राजस्थान चुनाव 2018: 3 दशकों से चुनाव जीत रहीं वसुंधरा राजे क्या अपने लिए सुरक्षित सीट ढूंढ रही हैं

बता दें कि बुधवार को राहुल गांधी ने हाड़ौती में बड़ी चुनावी सभा की और प्रदेश एवं केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा। राहुल ने झालावाड़ से कोटा तक 100 किलोमीटर तक रो शो किया जिसमें भारी भीड़ उमड़ी। वसुंधरा के गृहक्षेत्र झालरापाटन में कांग्रेस जोरशोर से चुनावी अभियान में जुटी हुई है।
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि कांग्रेस की चुनावी रणनीति चुनाव के दौरान वसुंधरा को उनकी परंपरागत सीट पर समेट देना है जिससे वो राज्य में भाजपा के चुनावी अभियान में शिरकत नहीं कर पाएं। राजे प्रदेश भाजपा का अकेला ऐसा चेहरा हैं जो भीड़ जुटा सकती हैं। इसलिए कांग्रेस अपनी चुनावी रणनीति के तहत उन्हें उनकी सीट तक महदूद कर दिया जाए।
वसुंधरा राजे ने 9 चुनाव जीते
राजस्थान की राजनीति में वसुंधरा राजे का बड़ा कद है। उनकी गिनती ऐसे नेताओं में होती है जिन्होंने तीन दशक से चुनाव नहीं हारा। यहां तक कि राजस्थान में भाजपा के स्तंभ माने जानेवाले भैरों सिंह शेखावत भी चुनाव हारे थे। कांग्रेस के दिग्गज नेता अशोक गहलोत भी चुनाव हार चुके हैं। लेकिन वसुंधरा राजे ने रिकॉर्ड कायम रखा है। उन्होंने अब तक 9 चुनाव जीते हैं- 5 लोकसभा और 4 विधानसभा के।
मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने के बाद वसुंधरा ने अपने गढ़ झालावाड़ लोकसभा सीट बेटे दुष्यंत सिंह के लिए छोड़ दी थी। इस क्षेत्र में उनकी राजनीतिक पकड़ जबरदस्त मानी जाती है। लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव पहले के चुनावी इतिहास को पलट सकते हैं। वसुंधरा सरकार सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही है। झालरापाटना में भाजपा के परंपरागत मतदाता रहे राजपूत और सवर्ण समाज में राजे के खिलाफ गुस्सा है।
राज्य सरकार की लोकप्रियता में गिरवाट आई है। चुनाव से पहले हुए तमाम चुनावी सर्वे के मुताबिक प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बन सकती है। लेकिन अगर वाकइ वसुंधरा राजे अपनी जीत के रिकॉर्ड को सुनिश्चत करने के लिए दूसरी विधानसभा सीट की तलाश कर रही है तो प्रदेश में भाजपा के हालात को बयां करता है।