Lok Sabha चुनाव 2019: स्पेशल 26 दोहराने की कड़ी चुनौती, शाह पर निगाहें
अमित शाह, भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष (फाइल फोटो)
खास बातें
- राउंडअप-गुजरातः गांधीनगर में सभी लोकसभा सीटें अभी भाजपा की
- विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने किया था जोरदार प्रदर्शन
चुनाव के तीसरे चरण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की साख दांव पर है। दोनों के गृह राज्य गुजरात की सभी सीटों पर 23 अप्रैल को मतदान होगा। पिछले चुनाव में सभी 26 लोकसभा सीटों पर कब्जा करने वाली भाजपा के सामने वैसा ही प्रदर्शन कायम रखने की चुनौती है। राजनीति के दोनों माहिर खिलाड़ियों को अच्छी तरह से मालूम है, यहां के आंकड़े भाजपा के लिए ठीक नहीं रहे, तो सुर्खियां बननी तय हैं। मोदी के मुख्यमंत्री काल के दौरान गुजरात में भाजपा ने कभी 15 से अधिक लोकसभा सीटें नहीं जीतीं, लेकिन उन्हें प्रधानमंत्री पद का दावेदार घोषित करने के बाद वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां सभी 26 सीटों पर भाजपा का परचम लहराया। कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन के बाद लोकसभा चुनाव में भी अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है। कांग्रेस इस बार न सिर्फ खाता खोलने बल्कि 13 सीटें जीतने तक का दावा कर रही है। ऐसे में भाजपा के दोनों प्रमुख नेताओें को यहां पिछली बार का आंकड़ा दोहराने के लिए कई गुना कड़ी मेहनत करनी होगी। भाजपा ने वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी सहित दस सांसदों के टिकट काटे हैं और नए चेहरों में चार विधायक भी खुद को आजमा रहे हैं। वहीं, विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष परेश धनाणी के साथ कांग्रेस के आठ विधायक जनता की अदालत में खड़े हैं।
कांग्रेस के मुद्दे
'न्याय' के जरिए गरीबों को 72 हजार रुपए सालाना, किसानों के लिए अलग बजट, सौराष्ट्र एवं अन्य किसान बाहुल्य सीटों पर किसान आत्महत्या, अपर्याप्त समर्थन मूल्य व सिंचाई के पानी का अभाव तथा फसल खराब होने पर कम मुआवजा, ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य व शिक्षा व्यवस्था का अभाव, कारोबारी व औद्योगिक सीटों पर केंद्र सरकार की नीतियों से नुकसान व बेरोजगारी जैसे मुद्दे।
भाजपा के मुद्दे
नरेंद्र मोदी के गुजरात से होने के कारण बतौर प्रधानमंत्री फिर से मौका देने, गठबंधन के बजाय पूर्ण बहुमत वाली मजबूत सरकार, विकास कार्यों, पुलवामा आतंकी हमले के बाद हुई एयर स्ट्राइक, उड़ी आतंकी हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक, किसानों का समर्थन मूल्य डेढ़ से दो-गुना एवं केंद्र की जन कल्याण की योजनाओं के मुद्दों पर भाजपा का प्रचार आधारित है।
इन सीटों पर सभी की नजरें, शाह कितने मतों से बनेंगे शहंशाह
अमित शाह के प्रत्याशी होने के पहले से गांधीनगर वीवीआईपी सीटों में शुमार रही है। यहां लोगों में चर्चा यही है कि शाह कितने वोटों से जीत दर्ज करेंगे? कांग्रेस ने विधायक सीजे चावड़ा को टिकट दिया है। चावड़ा ठाकोर समुदाय से आते हैं, यह वर्ग अमूमन कांग्रेस का समर्थक रहा है। गांधीनगर में 19.21 लाख मतदाता हैं।
अहमद पटेल के अहम का सवाल
भरूच में कांग्रेस ने अहमद पटेल के नजदीकी व एक मात्र मुस्लिम प्रत्याशी शेरखान पठान को मौका दिया है। यहां से अहमद ने 1977 में पहला चुनाव जीता था। दो बार और जीते, लेकिन 1989 व 1991 में हारे भी। कांग्रेस ने 1989 के बाद से अब तक जीत का स्वाद नहीं चखा है। भाजपा ने सांसद मनसुखभाई वसावा को टिकट दिया है।
नेता प्रतिपक्ष से सीट की आस
अमरेली लोकसभा सीट से विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष परेश धनाणी से कांग्रेस को आस है। हालांकि यहां दो बार से भाजपा जीत रही है। धनाणी के सामने भाजपा के दो बार से सांसद नारायण कछड़िया हैं। कांग्रेस का मानना है कि इस सीट पर किसान अधिक हैं, जो केंद्र से नाराज हैं और इसका फायदा पार्टी को मिल सकता है।
कांग्रेस को गढ़ में वापसी का इंतजार
अमूल डेयरी से आणंद लोकसभा क्षेत्र की पहचान देशभर में है। यूपीए सरकार में मंत्री रहे और गुजरात के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके भरत सिंह सोलंकी यहां कांग्रेस प्रत्याशी हैं। कांग्रेस को इस सीट पर वापसी का बेसब्री से इंतजार है। सोलंकी यहां वर्ष 2014 से पहले लगातार दो बार सांसद रहे हैं, मोदी लहर में उन्होंने ये सीट गंवा दी थी। भाजपा ने कारोबारी मितेश पटेल को मैदान में उतारा है। मुकाबला कांटे का होने की उम्मीद है।
यहां पहले से ही है मोदी मुद्दा
भाजपा के लिए गुजरात हिन्दुत्व की सफल प्रयोगशाला मानी जाती है। भाजपा का शीर्ष नेतृत्व गुजरात के सफल प्रयोग को देश के चुनाव पर लागू करता दिखाई दे रहा है। प्रदेशवासियों के लिए खास मुद्दा 'मोदी' ही रहने वाले हैं। देश में तो धीरे-धीरे मोदी बनाम विपक्ष मुद्दा परवान चढ़ा है, लेकिन ये मुद्दा यहां पूरी तरह छाया हुआ है। लालकृष्ण आडवाणी की जगह गांधीनगर सीट से शाह मैदान में हैं और इस सीट को छोड़ दिया जाए, तो हर सीट पर भाजपा उम्मीदवार से अधिक मोदी की ही चर्चा है।
युवा तिकड़ी टूटी, कांग्रेस की मुश्किल
कांग्रेस को विधानसभा चुनाव की तरह अब युवा तिकड़ी, दलित नेता जिग्नेश मेवाणी, ओबीसी नेता अल्पेश ठाकोर व पाटीदार नेता हार्दिक पटेल का फायदा पूरी तरह नहीं मिल सकेगा। उसके तरकश में हार्दिक ही बचे हैं। पटेल कांग्रेस के प्रचार में जुटे हैं। अल्पेश कांग्रेस से नाराज होकर किनारा कर चुके हैं। मेवाणी अधिकांश समय बिहार की बेगूसराय सीट से उम्मीदवार कन्हैया के लिए प्रचार में जुटे हैं।
कांग्रेस ने जीती थीं 182 में से 81 सीटें
वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ भाजपा को कड़ी टक्कर देते हुए कांग्रेस ने 182 सीटों में से 81 सीटों पर जीत हासिल की थी, जो विधानसभा चुनाव के बीस वर्षों के इतिहास में पार्टी का सबसे सम्मानजनक प्रदर्शन रहा। वह बहुमत के आंकड़े से मात्र 15 सीट पीछे रही और भाजपा को 99 के आंकड़े पर समेट दिया। इसलिए कांग्रेस को लोकसभा चुनाव से काफी उम्मीदें हैं। उसके प्रदर्शन ने मोदी और शाह की रणनीति के खिलाफ बोलने वालों को मौका दे दिया था।
सौराष्ट्र छुड़ा सकता है भाजपा को पसीने
ग्रामीण प्रभाव वाली सीटों पर भाजपा के खिलाफ कांग्रेस को उम्दा प्रदर्शन की उम्मीद है। ग्रामीण क्षेत्रों के आधार पर सौराष्ट्र में भाजपा की हालत नाजुक कही जा सकती है और कांग्रेस खुद को यहां मजबूत मान रही है। यहां से विधानसभा के आंकड़े कांग्रेस के पक्ष में रहे थे। इसके अलावा छोटा उदयपुर और दाहोद सीट पर भी कांग्रेस बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद से जुटी हुई है।