Lok Sabha चुनाव 2019: जुबानी तीरों के वीरों पर आज फैसला करेगा ‘लेनिनग्राद’

चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले लोकसभा चुनाव में इस सीट पर कुल 60.60 फीसदी वोटिंग हुई थी, जहां भाजपा 24.08 फीसदी वोट के साथ पहले स्थान पर थी तो वहीं 20.80 फीसदी वोट के साथ राजद दूसरे नंबर पर था। भाकपा को 10.83 फीसदी वोट हासिल हुई थी। भोला बाबू के निधन और कन्हैया कुमार की उम्मीदवारी के कारण इस बार बेगूसराय में गिरिरराज सिंह के साथ - साथ भाजपा की प्रतिष्ठा भी दांव पर है।
मुंगेरः बाहुबली की प्रतिष्ठा दांव पर
मुंगेर लोकसभा सीट भी इस बार हॉट सीट बनी हुई है। यहां से जदयू के ललन सिंह का मुकाबला बाहुबली नेता अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी से हो रहा है। बाहुबली अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी महागठबंधन से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं। ललन सिंह बिहार सरकार में मंत्री हैं और सीएम नीतीश कुमार के करीबी हैं। ऐसे में यहां सीधे तौर पर नीतीश की प्रतिष्ठा दांव पर है।
उजियारपुर: दो दिग्गजों में जीत का घमासान
उजियारपुर सीट इस बार दो दिग्गज मैदान में है। यहां एनडीए से भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय प्रत्याशी है, वे सांसद भी हंै। इनके सामने पिछली बार एनडीए के साथ रहे रालोसपा के मुखिया उपेंद्र कुशवाहा हैं। कुशवाहा इस बार महागठबंधन में शामिल है।
आंतरिक विरोध में उलझे गठबंधन के लिए जीत की चुनौती
दरभंगा मिथिला का प्रमुख शहर है। यह सीट ब्राह्मण और मुस्लिमों का गढ़ माना जाता है। 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए महागठबंधन ने राजद के दिग्गज अब्दुल बारी सिद्दीकी को अपना प्रत्याशी बनाया है, तो वहीं उनको चुनौती देने के लिए भाजपा ने गोपालजी ठाकुर को चुनावी मैदान में उतारा है। अब्दुल बारी सिद्दीकी की गिनती राजद के वरिष्ठ नेता में होती है। सिद्दीकी बिहार सरकार में मंत्री रह चुके हैं। 2014 के चुनाव में यहां से भाजपा के कीर्ति आजाद जीते थे, लेकिन भाजपा से नाराज होकर कीर्ति अब कांग्रेस में शामिल हो गए हैं और झारखंड के धनबाद से चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं राजद के अब्दुल बारी सिद्दीकी पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। उन्हें राजद के ही नेता और पूर्व सांसद अली अशरफ फातमी के विरोध का सामना भी करना पड़ रहा है।
पासवान पिरवार की प्रतिष्ठा पर बात, कांग्रेस सियासी जमीन कर रही मजबूत
पूर्व मुख्यमंत्री जननायक कर्पूरी ठाकुर की जन्मभूमि समस्तीपुर लोकसभा क्षेत्र अपनी समृद्ध सियासी, सांस्कृतिक और औद्योगिक विरासत के लिए जाना जाता है। नए परिसीमन के मुताबिक समस्तीपुर लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित है। साल 2014 की तरह ही इस बार भी 2019 में समस्तीपुर से लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान के भाई रामचंद्र पासवान सियासी मैदान में हैं, तो वहीं कांग्रेस अपनी सियासी जमीन मजबूत करने के उद्देश्य से एक बार फिर अशोक राम को रामचंद्र पासवान के खिलाफ चुनाव में उतारा है। इससे पहले 2004 के चुनाव में राजद के आलोक कुमार मेहता ने जदयू प्रत्याशी रामचंद्र सिंह को हराया था।