Bahujan samaj party assembly election 2022 :- उत्तराखंड में बसपा की वोट बैंक को फिर से वापस पाने की जुगत, जानिए किन पर है पार्टी का फोकस - Bharat news, bharat rajniti news, uttar pradesh news, India news in hindi, today varanasi newsIndia News (भारत समाचार): India News,world news, India Latest And Breaking News, United states of amerika, united kingdom

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बुधवार, 22 दिसंबर 2021

Bahujan samaj party assembly election 2022 :- उत्तराखंड में बसपा की वोट बैंक को फिर से वापस पाने की जुगत, जानिए किन पर है पार्टी का फोकस

देहरादून। बहुजन समाज पार्टी विधानसभा चुनाव (bahujan samaj party assembly election) निकट आते ही तैयारियों में जुट गई है। इस कड़ी में बसपा (bahujan samaj party) अपने परंपरागत वोट बैंक को फिर से वापस पाने की जुगत में है। अल्पसंख्यक व अनुसूचित जाति बसपा का बड़ा वोट बैंक माना जाता है। बीते चुनाव में मोदी लहर के दौरान अनुसूचित जाति का बड़ा हिस्सा व कुछ अल्पसंख्यक वोट बैंक बसपा से छिटक गया था। अब बसपा (bahujan samaj party) फिर से इन्हें समेटने की तैयारी कर रही है। इस कड़ी में दल में कई पुराने नेताओं की वापसी कराई जा रही है।

विधानसभा चुनाव निकट आते ही बसपा तैयारियों में जुट गई है। इस कड़ी में बसपा अपने परंपरागत वोट बैंक को फिर से वापस पाने की जुगत में है। अल्पसंख्यक व अनुसूचित जाति बसपा का बड़ा वोट बैंक माना जाता है
उत्तराखंड के अलग राज्य बनने के बाद यहां बसपा का मजबूत जनाधार रहा है। राज्य गठन के बाद हुए पहले विधानसभा चुनाव में बसपा, कांग्रेस व भाजपा के बाद सात सीटें जीत कर प्रदेश में तीसरी ताकत के रूप में उभर का सामने आई। यह बात अलग है कि शुरुआती विधानसभा चुनावों में शानदार प्रदर्शन करने वाली बसपा का प्रदर्शन लगातार गिर रहा है। वर्ष 2002 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में बसपा ने 10.93 मत प्रतिशत लेकर सात सीटों पर कब्जा जमाया था।

2007 में हुए दूसरे विधानसभा चुनाव में बसपा ने 11.76 फीसद मत प्रतिशत के साथ आठ सीटें कब्जाई। वर्ष 2012 में बसपा का मत प्रतिशत बढ़ कर 12.19 प्रतिशत तक पहुंचा। हालांकि, उसकी सीटों की संख्या घट कर तीन रह गई। किसी दल को पूर्ण बहुमत न मिलने पर बसपा ने कांग्रेस को सरकार बनाने के लिए समर्थन देने के साथ सत्ता में भागीदारी भी की। सत्ता में रहने के दौरान बसपा के विधायकों का झुकाव कांग्रेस की तरफ रहा। इससे पार्टी को नुकसान भी हुआ। 2017 के विधानसभा चुनावों में मोदी लहर के चलते बसपा के मत प्रतिशत में काफी गिरावट आई और यह 6.98 प्रतिशत पर आ गया। यहां तक कि पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली।

देखा जाए तो बसपा का प्रभाव मैदानी जिलों में ही सबसे अधिक रहा है और यहीं से पार्टी को जीत भी मिली है। पुरानी गलतियों से सबक लेते हुए बसपा अब नए सिरे से चुनावी तैयारियों में जुट गई है। बसपा का फोकस अनुसूचित जाति और अल्पसंख्यक वोटों पर है। दरअसल, राज्य की कुल आबादी की 13.95 प्रतिशत जनसंख्या मुस्लिम हैं। वहीं, 2.34 प्रतिशत सिख, 0.37 प्रतिशत ईसाई हैं। ङ्क्षहदू जनसंख्या का एक बड़ा भाग अनुसूचित जाति व जनजाति का है। ये बसपा के अच्छे वोट बैंक रहे हैं। यही कारण है कि बसपा एक बार फिर इन्हीं पर अपनी नजरें टिकाए हुए है।

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