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रविवार, 21 अगस्त 2022
ताजमहल ही नहीं ये 6 ऐतिहासिक स्मारक बनाएं गए हैं महिलाओं की याद में
अक्सर जब लोग प्यार की निशानी की बात करते हैं तो सभी के जहन में ताजमहल का नाम ही आता हैं जिसे शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज के मरने के बाद उनकी याद में बनवाया था। खास बात ये है कि ये मकबरा दुनिया का सांतवां अजूबा भी है। भारत में कई ऐतिहासिक स्मारक हैं जो अपनेआप में विशेष पहचान रखते हैं। इनमे से कई स्मारक हैं जो महिलाओं की याद में बनाए गए हैं। आज इस कड़ी में हम आपको महिलाओं की याद में बने इन स्मारकों के बारे में बताने जा रहे हैं जो अपनी अपनी सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत के लिए जाने जाते है। आइये जानते है कौन सी हैं वो इमारतें -
बीबी का मकबरा
बीबी का मकबरा महाराष्ट्र के औरंगाबाद में मुगल काल का मकबरा है। इसे महाराष्ट्र का ताजमहल भी कहा जाता है। इसे देखकर आप सोचेंगे कि आप आगरा का ताजमहल देख रहे हैं। ताजमहल से प्रेरित होकर औरंगजेब के बेटे और शाहजहां के पोते आजम शाह ने अपनी मां दिलरस बानो बेगम की याद में मकबरा बनवाया था। इसे 1651 और 1661 के बीच बनाया गया था। कई लोग इसे दूसरा ताजमहल भी कहते हैं।
जोधाबाई की समाधि
कहा जाता है कि जोधाबाई अकबर की सबसे प्यारी पत्नी थीं। वह मुगल साम्राज्य की सबसे शक्तिशाली महिला थीं। उनकी याद में, जोधा बाई की समाधि, जिसे जोधा बाई की छतरी के नाम से भी जाना जाता है, आगरा में बनाई गई थी। इसे मरियम उज़ ज़मानी के मकबरे के रूप में भी जाना जाता है। उनकी याद में आगरा में उनकी समाधि भी बनवाई गई, जो इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज हो गई।
पद्मावती समाधि स्थल
मेवाड़ की धरती पर कई वीरांगनाएं पैदा हुईं, उनमें से ही एक थी- रानी पद्मावती, जिन्होंने धर्म और मर्यादा की रक्षा की खातिर खुद को धधकती आग से झोंक दिया था। इस कुंड में रानी पद्मावती के साथ 16 हजार महिलाओं के साथ उस अग्नि में कुदकर जान दे दी थी। जहां आज भी लोग आदरपूर्वक अपना सिर झुकाते हैं। इस कुंड को रानी पद्मावती समाधि स्थल के रूप में जाना जाता है, जो इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों में जन्म-जन्मांतर के लिए दर्ज हो गया है।
ताजमहल
प्रेम की निशानी कही जाने वाली ताजमहल का निर्माण 1632 में शुरू हुआ था, जिसे शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज की याद में बनवाया था। इसे बनवाने में अलग-अलग देशों से कारीगर लाए गए थे, जिनके साथ करीब 22000 मजदूरों को लगाया गया था। ताजमहल को लेकर एक किवदंती भी है कि इसे बनाने वाले सभी मजदूरों को हाथ काट दिए गए थे।
रजिया सुल्तान का मकबरा
दिल्ली की सबसे ताकतवर और पहली मुस्लिम महिला शासक रजिया सुल्तान के मकबरे के बारे में कम ही लोग जानते हैं। हरियाणा के कैथल जिले में रजिया सुल्तान की याद में बनवाया गया एक मकबरा है। हालाँकि, यहाँ से पाँच ईंटें उठाई गईं और उनकी कब्र को दिल्ली ले जाया गया जहाँ उनका शाही मकबरा बनाया गया था। उनकी समाधि पुरानी दिल्ली में तैयार की गई थी। हालांकि, संकरी गलियों के कारण यहां बहुत कम लोग आते हैं। कहा जाता है कि उसने 1236 ईस्वी से 1240 ईस्वी तक दिल्ली पर शासन किया था।
चांद बीबी का मकबरा
चांद बीबी, एक भारतीय मुस्लिम योद्धा थीं, जिन्हें चांद खातून या चांद सुल्ताना के नाम से भी जाना जाता है। चांद बीबी को अकबर की सेना को जमकर टक्कर देने वाली महिला के रूप में जाना जाता है। इस मकबरे को लेकर कई मतभेद है। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि ये मकबरा औरंगजेब ने बनवाया था और कुछ का मानना है कि ये औरंगजेब के बेटे आदिल ने बनावाया था।
रानी लक्ष्मीबाई की समाधि
रानी लक्ष्मीबाई की समाधि ग्वालियर के फूलबाग में स्थित है। इसे ग्वालियर की महान योद्धा महिला लक्ष्मीबाई की याद में बनवाया गया था। आपको बता दें कि रानी लक्ष्मीबाई ने 1857 के भारतीय विद्रोह के दौरान अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। समाधि को देखने के लिए आज भी हजारों लोग आते हैं।
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