Loksabha चुनाव 2019: न भूकंप से डिगे, न सांप-बिच्छुओं वाले रास्तों से डरे - Bharat news, bharat rajniti news, uttar pradesh news, India news in hindi, today varanasi newsIndia News (भारत समाचार): India News,world news, India Latest And Breaking News, United states of amerika, united kingdom

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मंगलवार, 30 अप्रैल 2019

Loksabha चुनाव 2019: न भूकंप से डिगे, न सांप-बिच्छुओं वाले रास्तों से डरे

Loksabha चुनाव 2019: न भूकंप से डिगे, न सांप-बिच्छुओं वाले रास्तों से डरे


मतदान (सांकेतिक तस्वीर)
मतदान (सांकेतिक तस्वीर)
लोकतंत्र के महापर्व में एक-एक वोट सहेजने की जुगत देखनी हो तो निकोबार द्वीप समूह को देखिये। यहां नेटवर्क की कोई सुविधा नहीं है। संपर्क का माध्यम केवल सेटेलाइट फोन हैं। यहां रास्ते मगरमच्छ, सांप और बिच्छुओं से भरे हुए। कई-कई जगह तो ईवीएम को पहुंचाने में ही सात दिन लग गए। कई जगह भूकंप के झटकों के बीच मतदान कराया गया। इसके बावजूद यहां पहले चरण में 11 अप्रैल को मतदान का आंकड़ा बेहद उत्साहजनक, करीब 65.18 फीसदी रहा।  निकोबार में कुल 27,346 वोटर हैं। इसमें कार निकोबार में 13,385, मनकॉवरी 7,646 और कैंपबल-वे में 6,315 मतदाता हैं। कैंपबल-वे का एक ऐसा मतदान केंद्र भी है जहां लगातार भूकंप आते रहते हैं। चुनाव टीम की चुनौतियों का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि मतदान के दिन निरीक्षण करने गईं जिला निर्वाचन अधिकारी डॉ. मोनिका प्रियदर्शनी और उनकी टीम के 16 घंटे हलचल का जायजा लेने में चले गए। इसके लिए उन्हें कम से कम आठ बार स्पीड बोट में सवार होकर मतदान केंद्रों तक पहुंचना पड़ा। 

तिलोपातियां... देश का सबसे दूरस्थ पोलिंग बूथ, सिर्फ 9 वोटर

देश के सबसे दूरस्थ पोलिंग बूथ निकोबार के तिलोपातियां में तो ईवीएम को जिला मुख्यालय तक पहुंचने में ही सात दिन लग गए। पोलिंग का सामान पानी के विशेष जहाज से भेजा गया क्योंकि निकोबार पोर्टब्लेयर से करीब 350 किमी दूर है। ज्यादातर इलाका छोटे-छोटे द्वीपों और पानी से घिरा हुआ है। पोर्टब्लेयर से कैंपबल-वे पहुंचने में 24 घंटे लगते हैं। इसके बाद शुरु होता है तिलोपातियां का सफर। यहां मतदान कराने पहुंची पोलिंग पार्टी तीन दिन बाद मतदान कराके लौटी। 

यहां केवल 9 वोटर हैं और मतदान संपन्न कराने के लिए 13 सदस्यों की पोलिंग पार्टी भेजी गई। यह पार्टी पांच घंटे लगातार स्पीड बोट इंजन डिंगी, होर्डी (देश में बना छोटा पानी का जहाज) का सफर करके तिलोपातियां पहुंचीं। डीजल जल वाहन होने के कारण एलपीजी सिलेंडर जा नहीं सकता, लिहाजा पोलिंग पार्टी को तीनों दिन खुद चूल्हा जलाकर खाना भी बनाना पड़ा। इसके अलावा पानी भी सीमित मात्रा में उपलब्ध था।

शास्त्रीनगर : भूकंप के 320 झटके, मतदान सौ फीसदी

निकोबार में एक बूथ और है- सदनपार्ट का सबसे सुंदर और जंगली जीव जंतुओं की चुनौतियों से भरा शास्त्रीनगर। यह कैंपबल-वे सबडिवीजन का ही हिस्सा है, लेकिन भूंकप के लिहाज से खासा संवेदनशील। यहां मतदान के एक दिन पहले 320 झटके और उस दिन भूकंप के लगातार झटके महसूस किए गए। इसके बावजूद यहां सौ फीसदी मतदान हुआ। 

वोट डालने नहीं आई आदिम जनजाति

पोर्ट ब्लेयर से 560 किमी दूर ग्रेट निकोबार के जंगलों में रहने वाली जनजाति शौंपन के लिए विशेष मतदान केंद्र बनाए गए थे, वोटिंग के लिए प्रेरित भी किया गया, लेकिन एक भी शौंपन वोट करने के लिए नहीं आया। 2014 में 107 मतदाताओं में से महज 2 ने वोट डाला था।

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