अमित शाह के नेतृत्व में ही भाजपा लड़ेगी विधानसभा चुनाव, बने रहेंगे पार्टी के प्रमुख रणनीतिकार
अमित शाह-नरेंद्र मोदी - फोटो : bharat rajneeti
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के केंद्र सरकार में गृहमंत्री बन जाने के बाद माना जा रहा था कि वो अध्यक्ष पद छोड़ देंगे और अक्तूबर के आसपास होने वाले महाराष्ट्र, झारखंड और हरियाणा के विधानसभा चुनाव नए पार्टी अध्यक्ष की अगुवाई में होंगे। लेकिन अमित शाह ने जिस तरह रविवार को तीनों राज्यों के प्रमुख पदाधिकारियों के साथ चुनावी मुद्दे पर बैठक की, उससे यह तय हो गया है कि भाजपा इन राज्यों के चुनाव भी अमित शाह की अगुवाई में ही लड़ेगी। अध्यक्ष के रूप में अमित शाह का कार्यकाल बीते जनवरी माहीने में ही समाप्त हो गया था, लेकिन लोकसभा चुनाव 2019 को ध्यान में रखते हुए उनका कार्यकाल बढ़ा दिया गया था।
भाजपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी के मुताबिक पार्टी में अमित शाह की चुनाव लड़ने-लड़ाने की योग्यता निर्विवाद है। उसी तरह यह भी सत्य है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके सबसे बड़े स्टार प्रचारक हैं। इसलिए किसी नए अध्यक्ष के चुने जाने के बाद भी इन दोनों नेताओं की पार्टी के लिए उपयोगिता निर्विवाद है और पार्टी इनका यथासंभव पूरा उपयोग करेगी। नए अध्यक्ष का चुनाव कब तक हो सकता है, इस प्रश्न पर नेता ने कहा कि अमित शाह 13 जून को प्रदेश भाजपा के अध्यक्षों से मुलाकात कर रहे हैं। इस मुलाकात में संगठन में चुनाव और नये अध्यक्ष के मुद्दे पर बातचीत हो सकती है।
क्यों महत्त्वपूर्ण हैं विधानसभा चुनाव?
माना जा रहा है कि भाजपा कुछ बड़े बदलाव की योजना पर काम कर रही है। इसके लिए राज्यसभा में उसे दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होगी। चूंकि इन राज्यों से आने वाले समय में कई राज्यसभा सदस्यों का चुनाव होना है, इसलिए पार्टी इनमें अपनी बढ़त बनाने की पूरी कोशिश करेगी।
महारष्ट्र में इस समय भाजपा-शिवसेना गठबंधन की सरकार है और विधानसभा चुनाव में दोनों के साथ लड़ने पर सहमति बनी हुई है। माना जा रहा है कि यह गठबंधन इस बार भी मजबूत है और एक बार फिर वह राज्य की सत्ता में वापस आ सकता है। लोकसभा चुनाव में मिली बड़ी जीत से यह दावा और पुख्ता होता नजर आ रहा है। कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस का गठबंधन लोकसभा चुनाव में बहुत सकारात्मक परिणाम नहीं दे सका है लेकिन विधानसभा चुनाव में शरद पवार की नई रणनीति भाजपा की राह रोकने की कोशिश करती दिख सकती है।
हरियाणा में मनोहरलाल खट्टर की अगुवाई में भाजपा सरकार ठीक काम कर रही है लेकिन काफी समय से यहां जनमत उनके विरोध में होने की बात कही जा रही थी। हालांकि लोकसभा चुनाव में खट्टर ने दस में दस लोकसभा सीटें जीताकर अपने सभी विरोधियों को पस्त कर दिया है, लेकिन माना जा रहा है कि नरेंद्र मोदी के चेहरे पर हुए लोकसभा चुनाव की तुलना में विधानसभा चुनाव में खट्टर सरकार को मुश्किल हो सकती है। भाजपा के कांग्रेस से लगभग सीधे मुकाबले वाले हरियाणा में इस बार आप-जजपा गठबंधन से भी कड़ा मुकाबला हो सकता है।
लगभग यही हाल झारखंड का भी है। यहां भी भाजपा ने लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया है, लेकिन विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री रघुवरदास के खिलाफ एंटी इनकम्बेंसी फैक्टर भाजपा को परेशान कर सकता है। कांग्रेस-राजद-झारखंड मुक्ति मोर्चा का साथ उसके लिए बड़ी मुश्किल खड़ी कर सकता है।
इन राज्यों के आलावा जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव भी इनके साथ ही संपन्न कराए जा सकते हैं। चुनाव आयोग ने जम्मू-कश्मीर में इस साल के अंत में चुनाव कराने की बात पहले ही कह दी है। इसके आलावा इस वर्ष के अंत या नये वर्ष की शुरुआत में दिल्ली में भी विधानसभा चुनाव होंगे जो नरेंद्र मोदी की छवि के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण होंगे क्योंकि 2014 के अजेय मोदी का विजय अभियान दिल्ली में आकर ठहर गया था। इसलिए इस बार भाजपा दिल्ली की सत्ता में काबिज होने का कोई मौका हाथ से नहीं जाने देगी और इन सभी जीत के लिए पार्टी को अमित शाह की जरूरत होगी, लिहाजा पार्टी में उनकी बड़ी भूमिका लगातार बनी रहेगी, इस बात को अस्वीकार करने का कोई कारण नहीं है।
अमित शाह-नरेंद्र मोदी - फोटो : bharat rajneeti
महारष्ट्र में इस समय भाजपा-शिवसेना गठबंधन की सरकार है और विधानसभा चुनाव में दोनों के साथ लड़ने पर सहमति बनी हुई है। माना जा रहा है कि यह गठबंधन इस बार भी मजबूत है और एक बार फिर वह राज्य की सत्ता में वापस आ सकता है। लोकसभा चुनाव में मिली बड़ी जीत से यह दावा और पुख्ता होता नजर आ रहा है। कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस का गठबंधन लोकसभा चुनाव में बहुत सकारात्मक परिणाम नहीं दे सका है लेकिन विधानसभा चुनाव में शरद पवार की नई रणनीति भाजपा की राह रोकने की कोशिश करती दिख सकती है।
हरियाणा में मनोहरलाल खट्टर की अगुवाई में भाजपा सरकार ठीक काम कर रही है लेकिन काफी समय से यहां जनमत उनके विरोध में होने की बात कही जा रही थी। हालांकि लोकसभा चुनाव में खट्टर ने दस में दस लोकसभा सीटें जीताकर अपने सभी विरोधियों को पस्त कर दिया है, लेकिन माना जा रहा है कि नरेंद्र मोदी के चेहरे पर हुए लोकसभा चुनाव की तुलना में विधानसभा चुनाव में खट्टर सरकार को मुश्किल हो सकती है। भाजपा के कांग्रेस से लगभग सीधे मुकाबले वाले हरियाणा में इस बार आप-जजपा गठबंधन से भी कड़ा मुकाबला हो सकता है।
लगभग यही हाल झारखंड का भी है। यहां भी भाजपा ने लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया है, लेकिन विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ एंटी इनकम्बेंसी फैक्टर भाजपा को परेशान कर सकता है। कांग्रेस-राजद-झारखंड मुक्ति मोर्चा का साथ उसके लिए बड़ी मुश्किल खड़ी कर सकता है।
इन राज्यों के आलावा जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव भी इनके साथ ही संपन्न कराए जा सकते हैं। चुनाव आयोग ने जम्मू-कश्मीर में इस साल के अंत में चुनाव कराने की बात पहले ही कह दी है। इसके आलावा इस वर्ष के अंत या नये वर्ष की शुरुआत में दिल्ली में भी विधानसभा चुनाव होंगे जो नरेंद्र मोदी की छवि के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण होंगे क्योंकि 2014 के अजेय मोदी का विजय अभियान दिल्ली में आकर ठहर गया था। इसलिए इस बार भाजपा दिल्ली की सत्ता में काबिज होने का कोई मौका हाथ से नहीं जाने देगी और इन सभी जीत के लिए पार्टी को अमित शाह की जरूरत होगी, लिहाजा पार्टी में उनकी बड़ी भूमिका लगातार बनी रहेगी, इस बात को अस्वीकार करने का कोई कारण नहीं है।