Corruption की जांच करने वाली CBI की साख पर उठने लगे गंभीर सवाल

नारायण के मुताबिक अब इसमें कोई संदेह नहीं रह गया है कि सभी सरकार सीबीआई का अपने राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल करती है। सरकार और सुप्रीम कोर्ट को मिलकर इसका जल्द निवारण करना होगा। नारायण के मुताबिक किसी भी सरकार के आखिरी साल में सीबीआई को किसी राजनीतिक प्रतिद्वद्वी के खिलाफ कार्रवार्इ पर प्रतिबंध लगा दिया जाए।
नारायण ने कहा कि आलोक वर्मा के मौजूदा मामले में सबसे बड़े दोषी खुद वर्मा हैं। सीबीआई निदेशक होने के नाते उन्हें बात यहां तक बढने नहीं नहीं देना चाहिए था। वह डीओपीटी, गृहमंत्रालय, पीएमओ से राय मशविरा कर मामले को निबटाने के बजाए आरोप प्रत्यारोप और अखबारबाजी में फंसे रहे। इस मामले में सीवीसी का रोल भी सवालों केघेरे में है। संवैधानिक संस्था होने केनाते सीवीसी मामले को रोकने के लिए बहुत कुछ कर सकती थी।
नारायण के ही याचिका पर दिए फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने सीवीसी को सीबीआई की निगरानी करने का आदेश दिया था। लेकिन सीवीसी कुछ नहीं कर पाई। नारायण ने कहा कि पीएमओ ने भी समय रहते कोई कार्रवाई नहीं की। पीएमओ को करीब एक साल से मालूम था कि सीबीआई में नंबर एक और दो के बीच तनातनी चल रही है। अगर समय रहते पीएमओ ने दखल दिया होता तो स्थिति इतनी खराब नहीं होती।