SC-ST पदोन्नति आरक्षण: केंद्र सरकार को झटका, Delhi High Court का आदेश बरकरार

अदालत ने कहा कि आरक्षण देने से पहले प्रशासनिक दक्षता पर इसके प्रभाव को लेकर एक अध्ययन करने की आवश्यकता है। अदालत का कहना है कि इस मामले पर विस्तार से सुनवाई होनी जरूरी है। पीठ ने कहा, 'हम आज इसपर यथास्थिति को बनाए रखने को सही समझते हैं।' इससे पहले अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा था कि दिल्ली उच्च न्यायालय को इस तरह के आदेश पारित नहीं करने चाहिए।
वेणुगोपाल ने कहा कि एससी और एसटी समुदायों को सरकारी नौकरियों में पदोन्नति में आरक्षण से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर सर्वोच्च न्यायालय फैसला करेगी। मगर उच्च न्यायालय का निर्देश केंद्र के लिए परेशानी है। जरनैल सिंह के मामले में फैसला देते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने नवंबर में केंद्र को शीर्ष अदालत का फैसला लागू करने का निर्देश दिया था और तीन महीने के अंदर केंद्रीय नौकरियों में पदोन्नति में आरक्षण देने को कहा था चूंकि मामला लंबित होने के कारण नीति सालों से लागू नहीं हुई थी।
उच्च न्यायालय के आदेश को केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी और अटॉर्नी जनरल ने पीठ से कहा कि तीन महीने में आरक्षण को लागू करना संभव नहीं है। उन्होंने अदालत से उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध करते हुए कहा, 'एससी-एसटी कर्मचारियों के प्रतिनिधित्व का पता लगाने के लिए सरकार को अपने सभी विभागों से पता करना होगा।'