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सोमवार, 29 अप्रैल 2019

Mumbai में Congress के लिए फिर खड़े होने की चुनौती

Mumbai में Congress के लिए फिर खड़े होने की चुनौती, एक भी Lok Sabha सीट पास नहीं


कांग्रेस (फाइल फोटो)
कांग्रेस (फाइल फोटो)
देश के सबसे बड़े महानगर मुंबई की छह में से एक भी लोकसभा सीट कांग्रेस के पास नहीं है। 1990 के बाद ऐसा दो लोकसभा चुनावों में हुआ जब कांग्रेस यहां सारी सीटें खो बैठी। 1992 में बाबरी विध्वंस के पश्चात 93 में यहां दंगे हुए और 1996 के चुनाव में पार्टी हारी। फिर 2014 में मोदी लहर उसे ले डूबी। कांग्रेस यहां भले आंतरिक संघर्षों से जूझ रही है परंतु उसने उम्मीद नहीं खोई है। वह वापसी को बेताब है। उसके साथ है, एनसीपी। भाजपा-शिवसेना फिर साथ हैं। जो पुराना प्रदर्शन दोहराने को कटिबद्ध हैं।  उत्तर मुंबई

यह सीट कभी कांग्रेस तो कभी भाजपा को मिलती रही है। पिछली बार भाजपा के गोपाल शेट्टी ने कांग्रेस के संजय निरूपम को 4.5 लाख वोटों से हराया था। इस बार शेट्टी एकतरफा जीत के प्रति आश्वस्त थे मगर कांग्रेस ने फिल्म अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर को उतार कर मुकाबला रोचक बना दिया। खुद को ‘मुंबई ची मुलगी’ यानी मुंबई की बेटी बताने वाली उर्मिला से टक्कर के लिए शेट्टी को कमर कसनी पड़ गई। उर्मिला और शेट्टी दिन-रात प्रचार में लगे हैं। उत्तर मुंबई में झोपड़पट्टी, सड़कें और पीने का पानी गंभीर समस्याएं हैं। मालवणी इलाके में जब शेट्टी पहुंचे तो स्थानीय लोगों ने उन्हें बीएमसी के नलों से महीनों से आ रहा कीड़ों भरा बदबूदार पानी गिलास में भर कर दिखाया। शेट्टी यह बताने के लिए कि वह इस समस्या में यहां के लोगों के साथ हैं, वह पानी पी गए! शेट्टी के साथ यहां शिवसेना है तो उर्मिला को राज ठाकरे और दलितों-मुस्लिमों का समर्थन मिल रहा है।

खास बात: 2004 में फिल्मस्टार गोविंदा ने कांग्रेस के टिकट से भाजपा के दिग्गज राम नाईक को हराया था।
वोटर क्या चाहे झोपड़ियों और कच्ची बस्तियों का पुनर्वास-पुनर्निर्माण। रेलवे और मैट्रो परियोजनाएं पूरी की जाएं। चौड़ी सड़कें। पीने का साफ पानी।

उत्तर पश्चिम मुंबई

1999 से 2009 तक कांग्रेस के पास रही उत्तर पश्चिम मुंबई सीट 2014 में शिवसेना के खाते में गई। यहां से सांसद गजानन कीर्तिकर को पार्टी ने इस बार भी उतारा। सामने हैं मुंबई कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष संजय निरूपम। यहां 17 लाख से ज्यादा वोटर हैं। छह लाख से अधिक मराठी वोटों के साथ शिवसेना-भाजपा के नेता 3 लाख 60 हजार उत्तर भारतीय और सवा दो लाख राजस्थानी वोटरों के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। निरूपम उत्तर भारतीयों समेत तीन लाख 34 हजार मुस्लिम वोटरों और 45 हजार ईसाई वोटरों पर भरोसा किए हुए हैं। उन्हें मराठी वोट बंटने की उम्मीद है। उन्हें सपा के सुभाष पासी से कड़ी टक्कर मिल रही है। माना जा रहा है कि भाजपा-शिवसेना का विरोध कर रही मनसे के 60 से 70 हजार मराठी वोट निरूपम को नहीं मिलेंगे।

खास बातः सुनील दत्त दो बार 1999, 2004 में कांग्रेस के टिकट पर जीते। उनके बाद उपचुनाव में बेटी प्रिया दत्त जीतीं।
वोटर क्या चाहेः अंधेरी-गोरेगांव के बीच रेलवे लाइन का विस्तार। पीएम आवास योजना के लिए सरकार जमीनों को मुक्त करे।

दक्षिण मुंबई

किसी समय पूरी तरह मराठी भाषी सीट रही दक्षिण मुंबई पर अब मुस्लिम और जैन मतदाताओं का अच्छा खासा प्रभाव है। यहां 15 लाख 81 हजार मतदाता हैं। शहरी निकाय में 36 में से शिवसेना के 18 और भाजपा के 10 पार्षद हैं, जबकि कांग्रेस के केवल छह और अखिल भारतीय सेना तथा सपा का एक-एक पार्षद है। दक्षिण मुंबई में अमीरों के साथ थोक तथा फुटकर बाजार व्यापारी नोटबंदी और जीएसटी से नाराज हंै। 2017 में एलफिंस्टन रेलवे ब्रिज और हाल में वीटी रेलवे ब्रिज दुर्घटना को सांसद अरविंद सावंत से खुद को सीधे जोड़ने की बात को गलत बताते हैं परंतु लोगों के मन में कई सवाल हैं। शिवसेना ने फिर सावंत को टिकट दिया और कांग्रेस ने उनके सामने मिलिंद देवड़ा को उतारा। देवड़ा के सामने मुंबई कांग्रेस को फिर पैरों पर खड़ा करने की चुनौती है।

खास बातः क्षेत्रफल के लिहाज से दक्षिण मुंबई देश का सबसे छोटा लोकसभा क्षेत्र है। 13.7 वर्ग किलोमीटर में फैला  महानगर का सबसे पॉश इलाका है।
वोटर क्या चाहे  पुरानी इमारतें, पुरानी सड़कें और यातायात समस्याएं हैं। सुरक्षा और पानी की समस्याएं हैं।

दक्षिण मध्य मुंबई

यह मुंबई का बहु-संस्कृतिवाला इलाका है। इसे मिनी इंडिया भी कहते हैं। रिहाइश, पुनर्वास, सड़क, साफ-सफाई और पेयजल जैसे मुद्दों से जूझते इस इलाके में ऊंट किस करवट पर बैठेगा, कोई नहीं जानता। पिछले चुनाव की तरह कांग्रेस ने एकनाथ गायकवाड़ और शिवसेना ने राहुल शेवाले को उतारा है। पिछली बार शेवाले जीते थे। शेवाले उद्धव ठाकरे के करीबी हैं व शिव सैनिक वोट मांग रहे हैं। यहां 14 लाख 40 हजार वोटर हैं। जिसमें छह लाख मराठी, दो लाख 76 हजार मुस्लिम व दो लाख उत्तर भारतीय वोटर हैं।

खास बातः एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी झोपड़ी रिहाइश धारावी को पुनर्वास का इंतजार है। इन लोगों ने कहा है कि वे नोटा दबाएंगे।
वोटर क्या चाहेः झोपड़पट्टियों के लोगों लिए पक्के घर। सड़कें, टॉयलेट व पानी की सुविधा उपलब्ध हो।

उत्तर पूर्व मुंबई

इस सीट पर मुंबई में सबसे ज्यादा 34 प्रत्याशी हैं। जिनमें 20 निर्दलीय हैं।  भाजपा ने 1999 और 2014 में यहां से जीते किरीट सोमैया की जगह नए उम्मीदवार मनोज कोटक को उतारा। शिवसेना ने सोमैया को टिकट देने पर भाजपा को समर्थन से मना किया था। 2009 में एनसीपी के लिए सीट जीतने वाले संजय दीना पाटिल मोदी लहर में हार के बाद फिर मैदान में हैं। उत्तर पूर्व मुंबई में साढ़े पंद्रह लाख से ज्यादा वोटर हैं, जिनमें तीन लाख मुस्लिम और एक लाख 60 हजार उत्तर भारतीय मतदाता हमेशा निर्णायक साबित होते हैं। यहां करीब साढ़े सात लाख मराठी और दो लाख गुजराती-मारवाड़ी वोटर हैं। भाजपा को उम्मीद है कि कांग्रेस-एनसीपी, बसपा (संजय सिंह) और वंचित बहुजन अघाड़ी (निहारिका खोंदले) एक-दूसरे के मुस्लिम और उत्तर भारतीय वोट काटेंगे। आरपीआई (आठवले) ने कहा है कि उसके दलित वोट बीजेपी को मिलेंगे। जानकारों के अनुसार मानखुर्द शिवाजीनगर क्षेत्र का बड़ा मुस्लिम तबका निर्णायक साबित होगा।

खास बातः  इस सीट का रिकॉर्ड है कि कोई उम्मीदवार लगातार दो बार नहीं जीता। 1984 के बाद कोई पार्टी भी यहां लगातार दो बार नहीं जीत पाई।
वोटर क्या चाहेः मुलुंड, कांजूर और देवनार डंपिंग ग्राउंड हटे, जो लोगों के स्वास्थ्य  के लिए गंभीर खतरा है।

उत्तर मध्य मुंबई

2014 में पूनम महाजन ने उस वक्त की सांसद प्रिया दत्त को 1.86 लाख वोटों से हराया था। प्रिया और पूनम फिर आमने-सामने हैं। प्रिया का तर्क है कि पिछली बार मोदी लहर थी और इस बार ऐसा कुछ नहीं है। शायद यही वजह है कि पूनम अल्पसंख्यक पट्टियों में घूम-घूम कर वोट पक्के करने में लगी है। 17 लाख वोटरों में यहां करीब 25 फीसदी मुस्लिम हैं। दोनों को जीत के लिए मुस्लिम वोटरों को रिझाने की चुनौती है। 2009 में इस सीट से संसद में पहुंची प्रिया राहुल गांधी के कहने पर चुनाव लड़ रही हैं। यहां एक तरफ शाहरुख, सलमान, आमिर की खान तिकड़ी समेत बड़े फिल्मी सितारों के बंगले हैं तो दूसरी तरफ झोपड़पट्टियां। क्षेत्र में रिहायश और पानी समस्या है। मराठी वोट करीब 34 प्रतिशत और 17 फीसदी उत्तर भारतीय हैं। गुजराती, राजस्थानी और ईसाई वोट करीब 13 फीसदी है।

खास बातः डॉ. बी.आर.आंबेडकर पहले आम चुनाव (1952) में शिड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन पार्टी के उम्मीदवार के रूप में यहां से हारे।
वोटर क्या चाहेः झोपड़पट्टी पुनर्वास की सरकारी योजनाओं पर काम हो। वायु प्रदूषण की समस्या खत्म हो।

शुद्ध हवा के लिए लड़ाई

पूरे मुंबई में जहां घर, सड़क, पानी बड़े मुद्दे हैं वहीं यहां की उत्तर पूर्व सीट पर प्रदूषण से लड़ना बड़ी चुनौती है। लोगों को सांस लेने के लिए शुद्ध हवा मिले, इसे मुद्दा बना कर अनिल हेब्बार निर्दलीय चुनाव में उतरे हैं। हेब्बार समाजसेवी हैं और बाबा आम्टे के सहयोगी रहे हैं। वह मेधा पाटकर के आंदोलनों से भी जुड़े हैं। उन्हें इस सीट पर आप समर्थन दे रही है। पिछली बार आप ने मुंबई उत्तर पूर्व से मेधा पाटकर को खड़ा किया था और उन्हें 76 हजार से अधिक वोट मिले थे। मुंबई महानगर हर दिन सात हजार टन से ज्यादा कचरा पैदा करता है और 1960 के दशक से मुलुंड-देवनार के मैदानों में यह कचरा डाला जाता रहा है। हेब्बार की लड़ाई यहां कचरे की डंपिंग के विरुद्ध और गरीब-निम्न मध्यमवर्ग के लिए मुफ्त चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराने की है।

बाकी 11 सीटों में से 6 शिवसेना के पास

चौथे चरण में मुंबई को छोड़कर जिन 11 सीटों पर 29 अप्रैल को मतदान होगा, उनमें से छह शिवसेना के ही खाते में हैं। इनमें नाशिक, कल्याण, ठाणे, मावल, शिरूर और शिर्डी शामिल हैं। वहीं, जो पांच सीटें भाजपा के पास हैं, उनमें नंदुरबार, धुले, दिंडोरी, पालघ्ार, भिवंडी शामिल हैं। 2014 में भाजपा ने कुल 24 सीटों पर चुनाव लड़ा था और इनमें से 23 पर जीत हासिल की थी।

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