पूर्वांचली मतदाता किसे भेजेंगे
Lok Sabha-मनोज तिवारी या शीला दीक्षित?

प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद से तिवारी काफी सक्रिय रहे और पूर्वांचली वोटरों को साधने की पूरी कोशिश की। पूर्वांचल के कई युवाओं को राजनीति में बेहतर अवसर देने के लिए भी मनोज तिवारी जाने जाते हैं। दिल्ली में बड़े पूर्वांचली कार्यक्रम कर उन्होंने अपनी ताकत दिखाई तो झुग्गी-झोपड़ियों में पहुंचकर पूर्वांचली मतदाताओं को साधने की बेहतर कोशिश की। यही वजह है कि मनोज तिवारी को लाने का भाजपा को बड़ा फायदा हो सकता है।
कांग्रेस की तरफ से महाबल मिश्रा पश्चिमी दिल्ली के जमीनी नेता रहे हैं। एक पार्षद के रूप में अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत कर उन्होंने इस सीट से सांसद होने तक का सफर तय किया। हालांकि पिछले लोकसभा चुनाव में वे हार गये। लेकिन महाबल मिश्रा की इस सीट पर अच्छी पकड़ बताई जाती है। पूर्वांचली नेता के रूप में वे इस समाज में अच्छी दखल रखते हैं।
आम आदमी पार्टी पूर्वांचली वोटरों की एक बड़ी दावेदार बनकर उभरी है। उसके नेता संजय सिंह पूर्वांचल के लोगों के बीच बहुत सक्रिय हैं। उत्तर-पूर्व सीट से मनोज तिवारी के सामने आप उम्मीदवार दिलीप पांडेय पिछले छह महीने से अपनी सीट पर मेहनत कर रहे हैं और लोगों से व्यक्तिगत संपर्क बना रहे हैं। दिलीप पांडेय का मृदु व्यवहार और किसी भी काम के लिए लोगों के बीच उनकी सहज उपलब्धता उनकी सबसे बड़ी ताकत बताई जाती है।
माना जाता है कि दिल्ली में सबसे बड़ा प्रवासी वर्ग पूर्वांचली अरविंद केजरीवाल की सस्ती बिजली और पानी से सबसे ज्यादा आकर्षित हुआ था और उसने आप की राजनीतिक सफलता में बड़ी भूमिका निभाई थी। अगर वह वर्ग इस चुनाव में भी आम आदमी पार्टी के साथ बना रहता है तो इससे भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों को मुश्किल हो सकती है। ऐसे में पूर्वांचली मतदाता किस पर अपना भरोसा जताता है, यह देखने वाली बात होगी।