यूपी: सांसद चुने गए विधायकों को 6 जून से पहले विधानसभा से देना होगा इस्तीफा
सांकेतिक तस्वीर - फोटो : bharat rajneeti
विधायक रहते सांसद चुने गए उत्तर प्रदेश के 11 विधायकों को सांसद निर्वाचित होने की घोषणा से 14 दिन में एक सदन की सदस्यता से इस्तीफा देना होगा। यह अवधि 5 जून को पूरी हो रही है। जो ऐसा नहीं करेंगे उनकी सांसदी स्वत: खत्म मानी जाएगी। इस बीच सांसद चुने जा चुके विधायकों की विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र देने का सिलसिला शुरू हो गया है।
सबसे पहले अंबेडकरनगर से बसपा सांसद चुने गए रितेश पांडेय ने विधायकी छोड़ने की घोषणा की है। उन्होंने अपना त्यागपत्र विधानसभा अध्यक्ष को दे दिया है। विधानसभा अध्यक्ष ने उनका इस्तीफा मंजूर कर उनकी सीट जलालपुर रिक्त होने की सूचना चुनाव आयोग को भेज दी है।
विधानसभा के प्रमुख सचिव प्रदीप दुबे ने बताया कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत कोई भी व्यक्ति एक साथ दो सदनों का सदस्य नहीं रह सकता। उसे किसी एक सदन की सदस्यता छोड़नी होगी।
यदि कोई ऐसा व्यक्ति जो किसी एक सदन का सदस्य होते हुए दूसरे सदन का सदस्य चुन लिया जाता है तो चुने जाने के 14 दिन में यह घोषणा करनी होगी कि वह किस सदन का सदस्य रहेगा। ऐसा नहीं होने पर उसकी बाद के सदन की सदस्यता स्वत: रद्द मानी जाएगी।
ये विधायक चुने गए हैं सांसद
इस बार भाजपा ने प्रदेश सरकार के चार मंत्रियों सहित नौ विधायकों को लोकसभा चुनाव में उतारा। इनमें आठ सांसदी का चुनाव जीत गए। अपना दल का एक विधायक सांसद चुना गया है। सपा ने मो. आजम खां और अंबेडकरनगर के जलालपुर से विधायक रितेश पांडेय अंबेडकरनगर से सांसद चुन लिए गए हैं।
भाजपा विधायकों में कानपुर के गोविंदनगर से विधायक सत्यदेव पचौरी, टूंडला से विधायक डॉ. एसपी सिंह बघेल, लखनऊ कैंट से विधायक डॉ. रीता बहुगुणा जोशी, बाराबंकी के जैदपुर से विधायक उपेंद्र रावत, चित्रकूट के मानिकपुर से विधायक आरके पटेल, बहराइच के बलहा से विधायक अक्षयवर लाल गौंड, सहारनपुर के गंगोह से विधायक प्रदीप चौधरी, अलीगढ़ के इगलास से विधायक राजवीर वाल्मीकि और प्रतापगढ़ से अपना दल (एस) के विधायक संगमलाल गुप्त सांसद चुने गए हैं।