CJI रंजन गोगोई मामले में जस्टिस मिश्रा बोले- Supreme Court को रिमोट कंट्रोल से नहीं चला सकते

रोज होती है प्रभावित करने की कोशिश
जस्टिस मिश्रा ने कहा, नानी पालकीवाला, फलीएस नरीमन और के पराशरन जैसे लोगों ने इसे महान संस्थान बनाया है। लेकिन अब रोज बेंच फिक्स करने की खबर आती हैं। चार-पांच फीसदी ऐसे लोग हैं जो इस महान संस्थान को बदनाम करने में लगे हैं। हर दिन व हर व्यक्ति सुप्रीम कोर्ट को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है। हम आएंगे और चले जाएंगे लेकिन संस्थान का वजूद हर हाल में बना रहना चाहिए। बेंच ने ये तल्ख टिप्पणियां तब कीं जब सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि बैंस के आरोपों की तह तक जाने के लिए विशेष जांच दल से जांच करानी चाहिए।
विशेषाधिकार नहीं, उत्सव को साक्ष्य देने ही होंगे
बेंच ने सुबूत देने पर वकील उत्सव बैंस द्वारा किए विशेषाधिकार के दावे को खारिज कर दिया। कोर्ट के पूछने पर अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने नियमों का हवाला देते हुए कहा, इस मामले में मुवक्किल और वकील का संबंध नहीं है। उत्सव ने व्यक्तिगत हलफनामा दिया है। इसलिए विशेषाधिकार का लाभ लेकर साक्ष्य देने से इनकार नहीं कर सकते। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश खन्ना ने भी इससे सहमति जताते हुए कहा कि कोर्ट साक्ष्य देने के लिए समन जारी कर सकता है। ऐसे में उत्सव विशेषाधिकार का दावा नहीं कर सकते।
आपको नहीं पता इन लिफाफों में क्या है
व्यक्तिगत तौर पर पेश हुईं वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने कहा कि कोर्ट यह स्पष्ट करे कि बैंस के हलफनामे में किए दावों की जांच और सीजेआई पर लगे आरोपों की जांच अलग-अलग विषय हैं। इस पर कोर्ट ने कहा, यह बहुत ही संगीन आरोप है कि बेंच फिक्सिंग का तरीका अपनाया गया और जब इसमें विफल हो गए तो यहां घूम रहे कुछ फिक्सरों ने यह करने का प्रयास किया। जस्टिस मिश्रा ने जयसिंह से कहा, आपको समझ में नहीं आ रहा हम क्या कर रहे हैं। आपको मालूम ही नहीं है कि इन सीलबंद लिफाफों में क्या है। जयसिंह ने पीठ से बैंस की पृष्ठभूमि की जांच की भी मांग की।