सत्ता संग्राम 2019: जातीय समीकरण और अंतर्विरोध ही निभाएंगे निर्णायक भूमिका
कीर्तवर्धन सिंह (भाजपा), कृष्णा पटेल (कांग्रेस) और विनोद कुमार उर्फ पंडित सिंह (गठबंधन)
क्या चौराहा और क्या चौपाल, गोंडा में हर जगह इन दिनों राजनीतिक चर्चाएं आम है। कोई किसान निधि के फायदे गिनाता है तो किसी के लिए आवारा पशुओं से होने वाला नुकसान बड़ा मुद्दा है। पांच साल में घरों में आई सुविधाएं गिनाने से भी आम मतदाता गुरेज नहीं करता, लेकिन जातिगत समीकरण और जातियों के अंतर्विरोध भी अंतिम फैसले में निर्णायक साबित हो रहे हैं। लखनऊ और दिल्ली में बैठे राजनीतिज्ञों और विश्लेषकों का गुणा-भाग चाहे जो हो, लेकिन गोंडा का मतदाता मुख्य लड़ाई सपा-बसपा गठबंधन और भाजपा के बीच मान रहा है। यह भी सच है कि मोदी मैजिक अपना काम कर रहा है। भाजपा ने यहां से मौजूदा सांसद कीर्तिवर्धन सिंह (राजा भैया) को उतारा है। गठबंधन से विनोद कुमार सिंह उर्फ पंडित सिंह और कांग्रेस से कृष्णा पटेल मैदान में हैं। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहियावादी) के प्रत्याशी कुतबुद्दीन उर्फ डायमंड भी चर्चा में हैं। वह मुस्लिम वोट काटकर गठबंधन की हार-जीत के गणित को प्रभावित कर सकते हैं। यहां का मतदाता बाहर से आए लोगों के बीच आसानी से नहीं खुलता, पर भरोसा जम जाए तो साफ बोलने से झिझकता भी नहीं। विभिन्न जातियों का रुझान जानने के लिए युवाओं से बात करना मददगार साबित हुआ। इस लोकसभा सीट में पांच विधानसभा क्षेत्र-गोंडा सदर, मेहनोन, मनकापुर सुरक्षित, गौरा और उतरौला आते हैं।
हमारे लिए तो कांग्रेस ठीक
गोंडा से उतरौला रोड पर 5-7 किलोमीटर आगे सिसौर अंदूपुर चौराहे की चाय की दुकान पर मिले रामखेर वर्मा कहते हैं जब से भाजपा राज आया है, किसान चौकीदार बनकर रह गया है। रात को पिता और दिन में बेटा लावारिस जानवरों से फसल की रखवाली करता है। जितना किसान निधि से मिल रहा है, उससे ज्यादा नुकसान हो जा रहा है। रक्षाराम वर्मा कहते हैं कि यही हाल रहा तो अनाज खरीदकर खाना पड़ेगा। इन हालात में हमें कांग्रेस ठीक लग रही है। किसान चतुरधन तिवारी कहते हैं कि लावारिस पशुओं से होने वाला नुकसान भाजपा के कराए सारे कामों पर पानी फेर रहा है।
मुद्दों पर दोस्ताना बहस
कांटा सोनबरसा चौराहा हर पार्टी के समर्थक मतदाताओं के बीच दोस्ताना बहस का केंद्र बना है। छोटा-मोटा कारोबार करने वाले महेंद्र कनौजिया कहते हैं कि हम पीएम मोदी के साथ हैं। वहीं, किसान घनश्याम कनौजिया गठबंधन को ठीक मानते हैं। शंकर गुप्ता कहते हैं कि मोदी ने घरों में शौचालय, गैस व बिजली कनेक्शन पहुंचाए। उन्हें वोट न देने का सवाल ही नहीं उठता। भदवां सोमवंशी गांव के मुकेश कोरी और राजकुमार चौरसिया भी उनसे सहमत हैं। वहीं, रजब अंसारी और मो. आजम गठबंधन के प्रत्याशी को बेहतर मानते हैं।
जमकर लड़ रहे हैं भाजपा और गठबंधन
मुजेहना चौराहे पर चाय की दुकान पर राष्ट्रवाद पर चर्चा छिड़ी है। इकबाल हुसैन, अशफाक और अरुण गौतम कहते हैं कि प्रसपा प्रत्याशी डायमंड जितना गठबंधन को नुकसान पहुंचाएंगे, उससे ज्यादा कांग्रेस प्रत्याशी कृष्णा पटेल भाजपा का नुकसान कर देंगी। हनुमान सिंह का मानना है कि मोदी ने पाकिस्तान को करारा सबक सिखाया है। यहां लड़ाई कांटे की है। अंधियारी चौराहे पर मिले मिथिलेश त्रिपाठी कहते हैं, भाजपा ठीक है, लेकिन छुट्टा जानवरों के चलते उसका 5-10 फीसदी वोट कट रहा है। सियाराम वर्मा कहते हैं, जानवर हम लोग ही तो छोड़ते हैं। मोदी का जादू ही चलेगा। चैनपुरा के वीपी सिंह कहते हैं कि उनके यहां वोट पंडित सिंह और राजा भैया के बीच बंट रहा है। राम अछेवा वर्मा कांग्रेस को फाइट में नहीं मानते।
प्रत्याशी नहीं, मोदी को समर्थन
मेहनोन विधानसभा क्षेत्र के सरजूपुरवा (माधोगंज) के मतदाता तय कर चुके हैं कि उन्हें किस ओर जाना है। हनुमान दत्त शुक्ला कहते हैं कि राजा साहब (भाजपा प्रत्याशी) किसी को थाने में सिफारिश करके न पिटवाते हैं और न प्रधानी के चुनाव में कोई दखल देते हैं। इसलिए हमारे लिए वे बेहतर हैं। संदीप शुक्ला कहते हैं कि अधिकांश ब्राह्मण मतदाताओं की पहली पसंद भाजपा है, लेकिन गठबंधन प्रत्याशी भी एक हिस्से को अपनी तरफ करने में कामयाब होते दिख रहे हैं। शुक्ला बताते हैं कि राजा साहब से मिलना आसान नहीं, लेकिन मोदी के नाम पर उन्हें समर्थन मिल रहा है।