Madras HighCourt का सुझावः सहमति से संबंध बनाने की उम्र 18 की बजाय 16 की जाए

अदालत याचिकाकर्ता अभिषेक (सांकेतिक नाम क्योंकि याचिकाकर्ता नाबालिग है) के मामले पर सुनवाई कर रही थी। उसे तमिलनाडु के नमक्कल की फास्ट ट्रैक महिला अदालत ने जून 2018 में पॉक्सो अधिनियम के तहत 10 साल का कठोर कारावास की सजा और 30,000 रुपये का जुर्माना लगाया था।
ट्रायल कोर्ट के फैसले को अलग रखते हुए उच्च न्यायालय के जज पाया कि जिन मामलों में लड़की की उम्र 18 साल से नीचे होती है, बेशक वह मानसिक रूप से परिपक्व अवस्था में अपनी सहमति दे लेकिन पॉक्सो अधिनियम के कारण इस तरह के रिश्तों को सैद्धांतिक रूप से गलत माना जाता है और उसके तथाकथित अपराधी को सात से 10 साल की सजा दी जाती है।
जज ने कहा कि इसी वजह से जमीनी हकीकत पर गहन विचार करके यह पाया गया है कि बच्चे की परिभाषा को पुनर्परिभाषित करके 18 की बजाए 16 किए जाने की जरूरत है। बाल अधिकार कार्यकर्ता काफी समय से इसकी मांग कर रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ज्यादातर जिन लोगों को पॉक्सो अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया जाता है उनमें टीनेज लड़के होते हैं जो लड़कियों के साथ सहमति से संबंध बनाते हैं।