Chin के बेल्ट फोरम से दूरी बनाकर रखेगा India, 150 देशों के प्रतिनिधि होंगे शामिल

भारत ने बीआरआई कार्यक्रम के अन्य पहलुओं पर भी आपत्ति जताई है। उसका कहना है कि इसका अस्पष्ट उद्देश्य विकासशील देशों की परियोजनाओं के लिए उधार देकर उन्हें कर्ज के बोझ में दबाना है। भारत के रुख की पुष्टि मलेशिया, श्रीलंका, म्यांमार और सिएरा लियोन जैसे देशों ने की है। उन्होंने या तो चीनी कंपनियों के साथ अपने कांट्रैक्ट को रद्द कर दिया है या फिर नए सिरे से बातचीत कर रहे हैं।
रिकनेक्टिंग एशिया प्रोजेक्ट एट द सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज इन वाशिंगटन के निदेशक जोनाथन हिलीमैन ने कहा, 'बहुत सारे फोरम बेल्ट एंड रोड ब्रांड को बहाल करने की कोशिश कर रहे है जो पिछले दो सालों में धूमिल हो गया है।' अमेरिका ने कई बार बीआरआई पर आपत्ति जताई है और कार्यक्रम में एक निम्न स्तर के प्रतिनिधिमंडल को भेजने का निर्णय लिया है।
मगर चीन इस कार्यक्रम का इस्तेमाल अमेरिका को अपनी शक्ति दिखाने के लिए और देशों को आकर्षित करने की अपनी क्षमता के तौर पर करेगा। इंस्टीट्यूट ऑफ चीन-अमेरिका स्टडीज इन वाशिंगटन के सीनियर फेलो सौरभ गुप्ता ने कहा, 'यह ताकत का राजनीतिक प्रदर्शन है। इसके जरिए चीन खुद को वैश्विक विकास प्रणाली के तौर पर स्थापित करना चाहता है।'