खास बातचीत में अखिलेश बोले- मैं प्रधानमंत्री की दौड़ में नहीं - Bharat news, bharat rajniti news, uttar pradesh news, India news in hindi, today varanasi newsIndia News (भारत समाचार): India News,world news, India Latest And Breaking News, United states of amerika, united kingdom

.

अन्य विधानसभा क्षेत्र

बेहट नकुड़ सहारनपुर नगर सहारनपुर देवबंद रामपुर मनिहारन गंगोह कैराना थानाभवन शामली बुढ़ाना चरथावल पुरकाजी मुजफ्फरनगर खतौली मीरापुर नजीबाबाद नगीना बढ़ापुर धामपुर नहटौर बिजनौर चांदपुर नूरपुर कांठ ठाकुरद्वारा मुरादाबाद ग्रामीण कुंदरकी मुरादाबाद नगर बिलारी चंदौसी असमोली संभल स्वार चमरौआ बिलासपुर रामपुर मिलक धनौरा नौगावां सादात

शनिवार, 11 मई 2019

खास बातचीत में अखिलेश बोले- मैं प्रधानमंत्री की दौड़ में नहीं

सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव।
सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव। - फोटो : भारत राजनीती 
सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव आत्मविश्वास से लबरेज हैं। गठबंधन की संभावनाओं की बात छिड़ते ही उनकी आंखों में चमक आ जाती है, लेकिन शब्द बेहद सधे हुए। आजमगढ़ में प्रस्तावित चार जनसभाएं रद्द हो जाने के बाद शुक्रवार को वे सपा के प्रदेश कार्यालय आए। अब तक के रुझान से उत्साहित अखिलेश कहते हैं, गठबंधन को दिख रहे समर्थन की वजह से ही भाजपा की भाषा बदल गई है। पीएम पद के सवाल पर बोले- पिछला प्रधानमंत्री यूपी ने दिया था, अगला पीएम भी उत्तर प्रदेश ही देगा।  समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से राजेंद्र सिंह की विशेष बातचीत

पांच चरणों के बाद सपा-बसपा-रालोद गठबंधन कहां खड़ा है?

पांचवें चरण तक जितनी भी सीटों पर चुनाव हुए हैं, उनमें गठबंधन को सबसे ज्यादा समर्थन मिलने जा रहा है। विरोधियों की भाषा ही बता रही है कि गठबंधन के आगे भाजपा कहीं नहीं टिक रही। वे असली मुद्दों से भटक गए हैं, उन्हें याद नहीं रहा कि 2014 में क्या वादे किए थे? किसानों, गरीबों, युवाओं और व्यापारियों ने पहले चरण से ही मन बना लिया था। गुस्साई जनता को बस वोटिंग का इंतजार का था। प्रदेश में भाजपा और उसके सहयोगी सिंगल डिजिट तक सिमट जाएंगे।

प्रत्याशी चयन में सोशल इंजीनियरिंग की झलक, बसपा से गठबंधन का असर है या लोहिया की पुरानी लाइन?
डॉ. भीमराव आंबेडकर और डॉ. राम मनोहर लोहिया मिलकर काम करना चाहते थे। उन्हें साथ काम करने का अवसर नहीं मिला। एक कोशिश नेताजी (मुलायम सिंह यादव) और कांशीराम ने की थी, पर यह साथ लंबा नहीं चला। अब हमें मौका मिला है तो आंबेडकर व लोहिया का काम आगे बढ़ाएंगे। कौन किस जाति में पैदा हुआ, यह कोई खुद तय नहीं कर सकता। समाजवादी लोग गरीब, कमजोर के बारे में सोचते हैं, इसलिए समाजवादी जातिवादी नहीं हैं। यही हमारी सोशल इंजीनियरिंग है।

चुनाव में तो जाति-धर्म का खूब इस्तेमाल हो रहा है?
जाति-धर्म के नाम पर नफरत भाजपा ने फैलाई। पिछले चुनाव में जालौन व झांसी की सभाओं में नरेंद्र मोदी ने एक खास जाति की तरफ इशारा करते हुए कहा था कि उन्हें मालूम है, थाने कौन चलाता है। उन्होंने जाति-धर्म के नाम पर दुष्प्रचार कर बहकाया। 

अभी तक कौन से मुद्दे प्रभावी रहे?

भाजपा ने जो वादे किए थे, जनता उनके बारे में जानना चाहती है। अच्छे दिन, करोड़ों नौकरियां, जीएसटी में सहूलियतों के वादों का क्या हुआ। नोटबंदी से न काला धन वापस आया, न आतंकवाद-नक्सलवाद पर अंकुश लगा, न भ्रष्टाचार रुका। नौकरियां हैं नहीं। कानून-व्यवस्था बदहाल है। किसान बेहाल हैं। हमने किसानों, नौजवानों, गरीबों, महिलाओं के मुद्दे उठाए। व्यापारियों की तकलीफ उठाई। 

राष्ट्रीय सुरक्षा, राष्ट्रवाद, धार्मिक-जातीय ध्रुवीकरण तो हावी नहीं हो रहा?
भाजपा को इनका लाभ नहीं मिलने वाला है। बताने के लिए कोई काम नहीं है, इसलिए ऐसे मुद्दे उठाए जा रहे। राष्ट्रवाद केवल वोट लेने के लिए नहीं है। बताएं-कितनी बड़ी सड़कें, कितने बड़े अस्पताल बनाए? जवान 50 डिग्री से लेकर माइनस 30-40 डिग्री तक के मौसम में तैनात रहते हैं। उन्हें यूनिफॉर्म और बुलेटप्रूफ जैकेट मिलीं? ये है असली राष्ट्रवाद। वाराणसी में एक जवान के चुनाव लड़ने से डर गए। उसने खाने की शिकायत की तो, बर्खास्त कर दिया।

चुनाव आयोग की पाबंदी के बावजूद सेना, सर्जिकल स्ट्राइक, एयर स्ट्राइक का खूब हवाला दिया जा रहा है?
भाजपा असली मुद्दों से ध्यान हटाना चाहती है। सर्जिकल स्ट्राइक और दूसरी एक्सरसाइज समय-समय पर चलती रहती हैं। देश किसी दल के कारण नहीं, फौज के कारण सुरक्षित है। फौज के नाम पर वोट मांगना राष्ट्रवाद नहीं है। शहीद हो रहे सैनिकों के परिवारों के लिए सरकार ने क्या किया? इनसे सवाल करो तो राष्ट्रविरोधी बताने लगते हैं। सवाल सरकार से नहीं तो, किससे पूछे जाएंगे। जिन्हें रसोई गैस सिलिंडर दिए वे दुबारा क्यों नहीं भरवा पाए, ये नहीं बताएंगे। साल में दो करोड़ नौकरियां देने के वादे का क्या हुआ? 

पीएम व दूसरे भाजपा नेता दावा कर रहे हैं कि 23 के बाद गठबंधन टूट जाएगा?

भाजपा का पुराना तरीका है बांटो और राज करो। प्रधानमंत्री ने गठबंधन तोड़ने के लिए भ्रम फैलाने की कोशिश की। सपा पर कांग्रेस से मिलीभगत का आरोप लगाया। यह बौखलाहट है। मेक इन इंडिया, स्टैंड अप इंडिया, डिजिटल इंडिया, जन-धन खातों, मुद्रा योजना का जिक्र नहीं कर रहे। उनकी चिंता गठबंधन है, क्योंकि यही उनका दिल्ली का रास्ता रोक रहा है। यह विचारों का गठबंधन है, यह टूटने वाला नहीं।

दो चरण बचे हैं, आपको भरोसा है कि दिल्ली का रास्ता यूपी से ही निकलेगा? 
23 मई के बाद देश को नई सरकार व नया प्रधानमंत्री मिलेगा। पिछला प्रधानमंत्री उत्तर प्रदेश से था, उम्मीद है कि नया प्रधानमंत्री भी यूपी से ही होगा।

क्या आप प्रधानमंत्री पद की रेस में हैं?
नहीं, मैं प्रधानमंत्री की दौड़ में नहीं हूं। मैं प्रधानमंत्री बनाने में सहयोग करूंगा। नई सरकार में क्षेत्रीय दलों की अहम भूमिका होगी।

क्या मायावती को प्रधानमंत्री बनाने में मदद करेंगे?
गठबंधन मिलकर तय करेगा कि कौन प्रधानमंत्री होगा? अभी हमारा ध्यान अगले दो चरणों के चुनाव पर है। इस मुद्दे पर 23 मई के बाद फैसला करेंगे।

यदि स्थिति आई तो क्या भाजपा को रोकने के लिए कांग्रेस का समर्थन लेंगे या उसे देंगे? 
23 मई को परिणाम आने के बाद इन मुद्दों पर गठबंधन ही फैसला करेगा। 

विपक्षी एकता की कोशिशें शुरू हुई हैं, 21 मई को बैठक बताई जा रही है

के चंद्रशेखर राव व चंद्रबाबू नायडू कोशिश कर रहे हैं। मुझसे किसी ने संपर्क नहीं किया है। 21 मई की बैठक तय नहीं है। 19 को अंतिम चरण के मतदान के बाद हलचल शुरू होगी। असली काम परिणाम आने के बाद होगा।

गठबंधन की नींव कैसे पड़ी?
गोरखपुर लोकसभा उपचुनाव के समय मुख्यमंत्री समझ रहे थे कि वहां कोई हरा नहीं सकता। हमने बसपा से सहयोग मांगा, मिलकर चुनाव लड़े। फूलपुर में भी किया। दोनों दलों के कार्यकर्ता साथ आए, उन्हें लगा कि मिलकर काम कर सकते हैं, और गठबंधन की नींव पड़ गई। कैराना वह जगह है, जहां भाजपा ने सर्वाधिक नफरत पैदा की थी। वहां भी यह प्रयोग दोहराया। गठबंधन ने नफरत की दीवार को गिरा दिया। हमने भाजपा से ही गिनती बढ़ाना सीखा है।

आजमगढ़ में रैली क्यों रद्द कीं?
जिला निर्वाचन अधिकारी ने टेंट, कुर्सी, खाने के रेट रिवाइज कर दिए। रैली में हमने खाना नहीं दिया, लेकिन खर्च जोड़ दिया। हमारी एक रैली का खर्च ही 30 लाख से ऊपर जोड़ा गया है। पीएम की रैली का खर्च नहीं जोड़ रहे। सरकारी मशीनरी का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग किया जा रहा है। कन्नौज में सबसे ज्यादा दुरुपयोग किया गया। 

कांग्रेस अध्यक्ष कहते हैं कि सपा-बसपा मोदी के दबाव में हैं
सपा पर कोई दबाव नहीं बना सकता। सीबीआई, आयकर विभाग, ईडी पर कांग्रेस व भाजपा का रुख एक जैसा है। इस चुनाव में सत्ता की ताकत को जनता की ताकत हराएगी।

राजीव गांधी को लेकर भाजपा ने कुछ आरोप लगाए हैं

भाजपा ‘खोजो पॉलिटिक्स’ कर रही है। 30 साल पहले आईएनएस विराट पर तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के जाने का आप आज जिक्र करोगे तो, 10-15 साल बाद आपकी भी कोई बात खोजी जाएगी। यह खतरनाक राजनीति है। अभी अक्षय कुमार व कुछ और लोगों को सेना के पोत पर ले जाने की बात सामने आ गई है। कई पूर्व सैन्य अफसरों ने भी ऐसी बातों पर ऐतराज जताया है।

मायावती के बाद आप भी कांग्रेस पर हमलावर हैं, क्या कांग्रेस प्रत्याशियों से गठबंधन की संभावनाओं पर असर पड़ रहा है?
कांग्रेस पर हमारा शुरू से साफ रुख है। कांग्रेस की महासचिव ने कहा कि उन्होंने कमजोर प्रत्याशी उतारे हैं। राजनीति में कोई ऐसी बातें करता है क्या? दरअसल, उन्हें लग रहा है कि गठबंधन जीत रहा है।

आपके बंगले को लेकर भी निशाना बनाया गया?
भाजपा की किसी को सम्मान देने की नीयत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों के बंगले खाली करा लिए। सरकार चाहती तो पूर्व सीएम के घर बचा सकती थी। हमारा घर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर छिन गया लेकिन ये उसमें टोंटी ढूंढ़ रहे रहे थे। हम आएंगे तो उनके घरों में चिलम ढुंढ़वाएंगे।

आप अपनी सभाओं में मुख्यमंत्री योगी का हमशक्ल ले गए?
हमारी मुख्यमंत्री से कोई नाराजगी नहीं है। उन्होंने सारे काम रोक दिए हैं। हम अयोध्या व बाराबंकी की सभाओं में एक संत को ले गए। हम नकली भगवान नहीं ला सकते। इसलिए गोरखपुर जा रहे एक संत को साथ ले गए थे। मुख्यमंत्री तो अयोध्या में पुष्पक विमान से नकली भगवान को ही ले गए थे।

Loan calculator for Instant Online Loan, Home Loan, Personal Loan, Credit Card Loan, Education loan

Loan Calculator

Amount
Interest Rate
Tenure (in months)

Loan EMI

123

Total Interest Payable

1234

Total Amount

12345