जिस सीट पर ममता ने सोमनाथ को हराया था, वहां ग्लैमर और अनुभव की लड़ाई
मिमी चक्रवर्ती मानती हैं कि राजनीति में उनका अनुभव शून्य है और इस सीट पर उनका मुकाबला दिग्गज राजनेताओं से है। लेकिन उन्हें उम्मीद है कि लोग दीदी के नाम पर वोट देंगे। अपनी तमाम रैलियों में वे कहती भी हैं कि आप मुझे नहीं, बल्कि ममता बनर्जी के नाम पर वोट दें। ममता बनर्जी मिमी के समर्थन में कई रैलियां कर चुकी हैं। उन रैलियों में खासकर मिमी को देखने और उनके साथ सेल्फी खिंचाने के शौकीनों की भारी भीड़ तो जुटती है। लेकिन साथ ही सवाल भी उठ रहे हैं कि क्या यह भीड़ वोटों में बदल सकेगी?
दूसरी ओर, माकपा इस बार यहां से जीत के प्रति आश्वस्त है। पार्टी के उम्मीदवार विकास रंजन भट्टाचार्य कोलकाता नगर निगम के मेयर भी रह चुके हैं। वे कहते हैं कि मेयर रहने के नाते उन्हें इस इलाके की तमाम समस्याओं की जानकारी है। भट्टाचार्य मिमी को हवाई नेता बताते हुए कहते हैं कि उनको जमीनी हकीकत की कोई जानकारी नहीं है। उधर, भाजपा भी इस सीट पर जीत के दावे कर रही है। पार्टी के उम्मीदवार अनुपम हाजरा दावा करते हैं कि लोग माकपा से पहले ही आजिज आ चुके हैं और तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार को राजनीति की एबीसीडी भी नहीं आती। ऐसे में भाजपा ही उनके लिए एकमात्र विकल्प है।
वर्ष 2009 में इस सीट पर भाजपा को महज 1.90 फीसद वोट मिले थे, जो वर्ष 2014 में बढ़कर 12.22 फीसद तक पहुंच गए। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि इस सीट पर पहली बार फिल्मी सितारे को जमीन पर उतारकर ममता ने चुनावी लड़ाई में ग्लैमर का तड़का लगा दिया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि यहां ग्लैमर जीतता है या अनुभव उस पर भारी पड़ता है।