Loksabha चुनाव 2019: न भूकंप से डिगे, न सांप-बिच्छुओं वाले रास्तों से डरे

तिलोपातियां... देश का सबसे दूरस्थ पोलिंग बूथ, सिर्फ 9 वोटर
देश के सबसे दूरस्थ पोलिंग बूथ निकोबार के तिलोपातियां में तो ईवीएम को जिला मुख्यालय तक पहुंचने में ही सात दिन लग गए। पोलिंग का सामान पानी के विशेष जहाज से भेजा गया क्योंकि निकोबार पोर्टब्लेयर से करीब 350 किमी दूर है। ज्यादातर इलाका छोटे-छोटे द्वीपों और पानी से घिरा हुआ है। पोर्टब्लेयर से कैंपबल-वे पहुंचने में 24 घंटे लगते हैं। इसके बाद शुरु होता है तिलोपातियां का सफर। यहां मतदान कराने पहुंची पोलिंग पार्टी तीन दिन बाद मतदान कराके लौटी।
यहां केवल 9 वोटर हैं और मतदान संपन्न कराने के लिए 13 सदस्यों की पोलिंग पार्टी भेजी गई। यह पार्टी पांच घंटे लगातार स्पीड बोट इंजन डिंगी, होर्डी (देश में बना छोटा पानी का जहाज) का सफर करके तिलोपातियां पहुंचीं। डीजल जल वाहन होने के कारण एलपीजी सिलेंडर जा नहीं सकता, लिहाजा पोलिंग पार्टी को तीनों दिन खुद चूल्हा जलाकर खाना भी बनाना पड़ा। इसके अलावा पानी भी सीमित मात्रा में उपलब्ध था।
शास्त्रीनगर : भूकंप के 320 झटके, मतदान सौ फीसदी
निकोबार में एक बूथ और है- सदनपार्ट का सबसे सुंदर और जंगली जीव जंतुओं की चुनौतियों से भरा शास्त्रीनगर। यह कैंपबल-वे सबडिवीजन का ही हिस्सा है, लेकिन भूंकप के लिहाज से खासा संवेदनशील। यहां मतदान के एक दिन पहले 320 झटके और उस दिन भूकंप के लगातार झटके महसूस किए गए। इसके बावजूद यहां सौ फीसदी मतदान हुआ।
वोट डालने नहीं आई आदिम जनजाति
पोर्ट ब्लेयर से 560 किमी दूर ग्रेट निकोबार के जंगलों में रहने वाली जनजाति शौंपन के लिए विशेष मतदान केंद्र बनाए गए थे, वोटिंग के लिए प्रेरित भी किया गया, लेकिन एक भी शौंपन वोट करने के लिए नहीं आया। 2014 में 107 मतदाताओं में से महज 2 ने वोट डाला था।