Bharat Rajneeti: मसूद पर बैन लगाने वाली बैठक टालना चाहता था पाकिस्तान, चीन को बनाया था हथियार

न्यूयॉर्क और नई दिल्ली में स्थित राजनयिकों के अनुसार, 'अमेरिका ने इस मामले पर सामने से नेतृत्व किया और 23 अप्रैल को चीन को तकनीकी रोक हटाने के लिए पहला अल्टीमेटम दिया। यदि वह नहीं मानता तो इस मामले को यूएनएससी ले जाया जाता।'
काफी विचार-विमर्श और फ्रांस, ब्रिटेन और रूस के बढ़ते दबाव के बाद चीन ने अमेरिकी वार्ताकारों को बताया कि वह एक मई को 1267 प्रतिबंध समिति की बैठक के लिए तैयार है। बुधवार को चीन ने तकनीकी रोक हटा दी जिसे उसने 13 मार्च को लगाया था। इससे पहले भी तीन मौकों पर चीन ने वीटो का इस्तेमाल करते हुए मसूद को वैश्विक आतंकी घोषित करने के रास्ते में अड़ंगा लगाया था।
राजनयिकों का कहना है कि भारत ने रणनीति के तहत अमेरिका को इस मामले में नेतृत्व करने दिया और इसे चीनी अधिकारियों के सामने उठाया। मसूद को वैश्विक आतंकी घोषित करने से पहले 22 अप्रैल को कई मुद्दों पर विचार-विमर्श करने के लिए भारतीय विदेश सचिव विजय गोखले चीन यात्रा पर गए थे।
हालांकि ठीक इसी समय भारत ने इस मामले पर अपने वरिष्ठ वार्ताकारों के जरिए रूस का समर्थन हासिल किया। 27 अप्रैल को फ्रांस, अमेरिका और ब्रिटेन द्वारा प्रतिबंध समिति के समक्ष अजहर को प्रतिबंधित करने का नया प्रस्ताव रखा गया था और एक मई को इसपर आपत्ति की समयसीमा खत्म हो रही थी।
भारत के उच्च राजनयिकों के अनुसार पाकिस्तान ने आखिरी समय पर हस्तक्षेप करने की कोशिश करते हुए चीन से इंडोनेशिया पर दबाव बनाने के लिए कहा ताकि प्रतिबंध समिति की बैठक को छह मई तक टाला जा सके। वहीं न्यूयॉर्क और दिल्ली में मौजूद चीनी राजनयिकों इस बैठक को 15 मई तक टालना चाहते थे।