अंतिम सत्र में समर्थक की संभावना वाले वर्ग पर होंगी सरकार(Govt.) की निगाहें

संसद
आम चुनाव से पहले 31 जनवरी से शुरू होने वाला संसद का अंतिम सत्र महज सांकेतिक नहीं होगा। मोदी सरकार आम चुनावों में पार्टी की सियासत के लिए मुफीद माने जाने वाले अहम बिलों, मसलन तीन तलाक और नागरिकता संशोधन बिल पर फिर से हाथ आजमाएगी। इसके अलावा सरकार उन बिलों की छंटनी करने में जुटी है, जिससे आम चुनाव से पहले सरकार और पार्टी दोनों के लिए सुखद संदेश दिया जा सके। गौरतलब है कि तीन तलाक बिल बीते दो सत्रों से जबकि नागरिकता संशोधन बिल बीते एक सत्र से राज्यसभा की देहरी पार नहीं कर पा रहा।
एक केंद्रीय मंत्री के मुताबिक तीन तलाक, आधार कानून संशोधन और नागरिकता संशोधन सहित उन एक दर्जन बिलों की छंटनी का सिलसिला शुरू हो गया है, जिन्हें अंतिम सत्र में पेश करना है। सरकार आम चुनाव से ठीक पहले खासतौर से तीन तलाक बिल के जरिए मुस्लिम महिलाओं और नागरिकता बिल के जरिए बहुसंख्यक समुदाय को सकारात्मक संदेश देना चाहती है। गौरतलब है कि तीन तलाक बिल में जहां तलाक एक बिद्दत के लिए तीन साल की सजा का, वहीं नागरिकता विधेयक में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से शरणार्थी के रूप में भारत आए हिंदुओं, सिखों, पारसी और ईसाईयों को नागरिकता देना आसान करने का प्रावधान है।
हालांकि ऐसा नहीं है कि किसी लोकसभा के अंतिम सत्र में सरकारें बिल पेश करने से परहेज करती रही हैं। पहले भी ऐसा हुआ है, लेकिन तब अंतरिम बजट की तारीख सत्र के अंतिम हफ्ते में तय की जाती थी। आमतौर पर अंतरिम बजट पेश होने के दो-तीन बैठकों के बाद सत्रावसान हो जाता था। इस बार सत्र के दूसरे दिन एक फरवरी को ही अंतरिम बजट पेश होगा। इसके बाद सरकार के पास सात कार्य दिवस होंगे। सरकार की योजना इन्हीं कार्य दिवसों में अपने समर्थक या समर्थन की संभावना वाले मतदाता वर्ग को इन बिलों के जरिए साधने की है। सुप्रीम कोर्ट की ओर से फिर नई तारीख देने के बाद राम मंदिर निर्माण के लिए अध्यादेश पर भी एक बार फिर से चर्चा है।