आतंक पर शिकंजा: Pakistan के साथ गरम, चीन के साथ नरम कूटनीति ने दिखाया असर

मसूद अजहर
अबतक इस रास्ते मेंबार बार विटो का अड़ंगा लगाने केबावजूद भारत चीन से सीधे तौर पर भिडने और आक्रमक होने के बजाए बैक चैनल बातचीत और कूटनीतिक कदम उठाता रहा। हालात ने पटली मारी जब पुलवामा आतंकी हमले और उसकी प्रतिक्रिया में बालाकोट सर्जिकल स्ट्राईक पर दुनिया भर के अहम देश भारत के पक्ष में खड़े दिखे। तब मसूद अजहर की वजह से सभी देशों से पंगा लेने वाले चीन को भी बयान देना पड़ा कि अगर भारत पाक युद्ध होता है तो वह पाकिस्तान के साथ खड़ा नहीं रहेगा। यह चीन की तरफ से नरमी का पहला संकेत था। उधर बालकोट और पाकिस्तान की तरफ से हुई जवाबी कार्रवाई से उपजे तनाव के बावजूद मसूद पर बैक चैनल बातचीत जारी रही।
विदेश मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक इसी का नतीजा है कि पाकिस्तान ने यूएन के बुधवार केफैसले पर कोई चुनौती नहीं पेश की। इस पूरे मामले में भारत की सधी हुई नरम कूटनीति से यूएन के दो अहम स्थाई सदस्य अमेरिका और फ्रांस की ओर से मिले समर्थन ने भी काफी अहम रोल अदा किया है। गौरतलब है कि फ्रांस ने खुल कर एलान किया था कि अगर चीन इस बार भी इस मसले पर विटो लगाता है तो वह दूसरा रास्ता अख्तियार करेगा।
इस क्रम में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत दोभाल ने कम से कम छह बार चीन का गुप्त दौरा किया। चुनाव शुरु होने के पहले विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भी चीन गईं और अपने समकक्ष केसाथ पाकिस्तान से उपजने वाले आतंकवाद और मसूद पर काफी महत्वपूर्ण बातचीत हुई। सूत्रों ने बताया कि करीब दस दिन पहले विदेश सचिव विजय गोखले ने चीन के शीर्ष अधिकारियों और विदेश मंत्री वांग यू के साथ बातचीत कर अब तक की बनी पृष्ठभूमि को अंतिम ठोस रूप दिया। चुनावी हलचल की बीच गोखले की बातचीत के बाद बीते मंगलवार को चीन ने बयान दिया कि यूएन की ओर से मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवाद घोषित करने केमसले का सकारात्मक समाधान जल्द ही निकाल लिया जाएगा।
विदेश मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक इसी का नतीजा है कि पाकिस्तान ने यूएन के बुधवार केफैसले पर कोई चुनौती नहीं पेश की। इस पूरे मामले में भारत की सधी हुई नरम कूटनीति से यूएन के दो अहम स्थाई सदस्य अमेरिका और फ्रांस की ओर से मिले समर्थन ने भी काफी अहम रोल अदा किया है। गौरतलब है कि फ्रांस ने खुल कर एलान किया था कि अगर चीन इस बार भी इस मसले पर विटो लगाता है तो वह दूसरा रास्ता अख्तियार करेगा।
इस क्रम में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत दोभाल ने कम से कम छह बार चीन का गुप्त दौरा किया। चुनाव शुरु होने के पहले विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भी चीन गईं और अपने समकक्ष केसाथ पाकिस्तान से उपजने वाले आतंकवाद और मसूद पर काफी महत्वपूर्ण बातचीत हुई। सूत्रों ने बताया कि करीब दस दिन पहले विदेश सचिव विजय गोखले ने चीन के शीर्ष अधिकारियों और विदेश मंत्री वांग यू के साथ बातचीत कर अब तक की बनी पृष्ठभूमि को अंतिम ठोस रूप दिया। चुनावी हलचल की बीच गोखले की बातचीत के बाद बीते मंगलवार को चीन ने बयान दिया कि यूएन की ओर से मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवाद घोषित करने केमसले का सकारात्मक समाधान जल्द ही निकाल लिया जाएगा।
कूटनीतिक सफलता से राजनीतिक जीत की लिखेगी पटकथा
लोकसभा चुनाव के बीच में मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित कराने में मिली कूटनीतिक सफलता से भाजपा और सरकार खुश है। पार्टी अब इस कूटनीतिक सफलता को लोकसभा चुनाव में राजनीतिक सफलता में बदलने के लिए पूरी ताकत लगाएगी। दरअसल संयुक्त राष्ट्र के बुधवार के निर्णय और चीन के सालों बाद इस मुद्दे पर ठीक चुनाव के दौरान हथियार डालने से भाजपा को बैठे बिठाए एक बड़ा और सकारात्मक मुद्दा हाथ लग गया है।
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव के शुरुआती दौर में ही भाजपा ने मोदी सरकार के पांच साल केकार्यकाल में आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की सफल नीति अपनाने का दावा किया था। पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक को आतंकवाद के खिलाफ जैसे को तैसा के रूप में पार्टी युद्घस्तर पर प्रचारित कर रही थी। अब जबकि सालों बाद अजहर को संयुक्त राष्ट्र ने वैश्विक आंतकवादी घोषित कर दिया है। इसके अलावा इसकी राह में हमेशा पाकिस्तान का साथ देने वाले चीन ने खुद को इस मामले से अलग कर लिया है। ऐसे में पार्टी दमदार तरीकेसे कह सकेगी कि मोदी सरकार ने वैश्विक मंच पर पाकिस्तान को अलग थलग कर दिया है।
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव के शुरुआती दौर में ही भाजपा ने मोदी सरकार के पांच साल केकार्यकाल में आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की सफल नीति अपनाने का दावा किया था। पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक को आतंकवाद के खिलाफ जैसे को तैसा के रूप में पार्टी युद्घस्तर पर प्रचारित कर रही थी। अब जबकि सालों बाद अजहर को संयुक्त राष्ट्र ने वैश्विक आंतकवादी घोषित कर दिया है। इसके अलावा इसकी राह में हमेशा पाकिस्तान का साथ देने वाले चीन ने खुद को इस मामले से अलग कर लिया है। ऐसे में पार्टी दमदार तरीकेसे कह सकेगी कि मोदी सरकार ने वैश्विक मंच पर पाकिस्तान को अलग थलग कर दिया है।