‘कैश फॉर वोट’ पर सुनवाई से Supreme Court का इनकार, जब्त हुए थे 78 करोड़ रुपये
कैश फॉर वोट मामला (लोकसभा)
तमिलनाडु में लोकसभा चुनाव के दौरान ‘कैश फॉर वोट’ यानी वोट के बदले नकदी बांटने के मामले में लगी याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। इस विशेष याचिका (एसएलपी) में कहा गया था कि राज्य में बड़े पैमाने पर मतदाताओं को नकदी बांटी गई, इस पर कोर्ट ने यह कहते हुए सुनवाई से इनकार कर दिया कि राज्य में अब मतदान समाप्त हो चुका है। हालांकि मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि याचिका में उठाए गए मुद्दे सही समय पर विचार के लिए खुले रहेंगे। इस याचिका में ‘कैश फॉर वोट’ को दंडनीय अपराध बताकर टीवी, अखबार और रेडियो के जरिए मतदाताओं को जागरूक करने की मांग पर शीर्ष अदालत ने चुनाव आयोग से जवाब मांगा था। इसमें कहा गया था कि राज्य में 78.12 करोड़ रुपये जब्त हुए हैं और आयोग ने तमिलनाडु व पुड्डुचेरी की सभी सीटों को ‘खर्च संवेदनशील’ घोषित किया था।
एक सर्वे रिपोर्ट के हवाले से राज्य में वोट के लिए बढ़ रहे नकदी के इस्तेमाल का भी उल्लेख किया गया। याचिका में कहा गया कि अगर एक राजनीतिक दल के पास ज्यादा धन है तो उसे हराना असंभव हो जाएगा। 2009 में मदुरई, तिरुमंगलम उपचुनाव की भी याद दिलाई गई, जहां सभी दलों ने खुलेआम नकदी वितरित की थी। साथ ही चुनाव आयोग द्वारा ‘कैश फॉर वोट’ पर प्रभावी निगरानी के लिए उड़नदस्तों की तादाद बढ़ाने की मांग रखी गई।