वाराणसी। सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय ने ज्ञात और अज्ञात रुप में इस देश के स्वतंत्रता आन्दोलन में जो अग्रणी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया है, उसका देश ऋणी हैं। आज भी विश्व को जो दिशा-निर्देश इस विश्वविद्यालय द्वारा दिया जा रहा है वह अतुलनीय है। यह संस्था विश्व की प्राचीनतम संस्कृत शिक्षण संस्थान के रूप मे ख्याति प्राप्त है। यह 232 वर्षों से लगातार संस्कृत शास्त्रों की अलख जगाने में अग्रणी भूमिका का निर्वहन कर रहा है।
यह विचार स्वतंत्रता दिवस की 75 वीं वर्षगांठ पर सोमवार को सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय मुख्य भवन के समक्ष झण्डारोहण के बाद कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी ने व्यक्ति किये। उन्होंने कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। विश्वविद्यालय परिवार को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहाकि यह विश्वविद्यालय देश के कोने-कोने में संस्कृत शास्त्रों के अध्ययन व अध्यापन का मार्ग प्रशस्त करते हुए भारतीय संस्कृति और भारतीयता का भाव स्थापित कर रहा है। आजादी का महापर्व भारत की गौरवशाली ज्ञान, शास्त्र, व अविच्छिन्न वेद की परम्परा का सुअवसर है। नई शिक्षा नीति में हम इसी भारतीय ज्ञान परम्परा के उद्घोष को साबित करते हुए इसे विश्व पटल पर लाएंगे। आजादी के नायक और अंग्रेजों से लोहा लेकर मातृभूमि पर प्राण न्योछावर करनेवाले चन्द्रशेखर आजाद यही के छात्र रहे। उनकी बहादुरी और वीरगाथा को संस्कृत समाज ही नही दुनिया जानती है।
कुलपति ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव में सहभागिता और लोगों का जोश देखकर लगने लगा है कि जन जन में राष्ट्रीयता का भाव जागृत हो रहा है। विश्वविद्यालय में 11 अगस्त से राष्ट्रीय संगोष्ठी और विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं। उन्होंने कहाकि भारत एक सम्पूर्ण जीवन दर्शन और संस्कृत राष्ट्र की प्राण वायु है। मनुष्य, भूमि व सुसंस्कृति यह तीनों राष्ट्र का निर्माण करते हैं। हमारी स्वतंत्रता को आज अनेक वर्ष बीत गये हैं। हम स्व-तन्त्र हो गये हैं। स्व का अर्थ स्वंय और तन्त्र का अर्थ शास्त्र अर्थात हम अपनी जीवनचर्या को शास्त्रों (संविधान) के अधीन रहकर निर्वहन कर रहे हैं। हमारे सेना के जवान देश की सीमाओं पर तन्मयता के साथ डटकर हमारी सुरक्षा कर रहे हैं। वह मातृभूमि पर बलिदान होने का जज्बा लेकर सीमाओं की रक्षा कर रहे हैं ताकि देशवासी चैन की नींद सो सकें।कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय संस्कृत-संस्कृति एवं संस्कार की धारा की धरा है। अध्यापक,अधिकारी, कर्मचारी व विद्यार्थी अपने-अपने दायित्वों का निर्वहन निष्ठा, ईमानदारी से करते रहें तभी संस्कृत और देश सुरक्षित रहेगा।
स्वतंत्रता दिवस महापर्व के प्रारम्भ में कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी ने ध्वजारोहण के बाद महात्मा गांधी,पं. जवाहर लाल नेहरु, चंद्रशेखर आजाद व डॉ. सम्पूर्णानन्द की चित्रों माल्यार्पण किया। इस मौके पर उन्होंने एनसीसी छात्रों के परेड का निरिक्षण किया। सामूहिक राष्ट्रगान के बाद संगीत विभाग की ओर से कुलगीत प्रस्तुत किया गया। इस अवसर पर कुलपति ने विधानसभा निर्वाचन कार्य मे उत्कृष्ट प्रदर्शन वाले कर्मचारी उदय सरोज पान्डेय, सत्येंद्र मिश्र एवं अनिल कन्नौजिया को निर्वचन विभाग से प्राप्त प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया।
समारोह में 11 अगस्त को हुई भाषण व स्लोगन प्रतियोगिता में उत्कृष्ट प्रदर्शन वाले छात्रों को पुरस्कृत किया गया। इनमें भाषण प्रतियोगिता में अखिलेश कुमार मिश्र-प्रथम, गुरुदेवप्रसाद मिश्र-द्वितीय, गणपति देव प्रसाद मिश्रा-तृतीय- और अन्नपूर्णा मिश्रा को सान्त्वना पुरस्कार मिला। श्लोगन प्रतियोगिता में अन्नपूर्णा मिश्रा-प्रथम, गणपतिदेव प्रसाद मिश्र-द्वितीय, विश्वजीत प्रसाद मिश्रा-तृतीय को तृतीय पुरस्कार मिला। इसके साथ ही विश्वविद्यालय में उत्कृष्ट कार्य के लिए प्रो. राजनाथ, डॉ. रविशंकर पांडेय, कर्मचारी गण प्रभूनाथ सिंह यादव, मनोज कन्नौजीया व हरेन्द्र कुमार को सम्मानित किया गया। संचालन एनसीसी समन्वयक डॉ. सत्येंद्र कुमार यादव ने किया। कार्यक्रम के दौरान कुलपति ने कुलपति आवास व छात्रसंघ भवन पर भी झन्डारोहण किया।