Hindi हार्टलैंड में BJP की अग्निपरीक्षा, अंतिम चार चरणों में 7 राज्यों की 159 सीटों पर मतदान
मतदान (सांकेतिक तस्वीर)
सोमवार से शुरू हो रहे लोकसभा चुनाव के अंतिम चार चरणों में हिंदी हार्टलैंड के 7 राज्य भाजपा की सियासी तकदीर लिखेंगे। हिंदी पट्टी के 8 राज्यों में से बाकी बचे 7 की 159 सीटों पर अंतिम चार चरणों में वोट डाले जाएंगे। इन बाकी बची सीटों में से 2014 में भाजपा ने 92 फीसदी सीटों पर कब्जा जमाया था। इन्हीं राज्यों में पार्टी ने चमत्कारिक प्रदर्शन कर अपने दम पर बहुमत जुटाया था और राजनीतिक पंडितों को चौंकने पर मजबूर कर दिया था। गौरतलब है कि हिंदी पट्टी में यूपी, बिहार, झारखंड, राजस्थान, छत्तीसगढ़, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, मध्यप्रदेश, उत्तराखंड और हरियाणा शामिल हैं। इनकी 225 सीटों में से भाजपा ने बीते चुनाव में 190 सीटों पर जीत हासिल की थी। तीन चरणों में उत्तराखंड की 5 सहित इन राज्यों की 66 सीटों पर मतदान हो चुका है। बाकी 159 सीटों पर अंतिम चार चरणों में मतदान है। इनमें यूपी की 54, बिहार की 26, झारखंड की 14, राजस्थान की 25, दिल्ली की 7, हिमाचल की 4 और मध्यप्रदेश की 29 सीटें शामिल हैं। बीते चुनाव में पार्टी ने दिल्ली, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश की सभी 36 सीटें अपने नाम की थी। जबकि बाकी चार राज्यों की 123 सीटों में से पार्टी ने 90 फीसदी सीटें अपने नाम की थी।
पुराने प्रदर्शन के लिए मोदी केंद्रित प्रचार
हिंदी हार्टलैंड में पुराना प्रदर्शन दोहराने के लिए पार्टी ने तीसरे चरण के चुनाव के बाद अचानक प्रचार को फिर से पीएम मोदी केंद्रित कर दिया है। पार्टी के रणनीतिकारों का कहना है कि हिंदी हार्टलैंड में मतदाताओं को कहीं कहीं उम्मीदवारों से परेशानी हो सकती है, मगर पीएम मोदी के खिलाफ कोई नाराजगी नहीं है। इसलिए चुनाव प्रचार में राष्ट्रवाद, विकास सहित तमाम मुद्दे हैं, मगर मुख्य मुद्दा पीएम के व्यक्तित्व पर केंद्रित है।
चुनौतीः यूपी-बिहार-झारखंड में सामने गठबंधन, मप्र व राजस्थान में सत्ता में नहीं
अंतिम चार चरणों के चुनाव में भाजपा के लिए हिंदी पट्टी के सात राज्यों की बाकी बची 159 सीटें बड़ी चुनौती है। पार्टी को पता है कि यहां पुराना प्रदर्शन दोहराए बिना अपने दम पर बहुमत का आंकड़ा छूना मुश्किल होगा। हालांकि बीते चुनाव में इन राज्यों में विपक्ष अलग-थलग था। जबकि इस बार बिहार, झारखंड और यूपी में जहां पार्टी के सामने मजबूत गठबंधन है। वहीं मध्यप्रदेश और राजस्थान में भाजपा लंबे सयम पर सत्ता में नहीं है।