केंद्र सरकार और पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार के बीच तनातनी जारी है। ऐसे में सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है? जबकि राज्य में भाजपा की स्थिति खराब नहीं है। शनिवार को भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस सरकार पर काफी हमलावर मूड में नजर आए। उन्होंने दावा किया कि सरकार का जाना तय है।
20 से 22 सीटें जीतने का लक्ष्य
भाजपा ने लोकसभा चुनाव 2019 में राज्य में 20 से 22 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। इस बार भाजपा सरकार पूरी तैयारी में नजर आ रही है। इससे पहले भी पार्टी का प्रदर्शन राज्य में अच्छा रहा है। साल 2014 के चुनावों में पार्टी ने 16.8 फीसदी वोटों के साथ दो सीटें हासिल की थीं। 2016 के विधानसभा चुनावों में सरकार की स्थिति और भी बहतर हुई। 2016 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 10.2 फीसदी वोट के साथ तीन सीटें हासिल की थीं।
बीते साल फरवरी में उलुबेरिया लोकसभा और नोआपाड़ा विधानसभा सीट पर हुए चुनावों में पार्टी दूसरे स्थान पर रही थी। पार्टी को उलुबेरिया में 23.29 फीसदी और नोआपाड़ा में 20.7 फीसदी वोट मिले थे। इससे पहले कोंतई विधानसभा उपचुनाव में भी भाजपा 30 फीसदी वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रही थी।
5 सीटों पर प्रभावी मतुआ समुदाय पर नजर
उत्तर 24-परगना जिले में बांग्लादेश से लगे जिस ठाकुरनगर इलाके में पीएम मोदी की पहली सभा हुई वह राजनीतिक रूप से बेहद अहम है। अंतरराष्ट्रीय मतुआ महासम्मेलन के मौके पर आयोजित इस रैली से पहले प्रधानमंत्री ने मतुआ ठाकुरबाड़ी जाकर बड़ो मां के नाम से मशहूर मतुआ समुदाय की नेता वाणी देवी से भी मुलाकात की। क्षेत्र की पांच सीटों पर ये समुदाय निर्णायक भूमिका में है।
यह इलाका मतुआ समुदाय का गढ़ है। यह समुदाय वर्ष 1947 में देश विभाजन के बाद शरणार्थी के तौर पर यहां आया था। राज्य में इस तबके की आबादी लगभग तीस लाख है और उत्तर व दक्षिण 24-परगना जिलों की कम से कम पांच सीटों पर यह निर्णायक स्थिति में है। मोदी ने कहा, "इस तबके के कई लोगों को तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान में अत्याचार सहना पड़ा था। भारत में यह लोग समुचित सम्मान और जगह के हकदार हैं। इसी वजह से केंद्र सरकार ने नागिरकता (संशोधन) विधेयक तैयार किया है। लेकिन तृणमूल कांग्रेस इसका विरोध कर रही है।"
पंचायत चुनाव में भी दूसरे नंबर पर रही भाजपा
राज्य में हुए पंचायती चुनावों में भी भाजपा की स्थिति अच्छी रही थी। इन चुनावों में भाजपा दूसरे स्थान पर थी। राज्य की कुल 31,802 ग्राम पंचायत सीटें में से 20,848 पंचायत सीटें सत्तारूढ़ टीएमसी ने जीती थीं। वहीं भाजपा ने इन चुनावों में दूसरे नंबर पर रहते हुए 5,636 सीटें जीती थीं।
क्या है राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार राजनीतिक विश्लेषक मनतोष नंदी कहते हैं, "इसकी कई वजहें हैं। पहली तो पार्टी की रथयात्रा को अनुमित नहीं मिलना। इससे जहां पार्टी की कोशिशें नाकाम हुईं वहीं, एक अहम का मसला भी बन गया। उसके बाद अमित शाह की मालदा रैली के मौके पर हेलीकॉप्टर उतारने की अनुमति में आनाकानी और फिर शाह की पिछली रैली के बाद टीएमसी कार्यकर्ताओं के हमले ने पार्टी को अपनी रणनीति में बदलाव पर मजबूर कर दिया है।"
नंदी कहते हैं, "बंगाल के दक्षिण इलाके में शनिवार को मोदी की दो और उत्तरी इलाके में केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह की दो रैलियों से भाजपा की बदली रणनीति का पता चलता है। यह पहला मौका है जब प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ने एक ही दिन बंगाल में दो-दो रैलियों को संबोधित किया है।"