अपने मन में ठाना कि वो फोर्ड जैसी ग्लोबल कंपनी, जिसका रुतबा पूरी दुनिया में था, उसे सबक सिखाएंगे। ऐसे में साल 2008 आया, जब टाटा मोटर्स के पास बेस्ट सेलिंग कार्स की एक लंबी लिस्ट थी। पूरी दुनिया पर छाने के लिए कंपनी बेताब थी। वहीं दूसरी तरफ फोर्ड मोटर्स की हालत खराब होती जा रही थी। उसे अपनी कार बेचकर मुनाफा कमाने में मुश्किल हो रही थी। जिसके बाद 2008 में रतन टाटा ने पासा पलटा और बिल फोर्ड को औकात दिखा दी।


फोर्ड की हालत ऐसी हो गई कि, टाटा मोटर्स ने फोर्ड की लैंड रोवर और जगुआर ब्रांड को खरीदने का ऑफर दिया। हालांकि ये ऑफर टाटा ने तब दिया जब इन दोनों कारों की बिक्री बेहद खराब चल रही थी। फोर्ड को इनसे काफी घाटा हो रहा था। सौदा करने के लिए फोर्ड की टीम मुंबई आई। सौदे के दौरान बिल फोर्ड में रतन टाटा से कहा – आप हमें बड़ा फेवर कर रहे हैं। बता दें कि रतन टाटा अगर चाहते तो उस वक्त इन दोनों घाटे वाले ब्रांड्स को बंद कर सकते थे। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। वहीं जब लंदन की फैक्ट्री बंद होने की अफवाह उड़ी तो रतन टाटा ने कामगारों का दर्द समझते हुए यूनिट को पहले की तरह काम करने की आजादी दी।

वैसे आज की बात करें तो लैंड रोवर और जगुआर दुनिया की बेस्ट सेलिंग कार ब्रांड्स में शुमार हो चुकी हैं। और इतना ही नहीं टाटा मोटर्स आज के दौर में दुनिया की बड़ी कार कंपनी हो चुकी है। यहां तक कि टाटा ग्रुप के अपने मुनाफे का 66 परसेंट चैरिटी पर खर्च करती है।

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