Chronology of Gyanvapi Case :- इतिहासकार बोले- 3 बार मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने का प्रमाण; ऐसे विवाद कयामत तक चलते रहेंगे - Bharat news, bharat rajniti news, uttar pradesh news, India news in hindi, today varanasi newsIndia News (भारत समाचार): India News,world news, India Latest And Breaking News, United states of amerika, united kingdom

.

अन्य विधानसभा क्षेत्र

बेहट नकुड़ सहारनपुर नगर सहारनपुर देवबंद रामपुर मनिहारन गंगोह कैराना थानाभवन शामली बुढ़ाना चरथावल पुरकाजी मुजफ्फरनगर खतौली मीरापुर नजीबाबाद नगीना बढ़ापुर धामपुर नहटौर बिजनौर चांदपुर नूरपुर कांठ ठाकुरद्वारा मुरादाबाद ग्रामीण कुंदरकी मुरादाबाद नगर बिलारी चंदौसी असमोली संभल स्वार चमरौआ बिलासपुर रामपुर मिलक धनौरा नौगावां सादात

शनिवार, 7 मई 2022

Chronology of Gyanvapi Case :- इतिहासकार बोले- 3 बार मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने का प्रमाण; ऐसे विवाद कयामत तक चलते रहेंगे

Chronology of Gyanvapi Case :- इतिहासकार बोले- 3 बार मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने का प्रमाण; ऐसे विवाद कयामत तक चलते रहेंगे

तारीखः 6 मई, जगहः बनारस, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर, समयः सुबह के 9 बजकर 20 मिनट। विश्वनाथ मंदिर के पास आज पुजारियों से ज्यादा पुलिसवालों की भीड़ थी। 12 बजे तक पुलिस का सुरक्षा घेरा 10 से 100 लोगों का हो गया। इस सख्ती की वजह 5 महिलाएं हैं। नाम है राखी, लक्ष्मी, सीता, मंजू और रेखा। इन लोगों ने 7 महीने पहले सिविल कोर्ट में ज्ञानवापी मस्जिद में मां श्रृंगार गौरी मंदिर होने की याचिका दाखिल की थी। वहां पूजा करने की इजाजत मांगी पर नहीं मिली।

26 अप्रैल को कोर्ट ने बता दिया था कि Eid ke bad gyanavapi ka sarve होगा

अब 10 दिन पहले इस केस की फाइलें वाराणसी की Senior Division Court में एक बार फिर खुलीं। मंदिर और मस्जिद पक्ष के बीच तीखी बहस हुई। सभी दलीलें सुनने के बाद सीनियर डिवीजन जज रवि कुमार दिवाकर ने फैसला सुनाया, "दोनों पक्षों की मौजूदगी में ज्ञानवापी मस्जिद के हर हिस्से की वीडियो-ग्राफी ईद के बाद कराई जाए और 10 मई तक इसकी रिपोर्ट कोर्ट में पेश की जाए। प्रशासन सर्वे के वक्त कानून-व्यवस्था बनाए रखे।"

इस केस को श्रृंगार गौरी केस का नाम दिया गया है। हमने मामले इस मामले से जुड़े लोगों और BHU के इतिहासकार से बात की है। उससे पहले श्रृंगार गौरी केस की क्रोनोलॉजी को जान लेते हैं...

हरिहर, सोमनाथ और रामरंग की वजह से आज हो रहा ज्ञानवापी का सर्वे

हरिहर पांडे सहित 3 लोगों ने ज्ञानवापी में पूजा की अनुमति मांगी थी। याचिका में कहा गया था कि 250 साल पहले महाराजा विक्रमादित्य ने यहां मंदिर का निर्माण कराया था।

1991 में ज्ञानवापी परिसर में पूजा करने के लिए काशी के 3 लोगों ने सिविल कोर्ट में एक मुकदमा दायर किया। इनमें हरिहर पांडे, सोमनाथ व्यास और संपूर्णांनंद विश्वविद्यालय में प्रोफेसर रहे रामरंग शर्मा शामिल थे। अदालत में मुकदमा दायर होने के कुछ साल बाद पंडित सोमनाथ व्यास और रामरंग शर्मा की मौत हो गई। अब हरिहर इस मामले के पक्षकार के तौर पर बचे हुए हैं।

श्रृंगार गौरी केस की याचिका दाखिल करने वाली राखी, लक्ष्मी, सीता, मंजू और रेखा भी ज्ञानवापी परिसर में पूजा की मांग कर रही हैं। यानी जिस याचिका के बाद ज्ञानवापी में सर्वे हो रहा है, उसकी असल शुरुआत 1991 में ही हो गई थी।

श्रृंगार गौरी केस भले ही 7 महीने पहले का हो, लेकिन इसकी बुनियाद 1669 से जुड़ी है। जब औरंगजेब ने काशी विश्वनाथ मंदिर तोड़ने का फरमान दिया था। इससे जुड़ी मान्यताओं पर BHU के प्रोफेसर डॉ. राजीव श्रीवास्तव ने हमसे बात की।

इतिहास में 3 से 4 बार मिलते हैं मंदिर टूटने और मस्जिद बनने के संकेत

ज्ञानवापी मस्जिद में कुछ हिस्सों की दीवारों पर नक्काशी मंदिरों पर होने वाली कारीगरी जैसी लगती है। मस्जिद के भीतर श्रृंगार गौरी मंदिर होने की याचिका 2021 में दाखिल की गई थी।

लोक चर्चा है कि औरंगजेब ने काशी विश्वनाथ मंदिर को तुड़वाकर ज्ञानवापी मस्जिद बनवाई थी। ऐतिहासिक दस्तावेजों को देखें तो इनके निर्माण और पुनर्निर्माण से जुड़ी कई कहानियां हैं। हिस्ट्री डिपार्टमेंट के सीनियर प्रोफेसर डॉ. राजीव श्रीवास्तव कहते हैं, "विश्वनाथ मंदिर को तोड़कर ज्ञानवापी मस्जिद के निर्माण से जुड़े बहुत सारी मान्यताएं हैं। एक मान्यता है कि काशी विश्वनाथ मंदिर को 1194 में मोहम्मद गोरी ने तुड़वाया था। इसके बाद 14वीं सदी में जौनपुर के शासक मो. शाह ने मंदिर के एक बड़े हिस्से को तुड़वाकर ज्ञानवापी मस्जिद बनवाई।"

राजीव कहते हैं, "साल 1585 में अकबर के नौ रत्नों में एक राजा टोडरमल ने काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण दोबारा करवाया। इसके बाद औरंगजेब में साल 1669 में काशी के मंदिरों को तुड़वाने का आदेश दिए और इसे मस्जिद की शक्ल दे दी। मंदिर और मस्जिद के निर्माण और पुनर्निर्माण के जुड़े कई किस्से हैं। इससे जुड़े पन्ने जब-जब अदालतों में खुले हैं, एक नए विवाद का जन्म हुआ है। और ये विवाद कयामत तक यूं ही चलते रहेंगे।"

मुस्तइद खां ने 'मासीदे आलमगिरी' में बताया ज्ञानवापी से जुड़ी सच्चाई


औरंगजेब द्वारा दिए गए काशी विश्वनाथ मंदिर को गिराने के फरमान की कॉपी।

18 अप्रैल 1669 को औरंगजेब ने एक फरमान जारी किया। इसमें काशी विश्वनाथ मंदिर को ध्वस्त करने का आदेश दिया गया। इसके बाद अगस्त 1669 में ऐलान किया गया कि मंदिर को पूरी तरह से तोड़ मस्जिद को उसकी जगह तामील कर दिया गया है। औरंगजेब के इस फरमान की कॉपी कोलकाता की एशिया-टिक लाइब्रेरी में आज भी रखी है। औरंगजेब के समय के लेखक साकी मुस्तइद खां ने भी अपनी किताब 'मासीदे आलमगिरी' में इस फरमान का जिक्र किया है।

'Medieval India' के पेज 232 में मंदिरों को गिराकर दूसरी धार्मिक इमारते बनाने का जिक्र

इतिहासकार एलपी शर्मा की किताब 'मध्यकालीन भारत' में इतिहास से जुड़े कई अनसुने किस्सों के बारे में बताया गया है। इसमें 1669 में हिंदू मंदिरों को गिराए जाने की बात लिखी गई है।

इतिहासकार LP शर्मा अपनी किताब 'मध्यकालीन भारत' के पेज नंबर 232 में लिखते हैं साल 1669 में सभी सूबेदारों को हिंदू मंदिरों और पाठशालाओं को तोड़ने के आदेश दिए गए। इसकी मॉनिटरिंग के लिए अलग से विभाग भी बनाया गया। इस आदेश के बाद बनारस का काशी विश्वनाथ मंदिर, मथुरा का केशवदेव मंदिर, पाटन का सोमनाथ जैसे बड़े मंदिरों को तोड़ दिया गया था। और उनकी जगह पर दूसरे धार्मिक इमारतों का निर्माण किया गया।

मंदिर की पक्षकार सीता ने कहा, मां श्रृंगार गौरी हमारी आराध्य देवी, उनकी पूजा हमारा हक

मां श्रृंगार गौरी केस की याचिका दाखिल करने वाली महिलाओं का कहना है कि 1992 तक मां शृंगार गौरी की नियमित पूजा होती थी।

विश्व वैदिक सनातन धर्म संघ की सदस्य सीता साहू श्रृंगार गौरी केस की याचिकाकर्ता हैं। वो कहती हैं,"मां श्रृंगार गौरी हमारी आराध्य देवी हैं। हम उनकी पूजा करना हमारा हक है। जब 1992 तक मां श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन की अनुमति थी। तो अब क्यों नहीं है। ज्ञानवापी परिसर में बने इस मंदिर में भगवान गणेश, हनुमान और नंदी सहित कई -देवी-देवताओं मूर्तियां हैं। प्रशासन जो 6 तारीख को सर्वे करा रही है उसके सच्चाई सामने आ जाएगी।"

मस्जिद के पक्षकार मो. यासीन ने कहा, एक समय पर बने मंदिर-मस्जिद, झूठ न फैलाएं


अंजुमन इंतजामिया मसाजिद के संयुक्त सचिव सैयद एम यासीन।

ज्ञानवापी मस्जिद की देखरेख करने वाली संस्था अंजुमन इंतजामिया मसाजिद के संयुक्त सचिव सैयद एम यासीन ने एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा, "मंदिर और मस्जिद का निर्माण अकबर ने ही 1585 के आसपास नए मजहब दीन-ए-इलाही के तहत करवाया था, लेकिन बाद में औरंगजेब ने मंदिर को तुड़वा दिया था, क्योंकि वो दीन-ए-इलाही का विरोध कर रहे थे। मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई हो, ऐसा कहना गलत है। जो लोग कह रहे हैं कि मस्जिद में मंदिर और देवी-देवताओं के विग्रह हैं, वो झूठ बोल रहे हैं।"

यासीन आगे कहते हैं कि ज्ञानवापी मस्जिद में 1947 से नहीं, बल्कि 1669 में जब से ये मस्जिद बनी है, तब से यहां नमाज पढ़ी जा रही है।

1991 में बना एक कानून है ज्ञानवापी में वीडियोग्राफी की वजह (A law made in 1991 is the reason for videography in Gyanvapi)

26 अप्रैल को ज्ञानवापी परिसर में सर्वे का आदेश उन याचिकाओं पर दिए गए, जो साल 1991 में दायर की गईं। उसी दरमियान संसद ने उपासना स्थल कानून को मंजूरी दी थी। इस कानून में यहां बताया गया कि 15 अगस्त 1947 से पहले अस्तित्व में आए किसी भी धर्म के पूजा स्थल को किसी दूसरे धर्म के पूजा स्थल में नहीं बदला जा सकता है। अगर कोई भी ऐसा करता है, तो उसे 1 से 3 साल की जेल और जुर्माना देना पड़ेगा। अयोध्या राम मंदिर और बाबरी मस्जिद का मामला आजादी से पहले से अदालत में लंबित था। इसलिए इस केस को इस, कानून के दायरे से बाहर रखा गया है।
  • 1991 के बाद 6 बार सुर्खियों में आई ज्ञानवापी मस्जिद
  • 1991: मस्जिद प्रबंधन कमेटी ने इस याचिका को हाईकोर्ट में चुनौती दी।
  • 1993: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यथास्थिति रखने का आदेश दिया।
  • 2018: सुप्रीम कोर्ट ने स्टे ऑर्डर की वैधता 6 महीने के लिए बताई।
  • 2019: वाराणसी कोर्ट में फिर से इस मामले में सुनवाई शुरु हुई।
  • 2021: फास्ट ट्रैक कोर्ट ने ज्ञानवापी के पुरातात्विक सर्वे की मंजूरी दी।
  • 2022: ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे हुआ।

Loan calculator for Instant Online Loan, Home Loan, Personal Loan, Credit Card Loan, Education loan

Loan Calculator

Amount
Interest Rate
Tenure (in months)

Loan EMI

123

Total Interest Payable

1234

Total Amount

12345