गरीबों(Poors) को न्यूनतम(Minimum) आय देने से सरकार पर बढ़ेगा बोझ, आएगा 7 Lakh Caror रुपये का खर्च

ज्यादा खर्च की वजह से नहीं लागू होगी योजना
दो साल पहले आए आर्थिक सर्वेक्षण में सार्वभौमिक बुनियादी आय के अंतर्गत 75 प्रतिशत घरों को सालाना 7,620 रुपये देने का सुझाव दिया गया था। जिससे कि हर कोई गरीबी रेखा से ऊपर जीवनयापन कर सके। मगर इसे लागू नहीं किया जा सका क्योंकि इसका खर्च ज्यादा आ रहा था और सरकार गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों को मिलने वाली सब्सिडी नहीं हटा सकती है।
इस सर्वें में अनुमान लगाया गया था कि जीडीपी 4.9 प्रतिशत रहेगी। इसमें सुझाव दिया गया था कि यदि 25 प्रतिशत घरों के पांच सदस्यों को न्यूनतम आय की गारंटी दी जाए तो इसकी लागत सालाना 2.4-2.5 लाख करोड़ रुपये आएगी। इन घरों के पांच सदस्यों को प्रतिमाह 3,180 रुपये देने से सरकार का खर्च 1.75 करोड़ रुपये आएगा।
इस योजना को लागू करने को लेकर कई तरह की चिंताए थीं। खासतौर से ऐसे घरों की पहचान करना। हालांकि पूर्व आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम का कहना था कि इसे लागू किया जा सकता है। उन्होंने सुझाव दिया था कि जिन लोगों के पास एसी, कार और एक निश्चित बैंक बैलेंस हैं उन्हें इस योजना से अलग किया जाए। इसमें इस बात की वकालत की गई थी कि लाभार्थियों की सूची को सार्वजनिक किया जाए।