प्रतीकात्मक तस्वीर - फोटो : Bharat Rajneeti
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने इस साल मार्च और अप्रैल में 3,622 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के चुनावी बॉन्ड बेचे हैं। पुणे के रहने वाले विहार दुर्वे को आरटीआई के लिए उपलब्ध कराए गए जवाब में एसबीआई ने कहा कि मार्च में उसने 1365.69 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड की बिक्री की। यह आंकड़ा अप्रैल में 65.21 फीसदी बढ़कर 2256.37 करोड़ रुपये हो गए।
बैंक ने कहा कि अप्रैल में सर्वाधिक 694 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड मुंबई में बेचे गए। इसके बाद कोलकाता का स्थान आता है, जहां 417.31 करोड़ रुपये मूल्य के बॉन्ड की बिक्री की गई। वहीं नई दिल्ली में 408.62 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड बेचे गए हैं।
वित्त मंत्रालय द्वारा एक खास अवधि के लिए बॉन्ड की बिक्री से संबंधित अधिसूचना जारी किए जाने के बाद एसबीआई की शाखाओं में बिक्री शुरू की गई थी। केंद्र द्वारा 2018 में अधिसूचित चुनावी बॉन्ड योजना को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई है।
दानदाताओं ने चुनावी मौसम में पार्टियों को चंदा देने के लिए जमकर चुनावी बॉन्ड की खरीदारी की है। हालांकि इन चुनावी बॉन्ड के जरिए किस पार्टी को कितना चंदा मिला, इसकी जानकारी दानकर्ताओं और इसे पाने वालों को ही होगी।
कब शुरू हुई स्कीम?
चुनावी बॉन्ड शुरू करने की घोषणा साल 2017-18 के बजट के दौरान की गई थी। ये एक तरह से करंसी नोट की तरह ही होता है, जिसके ऊपर इसकी कीमत लिखी होती है। इसमें पारदर्शिता बनाए रखने के उद्देश्य से चंदा देने के लिए बॉन्ड का उपयोग किया जाता है। ये चुनावी बॉन्ड एक हजार रुपये, दस हजार रुपये, एक लाख, दस लाख और एक करोड़ रुपये के मूल्य के उपलब्ध होते हैं।
कौन सी पार्टी ले सकती है चंदा?
चुनावी बॉन्ड के जरिए वो पार्टी चंदा ले सकती है जो 1951 एक्ट के सेक्शन 29ए के तहत रजिस्टर हो। साथ ही उसे पिछले आम चुनाव में कम से कम कुल वोट के एक फीसदी वोट मिले हों। इस बॉन्ड को भारत का कोई भी नागरिक खरीद सकता है। ये 15 दिनों के लिए मान्य होता है। इसे राजनीतिक पार्टी को इस दौरान संबंधित बैंक से कैश कराना होता है।