रूसी हथियारों की खरीद में अमेरिकी अड़ंगे से बचने के लिए इस प्रणाली पर विचार कर रहा है भारत

नरेंद्र मोदी- व्लादिमीर पुतिन
रूस के साथ नए रक्षा खरीदों के भुगतान के लिए भारत रूसी मुद्रा रुबेल और यूरोपीय यूनियन की मुद्रा यूरो के साथ रुपये का प्रयोग कर सकता है। भारत अमेरिकी प्रतिबंधों से बचने के लिए मजबूरी में ऐसा करने की सोच रहा है। अमेरिका ने 2017 में काट्सा एक्ट (CAATSA) के तहत प्रतिबंधित देशों के साथ व्यापार करने वाले देशों के खिलाफ भी प्रतिबंध लगाने का कानून लाया था। इस एक्ट के तहत अमेरिका के कथित दुश्मन रूस, ईरान, वेनेजुएला और उत्तर कोरिया जैसे देशों से व्यापारिक संबंध रखने वाले अन्य देशों पर यह एक्ट प्रभावी होता है।
इस कारण रूस से लगातार हो रही रक्षा डील के भुगतान में बाधा पैदा हो रही है। क्योंकि वैश्विक मुद्रा डॉलर में रूस को अब भुगतान नहीं किया जा सकता है। इसलिए भारत और रूस ने मिलकर बीच का रास्ता निकाला है। इससे काट्सा एक्ट से भी बचा जा सकेगा।
भारत के रक्षा सचिव संजय मित्रा के नेतृत्व में वरिष्ठ रक्षा अधिकारियों की एक टीम पिछले सप्ताह रूस दौरे पर गई थी और वहां जिन मुद्दों पर चर्चा हुई उनमें से सौदे का भुगतान चैनल प्रमुख मुद्दा था। अगले कुछ वर्षों में भारत को रूसी हथियार प्रणाली के एवज में लगभग 7 बिलियन डॉलर का भुगतान करना होगा। जिसमें सतह से हवा में मार करने वाली ट्रायम्फ या S-400 मिसाइल, परमाणु शक्ति वाली दूसरी पनडुब्बी और दो युद्धपोतों का करार शामिल है। अकेले एस -400 की लागत 40000 करोड़ रुपये है।


इस कारण रूस से लगातार हो रही रक्षा डील के भुगतान में बाधा पैदा हो रही है। क्योंकि वैश्विक मुद्रा डॉलर में रूस को अब भुगतान नहीं किया जा सकता है। इसलिए भारत और रूस ने मिलकर बीच का रास्ता निकाला है। इससे काट्सा एक्ट से भी बचा जा सकेगा।
भारत के रक्षा सचिव संजय मित्रा के नेतृत्व में वरिष्ठ रक्षा अधिकारियों की एक टीम पिछले सप्ताह रूस दौरे पर गई थी और वहां जिन मुद्दों पर चर्चा हुई उनमें से सौदे का भुगतान चैनल प्रमुख मुद्दा था। अगले कुछ वर्षों में भारत को रूसी हथियार प्रणाली के एवज में लगभग 7 बिलियन डॉलर का भुगतान करना होगा। जिसमें सतह से हवा में मार करने वाली ट्रायम्फ या S-400 मिसाइल, परमाणु शक्ति वाली दूसरी पनडुब्बी और दो युद्धपोतों का करार शामिल है। अकेले एस -400 की लागत 40000 करोड़ रुपये है।
काट्सा एक्ट के तहत ब्लैक लिस्ट हैं ये रूसी कंपनियां

Vladimir Putin, PM Modi
काट्सा एक्ट के तहत ब्लैक लिस्ट में 39 रूसी संस्थाओं को रखा गया है। जिससे इनके साथ काम करने वाले देश पर भी अमेरिकी प्रतिबंध अपने-आप लागू हो जाएंगे। इसमें रोसोबोरोन एक्सपोर्ट, अल्माज़-एंटे, सुखोई एविएशन, रूसी विमान निगम, मिग और यूनाइटेड शिपबिल्डिंग कॉर्पोरेशन शामिल हैं।
अप्रैल 2018 से लागू हुआ है CAATSA एक्ट
जबसे काट्सा एक्ट लागू हुआ है तब से भारत ने रूस को अपने सभी भुगतान स्थगित कर दिए हैं। भारत की समस्याएं दो स्तरों पर हैं पहला पुरानी खरीद की मरम्मत के लिए उपकरण लेना और दूसरा नए हथियार। भारत के पास जो भी हथियार हैं उनमें से अधिकांश रूसी मूल के हैं।काट्सा एक्ट अमेरिका को देता है ये ताकत

डोनाल्ड ट्रंप (फाइल फोटो)
Bharat Rajneeti:ये एक्ट वैश्विक तौर पर अमेरिका के ईरान, उत्तर कोरिया और रूस के खिलाफ आर्थिक और राजनीतिक प्रतिबंधों के माध्यम से उन्हें निशाना बनाने की ताकत देता है। बता दें हाल ही में अमेरिका ने सीएएटीएसए का प्रयोग कर एस-400 की खरीद को लेकर चीनी प्रतिष्ठानों पर प्रतिबंध लगाए थे। अब अमेरिका में मौजूद 'फ्रेंड्स ऑफ इंडिया' को आशा है कि ट्रंप भारत को सीएएटीएसए के तहत प्रतिबंधों से छूट देंगे क्योंकि अमेरिका भारत को महत्वपूर्ण रक्षा साझेदार मानता है। इसके अलावा अमेरिका आगामी कुछ वर्षों में अरबों डॉलर की रक्षा सामग्री भारत को बेचने के संबंध में सौदा करने के अंतिम दौर में है।
एक तरफ तो सूत्रों के मुताबिक यह कहा जा रहा है कि रक्षा मंत्री जिम मैटिस और विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो सीएएटीएसए में भारत को छूट दिलाने के लिए जोर दे रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ ट्रंप के हाल ही में आए बयान से ऐसा नहीं लगता कि वह ये छूट देने के मूड में हैं। दरअसल ट्रंप ने बीते सप्ताह भारत को टैरिफ किंग कहा था। ट्रंप ने यह भी कहा था कि उनके आयातों पर अतिरिक्त शुल्क लगाने की उनकी चेतावनी के बाद भी भारत अमेरिका के साथ व्यापार समझौता करना चाहता है।
एक तरफ तो सूत्रों के मुताबिक यह कहा जा रहा है कि रक्षा मंत्री जिम मैटिस और विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो सीएएटीएसए में भारत को छूट दिलाने के लिए जोर दे रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ ट्रंप के हाल ही में आए बयान से ऐसा नहीं लगता कि वह ये छूट देने के मूड में हैं। दरअसल ट्रंप ने बीते सप्ताह भारत को टैरिफ किंग कहा था। ट्रंप ने यह भी कहा था कि उनके आयातों पर अतिरिक्त शुल्क लगाने की उनकी चेतावनी के बाद भी भारत अमेरिका के साथ व्यापार समझौता करना चाहता है।