वाराणसी। लगता है सेतु निगम ने 16 मई 2018 को चौकाघाट-लहरतारा फ्लाईओर के दो बीम गिरने से हुए बड़े हादसे से भी सबक नही लिया। इस हादसे में 18 लोगों की मौत हो गई थी और 30 लोग घायल हो गये थे। तब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का पहला कार्यकाल था और उन्होंने इस मामले में काफी सख्त कार्रवाई भी की थी। लेकिन अभी इस हादसे को बीते चार साल हुए और इधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट फुलवरिया-लहरतारा फोर लेन के निर्माण में शुक्रवार को बड़ी लापरवाही सामने आ गई। वह भी ऐसे समय पर जबकि हाल ही में मुख्यमंत्री ने काशी आगमन के दौरान इसकी समीक्षा की और लहरतारा चौराहे के पास स्वयं आकर निरीक्षण किया। बार-बार गुणवत्तापूर्ण कार्य कर इसे शीघ्र पूरा करने का निर्देश दिया था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में शिवपुर विधानसभा क्षेत्र में वरूणा नदी पर बने इमिलिया घाट पुल से करीब 50 मीटर नवनिर्मित सड़क पर दरारें आ गईं हैं। इसे फुलवरिया के कुम्हारपुरा में रहनेवाले भारतीय जनता पार्टी के लोहता मंडल के मीडिया प्रभारी अजय वर्मा प्रजापति ने देखा। इमिलिया घाट पुल से वरूणा नदी की ओर का हिस्सा कई जगह से दरक और फट चुका है। मिट्टी और सड़क धंसती जा रही है। पिछले कुछ दिनों से रह-रहकर हो रही वर्षा और बाढ़ का असर वरूणा नदी पर पड़ा है। ऐसे में पहली बारिश और बाढ़ का पानी को इस पुल की सड़क बर्दाश्त नही कर सकी। अजय वर्मा को पुल के आसपास रहनेवालों ने ही सूचना दी तो वह पहुंचे।

उन्होंने बताया कि इस निर्माणाधीन पुल से रोज चार कांन्वेंट स्कूलों की बसें गुजरती हैं। दर्जनों वाहन सवार फर्राटे भरते हैं लेकिन जब उन्होंने सड़क पर दरार देखी तो सुरक्षा के लिहाज से मार्ग के दक्षिणी हिस्से पर डिवाइडर के सहारे पेड़ की डाल लगाकर पहले आवागमन रोका। इस कार्य में पिकेट पर तैनात दो पुलिसकर्मियों ने उनका सहयोग किया। इसके बाद उत्तरी छोर से आनेवाले भी हादसे के शिकार हो सकते थे इसलिए पुल पर लकड़ी का पटरा रख दिया गया। ताकि सड़क की हालत से अनजान कोई राहगीर हादसे का शिकार न हो जाय।

सूचना पर देर रात पहुंची लाइव वीएनस की टीम ने पुल से 50 मीटर तक दरारों को देखा। उस समय भी किनारे पर लगी रेलिंग के आसपास की मिट्टी धंस रही थी। करीब 50 फुट के दायरे में कही चार से पांच ईंच मोटी तो कही एक से चार इंच तक दरारें पड़ चुकी हैं। वरूणा का पानी तो सड़क के किनारों को छू रहा है लेकिन यदि और बारिश हुई तो सड़क का करीब छह से सात फीट हिस्सा कभी भी ढह या धंस सकता है। जिले में पिछले दो दिनों से प्रदेश सरकार के तीन मंत्री शहर में आए हुए हैं। इसके अलावा तीन मंत्री तो इसी शहर के ही हैं। विधायक से लेकर अधिकतर सभासद सत्ता पक्ष के ही हैं। ऐसे में बारिश और बाढ़ से पुल निर्माण की कलई खुलने से पीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट पर ग्रहण लग गया है।
सेतु निगम के अफसरों की है लापरवाही-अजय वर्मा
भारतीय जनता पार्टी के लोहता मंडल के मीडिया प्रभारी अजय वर्मा प्रजापति से भी लाइव वीएनएस टीम की मुलाकात हुई। अजय सेतु निगम के अफसरों की लापरवाही से खासे नाराज थे। बताया कि उन्होंने डीएम कौशलराज शर्मा को फोन से इसकी सूचना देने की कोशिश की। लेकिन व्यस्तता के कारण उनसे वार्ता नही हो सकी। वह इसकी सूचना शिवपुर विधानसभा के विधायक व मंत्री अनिल राजभर और इस क्षेत्र के सांसद व केंद्रीय मंत्री डाक्टर महेंद्र नाथ पांडेय को सूचना देंगे। उन्होंने इस बड़ी लापरवाही के लिए सीधे तौर पर सेतु निगम के अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया।
उन्होंने प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मामले की जांच कर दोषी अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। उन्होंने कहाकि भाजपा सरकार केंद्र और प्रदेश में बेहतर कार्य कर रही है। हमें संदेह है कि कतिपय लोग सरकार की छवि को बिगाड़ने के लिए लापरवाहियां कर रहे हैं। यदि समय से इस दरार को नही देखा गया होता तो रात में उस लेन पर आनेवाले वाहन सवार हादसे का शिकार हो सकते थे। चौकाघाट-लहरतारा फ्लाईओवर हादसे के बाद भी सेतु निगम ने सबक नही लिया। इस मामले में कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।
क्या था चौकाघाट-लहरतारा फ्लाईओवर हादसा
16 मई 2016 दिन मंगलवार और शाम साढ़े पांच बजे का समय था। कैंट रेलवे स्टेशन के समीप एईएन कॉलोनी के सामने निर्माणाधीन चौकाघाट-लहरतारा फ्लाईओवर की दो बीम सड़क पर गिर पड़ीं। प्रशासन ने पुल गिरने के कुछ घंटे बाद ही कार्रवाई करके चार अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया था। सस्पेंड होने वाले अधिकारियों में चीफ प्रोजेक्ट मैनेजर एचसी तिवारी, प्रोजेक्ट मैनेजर केआर सूदन, सहायक अभियंता राजेश सिंह और अवर अभियंता लालचंद रहे। बीम के नीचे एक महानगर सेवा की बस सहित एक दर्जन वाहन दब गए। इस हादसे में 18 लोगों की मौत हुई और 30 से अधिक लोग घायल हो गये थे। बीम के नीचे दबे वाहनोें को गैस कटर से काट कर सेना और एनडीआरएफ के जवानों ने लाशों व घायलों को बाहर निकाला था। हादसे के बाद तत्कालीन उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य शहर पहुंचे गए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी देर रात पहुंच गए थे। तब डिप्टी सीएम केशव मौर्य ने सेतु निगम के चार अभियंताओं को निलंबित कर दिया था। मुकदमे दर्ज हुए और गिरफ्तारी तक हुई थी।