
पूर्वी दिल्ली में जहां विवेक विहार, प्रीत विहार, न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी और निजामुद्दीन ईस्ट उच्च वर्गीय लोगों के रिहायशी इलाके हैं तो त्रिलोकपुरी, कल्याणपुरी, घोंडा जैसे इलाके जिनमें कई गैरकानूनी झुग्गी झोपड़ी बस्तियां हैं। लक्ष्मी नगर में चार्टर्ड अकाउंटेंट संजय गुप्ता कहते हैं पिछले तीन दिनों के दौरान हमारे इलाके में तीनों उम्मीदवार प्रचार करने आए। जहां आतिशी के साथ मुट्ठीभर लोग थे वहीं गंभीर के जुलूस में इतनी भीड़ थी कि धक्का-मुक्की के बीच में अपना भाषण ही पूरा नहीं कर पाए।
पिछले चुनाव में भाजपा ने तीन बार जीते हुए सांसद लाल बिहारी तिवारी का टिकट काट कर श्रीश्री रवि शंकर के शिष्य रहे महेश गिरि को दिया था। शीला दीक्षित के बेटे व तत्कालीन सांसद संदीप दीक्षित और पत्रकार आम आदमी पार्टी के राजमोहन गांधी के खिलाफ गिरि की जीत का मुख्य कारण गैर-भाजपा वोटों का बंटवारा रहा। तब गांधी और दीक्षित के वोट मिलकर गिरि के वोटों से ज्यादा रहे।
आतिशी को उपलब्धियों का सहारा
यूपी और बिहार के लोगों को लुभाने के लिए आतिशी छठ के लिए घाटों की संख्या 45 से बढ़ाकर 300 कर देने को बड़ी उपलब्धि बताती हैं। सरकारी स्कूलों की कायापलट, 10वीं-12वीं का रिजल्ट बेहतर होना, मोहल्ला क्लीनिक के जरिए अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराना प्रचार का मुख्य हिस्सा है।
गैर-भाजपा वोटों के बंटवारे से गंभीर का पलड़ा भारी
इस चुनाव में गैर-भाजपा का वोट बंटने से फिलहाल गंभीर का पलड़ा भारी नजर आता है। गंभीर अपनी छवि से भी सभी लोगों में लोकप्रिय नजर आ रहे हैं। कांग्रेस के लिए सबसे बड़े संतोष की बात यही है कि 2015 के विधानसभा चुनाव में उसका वोट बैंक जहां 9 प्रतिशत पर आ गया था, वह एक बार फिर अपने पैरों पर खड़ी होती दिखाई दे रही है। आप और कांग्रेस का वोट बैंक लगभग एक ही है इसलिए यदि कांग्रेस बढ़ती है तो नुकसान आप को ही होगा।