Modi के अलावा Varanashi से BJP के एक और उम्मीदवार ने भरा पर्चा, जानिए क्या है वजह
नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव के लिए आज वाराणसी से अपना नामांकन पत्र दाखिल किया। उनके साथ भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, सुषमा स्वराज, नितिन गडकरी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मौजूद थे। प्रस्तावकों में वाराणसी के पाणिनि कन्या महाविद्यालय की प्रिंसिपल अन्नपूर्णा शुक्ला भी शामिल थी जिनका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पैर छूकर आशीर्वाद लिया। बड़ी बात यह रही कि वाराणसी लोकसभा सीट से प्रधानमंत्री मोदी के अलावा भाजपा से एक और प्रत्याशी ने पर्चा भरा। निर्मला सिंह नाम की इस प्रत्याशी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डमी कैंडिडेट के रूप में पर्चा दाखिल किया है। अमर उजाला से हुई बातचीत में उन्होंने खुद को पार्टी का एक कार्यकर्ता बताया लेकिन पर्चा दाखिल करने पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
डमी उम्मीदवार का इस्तेमाल पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी का पर्चा खारिज होने की स्थिति में किया जा सकता है। अगर किसी कारणवश प्रमुख उम्मीदवार का नामांरन रद्द हो जाए तो डमी उम्मीदवार को चुनाव लड़ाया जाता है।
क्यों बनाया जाता है डमी कैंडिडेट
पीएम मोदी का वाराणसी में रोड शो - फोटो : अमर उजाला
आजकल चुनाव में राजनीतिक पार्टियां डमी कैंडिडेट उतार रही हैं। जो उनकी पार्टी के मुख्य उम्मीदवार के पर्चा खारिज होने की स्थिति में पार्टी का प्रतिनिधित्व कर सकें। हालांकि यह प्रत्याशी पार्टी का अधिकृत उम्मीदवार नहीं माना जाता। ऐसी स्थिति बहुत कम देखने को मिलती है। फिर भी किसी भी संभावित खतरे से बचने के लिए पार्टियां इनका उपयोग करती हैं।
नाम वापसी की तारीख से पहले डमी कैंडिडेट को या तो पार्टी का अधिकृत चुनाव चिह्न जमा कराना होगा या तो अपना नामांकन वापस लेना होगा। नहीं तो एसी स्थिति में उनकी उम्मीदवारी निरस्त कर दी जाएगी।
डमी कैंडिडेट का उपयोग देश की अधिकतर पार्टियां करती हैं। इसका उपयोग पार्टी के प्रत्याशी का पर्चा खारिज होने की स्थिति में किया जा सकता है। इसके कई लाभ भी हैं जिसे कोई भी पार्टी छोड़ना नहीं चाहती हैं।
यह होता है डमी कैंडिडेट उतारने का फायदा
Modi road show
एक दूसरा पहलू यह भी है कि राजनीतिक पार्टियां निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में भी उम्मीदवार मैदान में उतारती हैं। ताकि एक प्रत्याशी के रूप मे वो सभी सुविधाएं और पात्रता मिल जाएं जिसका उपयोग वह अपनी पार्टी के प्रचार और हित में कर सकें। जिसमें उम्मीदवार को मिलने वाला वाहन, खर्च और प्रचार सामग्री, चुनाव कार्यालय शामिल हैं।
एक प्रत्याशी अधिकतम इतना कर सकता है खर्च
आपको बता दें कि एक उम्मीदवार अपने लोकसभा सीट पर प्रचार के लिए 70 लाख रुपये अधिकतम खर्च कर सकता है। हालांकि ये केवल बड़े राज्यों (बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल,आन्ध्र प्रदेश और कर्नाटक आदि) के उम्मीदवारों पर लागू होता है।
वहीं छोटे राज्यों जैसे अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, गोवा,अंडमान एवं निकोबार और अन्य पहाड़ी और पूर्वोत्तर के राज्य में प्रत्याशी 54 लाख से अधिक खर्च नहीं कर सकते हैं। पहले यह सीमा बड़े राज्यों में 40 लाख रुपये और छोटे राज्यों में 22 लाख रुपये था।
उम्मीदवार को प्रतिदिन के खर्च का ब्यौरा देना होता है अनिवार्य
Modi road show
चुनाव आयोग ने चुनाव लड़ने वाले हर उम्मीदवार के लिए प्रतिदिन के खर्च का ब्यौरा देना अनिवार्य कर दिया है। चुनाव खर्च को लेकर हर उम्मीदवार को एक अलग से बैंक अकाउंट खुलवाना जरूरी बना दिया गया है। चुनाव आयोग ने चुनाव खर्च की सीमा को बहुत ही सख्ती से लागू करने के बारे में दिशा निर्देश जारी किए हैं। ऐसी स्थिति में निर्दलीय प्रत्याशी को मिलने वाली सुविधाएं आसानी से राजनीतिक पार्टियां इस्तेमाल कर लेती हैं।
चुनाव के दौरान होने वाले सामान्य खर्चे को लेकर राशियां आवंटित हैं। जैसे-चुनाव प्रचार के दौरान वाहनों पर खर्च 34 फीसदी, अभियान सामग्री पर 23 फीसदी सार्वजनिक जन सभाओं पर 13 फीसदी, इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया पर 7 फीसदी, बैनर, होर्डिंग्स, पर्चे पर चार फीसदी और चुनाव क्षेत्र भ्रमण पर तीन फीसदी खर्च कर सकते हैं।