आयकर विभाग की अर्जी पर P. Chidambaram के परिवार से जवाब तलब

पीठ ने कहा कि दूसरे पक्ष को सुने बिना इस इस स्थिति में रोक लगाने का अर्थ होगा आयकर विभाग की अपील को स्वीकार करना। सॉलिसिटर जनरल ने कहा, यदि इस आदेश पर रोक नहीं लगाई गई तो अन्य हाईकोर्ट भी काला धन कानून के तहत आपराधिक मुकदमे को निरस्त कर सकते हैं। उन्होंने आग्रह किया कि हाईकोर्ट के आदेश को नजीर की तरह नहीं देखा जाना चाहिए। इस पर पीठ ने कहा कि इसे नजीर के तौर पर नहीं लिया जाएगा, क्योंकि हाईकोर्ट इस तथ्य से अवगत होंगे कि यह मामला सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है।
विदेशी संपत्ति और बैंक खातों की जानकारी छुपाने से संबंधित है मामला
यह मामला दरअसल चिदंबरम के परिजनों द्वारा कथित विदेशी संपत्ति और बैंक खातों की जानकारी छुपाने से संबंधित है। आयकर विभाग के अनुसार नलिनी, कार्ति और श्रीनिधि ने ब्रिटेन के कैम्ब्रिज में संयुक्त स्वामित्व वाली 5.37 करोड़ की संपत्ति की जानकारी आयकर रिटर्न में नहीं दी थी। जो कि काला धन (अघोषित विदेशी आय एवं संपत्ति) कानून के तहत अपराध है। आयकर विभाग ने यह भी कहा कि कार्ति चिदंबरम ने ब्रिटेन स्थित मेट्रो बैंक के अपने खाते और अमेरिका में निवेश की जानकारी नहीं दी। कार्ति ने अपनी सह-स्वामित्व वाली कंपनी चेस ग्लोबल एडवाइजरी द्वारा निवेश की भी जानकारी नहीं दी, जो काला धन कानून के तहत एक अपराध है।