याद कीजिए कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी का शपथ ग्रहण। शपथ ग्रहण के दौरान यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी के पास बसपा सुप्रीमों मायावती खुद गई थीं और फोटोग्राफरों के कैमरों ने सैकड़ों तस्वीर उतार ली थीं। कांग्रेस के साथ बसपा प्रमुख का यह लाड़ राजनीति की नई वेवलेंथ पैदा कर रहा था, लेकिन इस समय लोकसभा चुनाव-2019 में मायावती का लहजा कांग्रेस के प्रति लगातार तल्ख होता जा रहा है। मायावती ने कांग्रेस की मध्यप्रदेश सरकार से अपना समर्थन वापस लेने तक की धमकी दे दी है। आखिर इतना क्यों बिदक रही हैं मायावती? कांग्रेस का जवाब
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का मानना है कि मायावती का रिमोट कंट्रोल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथ में है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सपा-बसपा के गठबंधन को केवल 23 मई तक की दोस्ती बता रहे हैं। भाजपा और कांग्रेस के तमाम नेताओं की आशंका में काफी समानता है। कांग्रेस के उत्तर प्रदेश से एक प्रभावी नेता को आशंका है कि 23 मई को लोकसभा चुनाव का नतीजा आने के बाद मायावती की पार्टी बसपा भाजपा को समर्थन देकर उसकी केंद्र में सरकार बनवा सकती हैं।
इसी तरह की आशंका पर भाजपा के नेता भी मुस्कराकर चुप्पी साध ले रहे हैं। एक तरह से उनके भीतर इसकी उम्मीद साफ दिखाई दे रही है। ऐसे सवालों का बसपा के नेता सुधीन्द्र भदौरिया कोई जवाब नहीं देना चाहते। समाजवादी पार्टी के एक एमएलसी रहे सूत्र का कहना है कि अभी बसपा हमारी पार्टी के साथ है। चुनाव बाद क्या स्थिति बनेगी, उसकी कल्पना अभी नहीं की जा सकती। इन सबके बीच मायावती की चेतावनी के बाद मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ का बयान आया है। कमलनाथ ने मायावती को सुझाव दिया है कि क्या वह ऐसा करके भाजपा को फायदा पहुंचाना चाहती हैं?
क्यों हैं मायावती नाराज?
बसपा के नेता कांग्रेस पार्टी को सशंकित निगाह से देख रहे हैं। पार्टी के वरिष्ठ प्रचारक नेता का कहना है कि कांग्रेस उत्तर प्रदेश की दस सीटों पर बसपा को नुकसान पहुंचा रही है। सहारनपुर की सीट पर बसपा ने फजलुर्रहमान बर्क को टिकट दिया तो कांग्रेस पार्टी इमरान मसूद को उतार दिया। फरुर्खाबाद, उन्नाव, मुरादाबाद में भी कांग्रेस का यही रुख रहा। कांग्रेस को पता है कि बसपा से निष्कासित नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी से अब बसपा प्रमुख मायावती के समीकरण अच्छे नहीं हैं, लेकिन कांग्रेस पार्टी ने उन्हें न केवल उम्मीदवार बनाया, बल्कि नसीमुद्दीन को जिताने के लिए सबकुछ कर चुकी है। बताते हैं अल्पसंख्यकों का कांग्रेस से प्रेम मायावती की तकलीफ बढ़ा रही है। इसके अलावा पिछले कुछ समय से अब कांग्रेस पार्टी बसपा के प्रति हमलावर हो रही है।
पार्टी के एक अन्य सूत्र का कहना है कि इसकी नींव मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के दौरान पड़ गई थी। कांग्रेस ने हमें घास ही नहीं डाला, जबकि बाद में बसपा ने कांग्रेस की सरकार को अपना समर्थन दिया। नाराजगी का दूसरा कारण गुना संसदीय सीट पर बसपा प्रत्याशी को कांग्रेस में शामिल कराना भी है। तीसरा बड़ा कांग्रेस की मांग है। पार्टी का उत्तर प्रदेश में मजबूत जनाधार नहीं है और लोकसभा चुनाव में गठबंधन के लिए पहले आठ सीट और फिर 18-19 सीट तक मांगने लगी थी। वहीं दूसरे राज्यों में सीट देने, गठबंधन करने को तैयार नहीं थी।
बस इतना ही कारण नहीं है?
कांग्रेस पार्टी के एक महासचिव मायावती के पास गठबंधन को लेकर पहले मिल चुके हैं। वह मायावती का मिजाज बखूबी समझते हैं। सूत्र का कहना है कि पश्चिम से लेकर पूर्वांचल तक मायावती की पार्टी ने बसपा के साथ भले गठबंधन कर लिया है, लेकिन पूरे उत्तर प्रदेश से बसपा की स्थिति अच्छी नहीं है। मायावती का मानना है कांग्रेस पार्टी के मजबूत उम्मीदवारों ने उनकी पार्टी के प्रत्याशियों के सामने मुसीबत खड़ी कर दी है। दूसरे मायावती की घबराहट अपनी खिसक रही राजनीतिक जमीन को लेकर है। कांग्रेस के एक अन्य नेता का कहना है कि मायावती के बिदकने का करण चीनी मिल मामले में सीबीआई द्वारा दर्ज एफआईआर जैसे मामले भी कहीं न कहीं कारण है।