- वृंदावन-मथुरा में जारी सतत विकास योजनाओं के चलते ब्रज क्षेत्र में आना हुआ और अधिक सुगम
- शानदार एक्सप्रेस वे और हाइवे के कारण मंदिरों और तीर्थस्थलों पर पहुंच रहे क्षमता से अधिक श्रद्धालु
- खास अवसरों पर भक्तों की भारी उपस्थिति के कारण बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर की हो रही मांग
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गुरुवार, 25 अगस्त 2022
काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर की तर्ज पर बने बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर
24 अगस्त, वृंदावन, मथुरा। उत्तर प्रदेश सरकार ब्रज तीर्थ का वैभव बनाए रखने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। योगी सरकार आते ही ब्रज में श्री कृष्ण के लीला स्थल और उनसे जुड़े महत्वपूर्ण स्थलों का कायाकल्प करने का खाका तैयार किया गया। करोड़ों रुपये की योजनाओं से ब्रज भूमि पर विकास कार्य कराये जा रहे है और कई कार्य पूरे भी हो चुके है। जिससे पूरे ब्रज क्षेत्र में श्रद्धालुओं की संख्या में भी लगातार इजाफा हो रहा है। इसका सीधा असर मथुरा- वृंदावन में बने मंदिरों और तीर्थ स्थानों में देखने को मिल रहा है। मंदिरों में क्षमता से अधिक श्रद्धालु दर्शन को पहुंच रहे है। ऐसे में अब मथुरा- वृंदावन के लोग काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर जैसा ही, बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर की मांग करने लगे है।
मंदिर की खूबसूरती में लगेंगे चार चांद
ब्रज मंडल हेरिटेज कंजर्वेशन सोसाइटी के महासचिव ब्रज खंडेलवाल जी का कहना है कि वृंदावन की कुंज गलियां ही ब्रज की संस्कृति की खूबसूरती है। वृंदावन में करीब 500 छोटे- बड़े मंदिर है। कहा जा सकता है कि हर घर में मंदिर बना हुआ है। बांके बिहारी मंदिर में हजारों श्रद्धालु दर्शन को आते है। महत्वपूर्ण तारीखों पर यह संख्या पांच लाख तक पहुंच जाती है, ऐसे में अगर बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर बनता है तो मंदिर के स्वरूप में निखार आयेगा। उन्होंने कहा कि देश में अनेक मंदिरों में कॉरिडोर की मौजूदगी ने मंदिर की व्यवस्था और खूबसूरती में चार चांद लगा दिए हैं। अगर बांके बिहारी मंदिर में कॉरिडोर का निर्माण होता है, तो उसके साथ ही वहां पर श्रद्धालुओं के लिए जन सुविधाओं में भी इजाफा होगा। साथ ही उन्होंने कहा कि इन व्यवस्थाओं को करने में समय लगेगा। इससे पहले मंदिर की क्षमता के हिसाब से मंदिर की केयरिंग कैपेसिटी निर्धारित कर मंदिर में प्रवेश दिया जाने की व्यवस्था करना भी बेहद जरूरी है।
ब्रज की विरासत और संस्कृति का हो रहा संरक्षण
भगवान श्री कृष्ण एवं श्री राधा रानी की लीलास्थली रहे पवित्र ब्रज भूमि को श्रद्धालुओं एवं पर्यटकों की आस्था का केन्द्र माना जाता है। सालभर यहां देशी-विदेशी पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता है। इसमें ब्रज क्षेत्र के आठ (वृन्दावन, बरसाना, नंदगांव, गोवर्धन, राधाकुण्ड, गोकुल, बल्देव एवं मथुरा) स्थल धार्मिक लिहाज से सबसे महत्वपूर्ण एवं प्रमुख हैं। ब्रज की इन धरोहरों पुनर्प्रतिष्ठा के उद्देश्य से ही योगी सरकार ने 2018 में उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद का गठन किया। 2018 से 2022 तक सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद की करीब 95 योजनाएं स्वीकृत की गई। इनमें से 75 फीसद योजनाओं का कार्य पूरा हो चुका हैं। उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद के डिप्टी सीईओ पंकज वर्मा ने बताया कि मथुरा जनपद की सीमा में आने वाली जगहों का नियोजित, समन्वित और सर्वांगीण विकास परिषद द्वारा कराया जा रहा है। साथ ही ब्रज की विरासत और संस्कृति के संरक्षण के लिए गठन के बाद से ही ब्रज तीर्थ विकास परिषद लगातार काम कर रहा है। समय- समय पर परिषद द्वारा सर्वे और अध्ययन करके ब्रज विकास योजना तैयार की जाती है।
शानदार एक्सप्रेस-वे और हाईवे बने मथुरा- वृंदावन में भीड़ का मुख्य कारण
मथुरा- वृंदावन आने में अब श्रद्धालुओं को ज्यादा समय नही लगता है। प्रदेश सरकार ने शानदार एक्सप्रेस-वे और हाईवे का निर्माण कराया है। इसके चलते ब्रज तीर्थ आने वाले श्रद्धालुओं के लिए सहुलियत हो गई है। अब दिल्ली, हरियाणा और एनसीआर से आने वाले श्रद्धालु डेढ़- दो घंटे में ही मथुरा- वृंदावन पहुंच जाते हैं। यही कारण है कि अब श्री कृष्ण जन्माष्टमी, एकादशी व अन्य महत्वपूर्ण तारीखों और वीकेंड पर लाखों श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। अब ये सुविधा मथुरा- वृंदावन सहित अन्य तीर्थ स्थल पर बढ़ने वाली भीड़ का कारण बन रही है। वहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि आस्था का सैलाब रोकना तो मुश्किल है, लेकिन अगर व्यवस्थाओं में सुधार किया जाये तो बेहतर होगा।
प्रस्ताव पर हो रहा काम
श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर बांके बिहारी मंदिर में भीड़ के दबाव के बाद अब शासन और प्रशासन स्तर पर मंदिर के लिए कॉरिडोर को लेकर गंभीरता से मंथन किया जा रहा है। जिला प्रशासन तथ्य जुटाते हुए काशी विश्वनाथ की तर्ज पर कॉरिडोर बनाए जाने का प्रस्ताव बनाने में लगा हुआ है।
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