
रमेश बिधूड़ी इसी इलाके से आते हैं और अपनी गुर्जर बिरादरी के 22 गांवों में अच्छी पकड़ है। ग्रामीण पृष्ठभूमि उन्हें गांवों में मजबूत बना रही है। हालांकि अनधिकृत कॉलोनियों की समस्याएं और यूपी, बिहार और अन्य राज्यों के लोगों की कसौटी पर बिधूड़ी फिट नहीं बैठ रहे हैं। पूर्वांचलियों से भेदभाव के आरोप उन पर लगते रहे हैं। इन कॉलोनियों में बिधूड़ी का विरोध नया भी नहीं है। 2014 के चुनाव में इन कॉलोनियों का रुख आप की ओर था, जिसके चलते उसके उम्मीदवार कर्नल देवेंद्र कुमार सहरावत ने 3.90 लाख वोट लेकर कांग्रेस को तीसरे स्थान पर धकेल दिया था।
वहीं, कांग्रेस के बॉक्सर विजेंदर मूल रूप से हरियाणा के हैं। वे अपने पंच बॉक्सिंग में विरोधियों को परास्त करते रहे हैं, लेकिन नए खेल और रिंग के दांव, नियम और राजनीतिक पंच बिल्कुल अलग हैं। विजेंदर को उतारने की रणनीति उनका जाट समुदाय और युवा सेलिब्रिटी होना है। 2014 में कांग्रेस उम्मीदवार रमेश कुमार भी जाट बिरादरी से थे। जाटों के 17 गांवों वाली इस संसदीय सीट में एक बार फिर जातीय गुणाभाग जाट-गुर्जर के आधार पर होना तय है।
आप ने भी युवा चेहरे राघव चड्ढा पर दांव लगाया है। पेशे से सीए और दिल्ली में पले-पढ़े होने के बावजूद राघव को इलाके के लोग बाहरी मानते हैं। आप को विश्वास है कि दसों विधानसभाओं पर उनके विधायक हैं इसलिए वे मजबूती से लड़ेंगे। लेकिन माना जा रहा है कि, सभी क्षेत्रों में लोग राघव को आप के कामकाज की कसौटी पर कसेंगे। हालांकि उन्हें अनधिकृत काॅलोनियों के साथ दक्षिण के पंजाबी मतदाता का समर्थन मिल सकता है।